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अतिरिक्त मुख्य सचिव ने की मानसून से संबंधित तैयारियों की समीक्षा, अधिकारियों को दिए ये निर्देश

अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी जिले उपायुक्तों और अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान उन्होंने आपदा संभावित क्षेत्रों की पहचान करें और नुकसान को रोकने के निर्देश दिए.

Additional Chief Secretary reviewed the preparations related to the monsoon
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Published : Jun 18, 2019, 10:17 PM IST

शिमला: अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभी जिला के उपायुक्तों और अन्य विभागों के साथ मानसून से संबंधित तैयारियों की समीक्षा की. बैठक में उन्होंने लोक निर्माण विभाग, नगर निगमों और पंचायती राज संस्थाओं को 15 दिनों में नालियों, चैनलों, नालों की सफाई का काम करने के निर्देश दिए हैं.

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक आपदा संभावित राज्य है, इसलिए मौसम संबंधी सलाह को प्रसारित करने और राज्य में चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए विशेष ध्यान देना आवश्यक है. इन प्रणालियों को स्थापित करने के लिए कुल्लू और डलहौजी में स्थानों की पहले ही पहचान कर ली गई है, जबकि रामपुर और मंडी में एनडीआरएफ के राहत एवं बचाव बेस स्थापित किये जाएंगे.

बिजली अधिकारियों को अचानक पानी के प्रवाह से होने वाले नुकसान से बचने के लिए एवं जनता को सतर्क करने के लिए उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए ताकि जान-माल की हानि से बचा जा सके. यह चेतावनी प्रणाली असुरक्षित क्षेत्रों के लोगों को स्थानांतरित करने और खाली करने में मदद करेगी और इस बैठक में केंद्रीय जल आयोग को नियमित रूप से इसकी निगरानी करने के भी निर्देश दिए गए.

जिला मुख्यालयों को उपलब्ध कराए गए सैटेलाइट फोन
डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने कहा कि राहत और बचाव के बारे में जानकारी नियमित रूप से एफएम केन्द्रों, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से जनता को उपलब्ध कराई जाएगी और उपग्रह की उपलब्धता के बारे में जानकारी भी सभी संवेदनशील क्षेत्रों में उपलब्ध करवाई जाएगी. सभी जिला मुख्यालयों को पहले से ही सैटेलाइट फोन उपलब्ध करवा दिए गए हैं और आवश्यकता के अनुसार और अधिक प्रदान किए जाएंगे.

राहत और बचाव टीमों को सतर्क रहने के निर्देश
डॉ. बाल्दी ने कहा कि क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्रों (आईटीबीपी की स्थानीय इकाइयों), भारतीय सेना और स्थानीय स्वयंसेवकों के सहयोग से राज्य के विभिन्न हिस्सों में तैनात एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की राहत और बचाव टीमों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि खराब मौसम की स्थिति में ट्रेकिंग और अन्य यात्राओं को प्रतिबंधित किया जाए तथा ट्रैकर्स की सुरक्षा के लिए एक जीपीएस उपकरण होना अनिवार्य किया जाए ताकि किसी भी आपात स्थिति में उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की जा सके.

आपदा संभावित क्षेत्रों की पहचान करें जिलों के उपायुक्त
सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं कि वे आपदा संभावित क्षेत्रों की पहचान करें और नुकसान को रोकने के लिए तथा सड़कों को अवरोधित करने वाले उखड़े पेड़ों को हटाने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने के निर्देश दिए. उन्होंने मानसून की शुरुआत से पहले पुलों के जीर्णोद्धार और सड़क के किनारे के मलबे को साफ करने के लिए लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिये, जबकि सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया गया कि वे जल जनित बीमारियों के प्रकोप को रोकने के लिए जल स्रोतों की नियमित सफाई सुनिश्चित करें. विशेष सचिव (राजस्व और आपदा प्रबंधन) डी. सी. राणा ने मानसून के दौरान किसी भी घटना से निपटने के लिए उठाए गए कदमों से अवगत करवाया.

शिमला: अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सभी जिला के उपायुक्तों और अन्य विभागों के साथ मानसून से संबंधित तैयारियों की समीक्षा की. बैठक में उन्होंने लोक निर्माण विभाग, नगर निगमों और पंचायती राज संस्थाओं को 15 दिनों में नालियों, चैनलों, नालों की सफाई का काम करने के निर्देश दिए हैं.

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक आपदा संभावित राज्य है, इसलिए मौसम संबंधी सलाह को प्रसारित करने और राज्य में चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए विशेष ध्यान देना आवश्यक है. इन प्रणालियों को स्थापित करने के लिए कुल्लू और डलहौजी में स्थानों की पहले ही पहचान कर ली गई है, जबकि रामपुर और मंडी में एनडीआरएफ के राहत एवं बचाव बेस स्थापित किये जाएंगे.

बिजली अधिकारियों को अचानक पानी के प्रवाह से होने वाले नुकसान से बचने के लिए एवं जनता को सतर्क करने के लिए उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए ताकि जान-माल की हानि से बचा जा सके. यह चेतावनी प्रणाली असुरक्षित क्षेत्रों के लोगों को स्थानांतरित करने और खाली करने में मदद करेगी और इस बैठक में केंद्रीय जल आयोग को नियमित रूप से इसकी निगरानी करने के भी निर्देश दिए गए.

जिला मुख्यालयों को उपलब्ध कराए गए सैटेलाइट फोन
डॉ. श्रीकांत बाल्दी ने कहा कि राहत और बचाव के बारे में जानकारी नियमित रूप से एफएम केन्द्रों, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से जनता को उपलब्ध कराई जाएगी और उपग्रह की उपलब्धता के बारे में जानकारी भी सभी संवेदनशील क्षेत्रों में उपलब्ध करवाई जाएगी. सभी जिला मुख्यालयों को पहले से ही सैटेलाइट फोन उपलब्ध करवा दिए गए हैं और आवश्यकता के अनुसार और अधिक प्रदान किए जाएंगे.

राहत और बचाव टीमों को सतर्क रहने के निर्देश
डॉ. बाल्दी ने कहा कि क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्रों (आईटीबीपी की स्थानीय इकाइयों), भारतीय सेना और स्थानीय स्वयंसेवकों के सहयोग से राज्य के विभिन्न हिस्सों में तैनात एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की राहत और बचाव टीमों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि खराब मौसम की स्थिति में ट्रेकिंग और अन्य यात्राओं को प्रतिबंधित किया जाए तथा ट्रैकर्स की सुरक्षा के लिए एक जीपीएस उपकरण होना अनिवार्य किया जाए ताकि किसी भी आपात स्थिति में उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की जा सके.

आपदा संभावित क्षेत्रों की पहचान करें जिलों के उपायुक्त
सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं कि वे आपदा संभावित क्षेत्रों की पहचान करें और नुकसान को रोकने के लिए तथा सड़कों को अवरोधित करने वाले उखड़े पेड़ों को हटाने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने के निर्देश दिए. उन्होंने मानसून की शुरुआत से पहले पुलों के जीर्णोद्धार और सड़क के किनारे के मलबे को साफ करने के लिए लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिये, जबकि सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया गया कि वे जल जनित बीमारियों के प्रकोप को रोकने के लिए जल स्रोतों की नियमित सफाई सुनिश्चित करें. विशेष सचिव (राजस्व और आपदा प्रबंधन) डी. सी. राणा ने मानसून के दौरान किसी भी घटना से निपटने के लिए उठाए गए कदमों से अवगत करवाया.

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