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GST काउंसिल की बैठक में उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लिया भाग - जीएसटी काउंसिल

जीएसटी काउंसिल की बैठक शुक्रवार को नई दिल्ली में हुई, अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री एवं जीएसटी काउंसिल की अध्यक्षा निर्मला सीतारमण ने कि. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर भी बैठक में उपस्थित थे. राज्य सरकार की ओर से उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में भाग लिया.

40th GST Council meeting held in New Delhi
केंद्रीय वित्त मंत्री एवं जीएसटी काउंसिल की अध्यक्षा निर्मला सीतारमण
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Published : Jun 12, 2020, 11:03 PM IST

शिमला : 40वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक का आयोजन शुक्रवार को नई दिल्ली में हुआ, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री एवं जीएसटी काउंसिल की अध्यक्षा निर्मला सीतारमण ने की. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर भी बैठक में उपस्थित थे. राज्य सरकार की ओर से उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में भाग लिया.

अपने सम्बोधन में उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने हिमाचल प्रदेश को मदद देने के लिए केंद्र सरकार का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक छोटा राज्य है, जिसकी आर्थिकी काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर करती है. कोविड-19 के कारण लॉकडाउन होने से राज्य में पर्यटन गतिविधियों को नुकसान पहुंचा है. साथ ही राज्य में खनन गतिविधियां भी प्रभावित हुई हैं.

उन्होंने कहा कि जनवरी माह तक राज्य को हुए जीएसटी नुकसान भरपाई के लिए 612 करोड़ रुपये प्राप्त हुए. उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री से मार्च माह तक के 216 करोड़ रुपये भी जल्द जारी करने का आग्रह किया.

बिक्रम सिंह ने राष्ट्र के लिए घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के लिए केन्द्र सरकार का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के घोषित इस पैकेज से समाज के कमजोर वर्गों, मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों, व्यवसायियों, श्रमिकों तथा आमजन के लिए वरदान सिद्ध होगा.

उन्होंने कहा कि केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के लिए की गई घोषणाओं से हिमाचल प्रदेश को बहुत लाभ होगा और औद्योगिक उत्पादन भी बढ़ेगा.

बिक्रम सिंह ने कहा कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में लगभग 55 हजार एमएसएमई औद्योगिक इकाइयां हैं, जो कुल इकाइयों का 98 प्रतिशत है. एमएसएमई की रोजगार सृजन में 93 प्रतिशत भागीदारी है. कुल औद्योगिक उत्पादन में एमएसएमई का हिस्सा 85 प्रतिशत है. इस तरह हिमाचल प्रदेश एक एमएसएमई राज्य है.

बिक्रम सिंह ने कहा कि एमएसएमई उद्योगों को तीन लाख करोड़ रुपये का कर्ज चार सालों में वापस करना होगा. कर्ज में डूबे लघु उद्योगों को 20 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दिया जाएगा, जिसके लिए किसी तरह की गारंटी की आवश्यकता नहीं होगी. इससे उद्यमियों को कच्चे माल की आपूर्ति व अन्य खर्चों के लिए धन उपलब्ध हो पाएगा और वे अपना कारोबार बढ़ा सकेंगे.

उन्होंने कहा कि 200 करोड़ रुपये तक का टैंडर अब ग्लोबल टैंडर नहीं होगा. इससे घरेलू औद्योगिक उत्पादन बढ़ेगा और इसका सीधा लाभ एमएसएमई इकाइयों को होगा. 31 अक्तूबर, 2020 तक कोई गारंटी फीस नहीं होगी. इससे 45 लाख इकाइयों को लाभ मिलेगा. फंड ऑफ फंड्स की घोषणा से अच्छे काम करने वाली इकाइयों को प्रोत्साहन मिलेगा.

उद्योग मंत्री ने कहा कि ई-मार्केट लिंक की उपलब्धता से एमएसएमई की इकाइयों को अपने उत्पाद की बिक्री में सुविधा मिलेगी. मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, जेसी शर्मा व अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे.

शिमला : 40वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक का आयोजन शुक्रवार को नई दिल्ली में हुआ, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री एवं जीएसटी काउंसिल की अध्यक्षा निर्मला सीतारमण ने की. केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर भी बैठक में उपस्थित थे. राज्य सरकार की ओर से उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में भाग लिया.

अपने सम्बोधन में उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने हिमाचल प्रदेश को मदद देने के लिए केंद्र सरकार का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश एक छोटा राज्य है, जिसकी आर्थिकी काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर करती है. कोविड-19 के कारण लॉकडाउन होने से राज्य में पर्यटन गतिविधियों को नुकसान पहुंचा है. साथ ही राज्य में खनन गतिविधियां भी प्रभावित हुई हैं.

उन्होंने कहा कि जनवरी माह तक राज्य को हुए जीएसटी नुकसान भरपाई के लिए 612 करोड़ रुपये प्राप्त हुए. उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री से मार्च माह तक के 216 करोड़ रुपये भी जल्द जारी करने का आग्रह किया.

बिक्रम सिंह ने राष्ट्र के लिए घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के लिए केन्द्र सरकार का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के घोषित इस पैकेज से समाज के कमजोर वर्गों, मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों, व्यवसायियों, श्रमिकों तथा आमजन के लिए वरदान सिद्ध होगा.

उन्होंने कहा कि केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के लिए की गई घोषणाओं से हिमाचल प्रदेश को बहुत लाभ होगा और औद्योगिक उत्पादन भी बढ़ेगा.

बिक्रम सिंह ने कहा कि वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में लगभग 55 हजार एमएसएमई औद्योगिक इकाइयां हैं, जो कुल इकाइयों का 98 प्रतिशत है. एमएसएमई की रोजगार सृजन में 93 प्रतिशत भागीदारी है. कुल औद्योगिक उत्पादन में एमएसएमई का हिस्सा 85 प्रतिशत है. इस तरह हिमाचल प्रदेश एक एमएसएमई राज्य है.

बिक्रम सिंह ने कहा कि एमएसएमई उद्योगों को तीन लाख करोड़ रुपये का कर्ज चार सालों में वापस करना होगा. कर्ज में डूबे लघु उद्योगों को 20 हजार करोड़ रुपये का कर्ज दिया जाएगा, जिसके लिए किसी तरह की गारंटी की आवश्यकता नहीं होगी. इससे उद्यमियों को कच्चे माल की आपूर्ति व अन्य खर्चों के लिए धन उपलब्ध हो पाएगा और वे अपना कारोबार बढ़ा सकेंगे.

उन्होंने कहा कि 200 करोड़ रुपये तक का टैंडर अब ग्लोबल टैंडर नहीं होगा. इससे घरेलू औद्योगिक उत्पादन बढ़ेगा और इसका सीधा लाभ एमएसएमई इकाइयों को होगा. 31 अक्तूबर, 2020 तक कोई गारंटी फीस नहीं होगी. इससे 45 लाख इकाइयों को लाभ मिलेगा. फंड ऑफ फंड्स की घोषणा से अच्छे काम करने वाली इकाइयों को प्रोत्साहन मिलेगा.

उद्योग मंत्री ने कहा कि ई-मार्केट लिंक की उपलब्धता से एमएसएमई की इकाइयों को अपने उत्पाद की बिक्री में सुविधा मिलेगी. मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, जेसी शर्मा व अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे.

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