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पांवटा साहिब के 8 गांव सड़क सुविधा से महरूम, कंधों पर अस्पताल पहुंचाने पड़ते हैं मरीज

पांवटा साहिब के गिरिपार क्षेत्र के तहत आने वाले आठ गांवों में सड़क सुविधा ना होने से स्थानीय लोग गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को इलाज के लिए कंधे पर उठाकर अस्पताल पहुंचा रहे हैं. ऐसे में ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

villagers face problems due to no road facility
सड़क सुविधा ना होने से कंधे पर उठाकर अस्पताल पहुंंचाते ग्रामीण
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Published : Aug 26, 2020, 2:14 PM IST

पांवटा साहिब: जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के तहत आने वाले आठ गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं, जिससे स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आलम ये है कि सड़क सुविधा ना होने से गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को इलाज के लिए कंधे पर उठाकर 10 किलोमीटर का सफर पैदल तय करके अस्पताल पहुंचाया जाता है.

बता दें कि गिरिपार क्षेत्र के टीकर, कुंननेर, बलुओट, अखलटु, ककवाड़ी, बाग, तिलचोकी और तिलवाड़ी के ग्रामीण आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं. स्थानीय लोगों द्वारा कई बार जिला प्रशासन को इस संबंध में अवगत कराया गया, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. ऐसे में ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

वीडियो

स्थानीय निवासी संतराम ने बताया कि सड़क ना होने पर मंगलवार को एक किशोर की तबीयत खराब होने पर उसे कंधे पर उठाकर सतौन स्थित अस्पताल पहुंचाया गया. उन्होंने कहा कि मार्ग ना होने पर कई महिलाएं रास्ते में ही दम तोड़ चुकी हैं, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. साथ ही स्थानीय किसान मंडियों तक अपना उत्पाद नहीं पहुंचा पा रहे हैं और अन्य तरीकों से बाजार तक सामान पहुंंचाने में ज्यादा खर्च आ रहा है. ऐसे में किसानों ने खेतों में काम करना भी बंद कर दिया है.

पूर्व प्रधान चानन सिंह ने बताया कि गांव की दशा बेहद खराब है. यहां पर मूलभूत सुविधाओं की कमी है, जिससे स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि 2016 में सीएम के दौरे पर उन्हें इस संबंध में बताया गया था. उपायुक्त सिरमौर तक इस समस्या की गुहार लगाई है, लेकिन स्थिति जस की तस है.

खंड विकास अधिकारी गौरव धीमान ने बताया कि फॉरेस्ट क्लीयरेंस ना होने की वजह से ये समस्या हो रही थी, लेकिन अब सारी परेशानियां दूर हो गई हैं. उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत सड़क बनाने का पूरा प्रयास किया जाएगा और सेकेट्री व स्थानीय प्रधान से इस बारे में बातचीत की जाएगी.

बता दें कि केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा गांव में निवास कर रही जनसंख्या के लिए सड़क योजनाओं से लेकर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन ये स्कीम गांव तक नहीं पहुंच पा रही है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में कोरोना से 29वीं मौत, कांगड़ा में 45 वर्षीय महिला ने तोड़ा दम

पांवटा साहिब: जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के तहत आने वाले आठ गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं, जिससे स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आलम ये है कि सड़क सुविधा ना होने से गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को इलाज के लिए कंधे पर उठाकर 10 किलोमीटर का सफर पैदल तय करके अस्पताल पहुंचाया जाता है.

बता दें कि गिरिपार क्षेत्र के टीकर, कुंननेर, बलुओट, अखलटु, ककवाड़ी, बाग, तिलचोकी और तिलवाड़ी के ग्रामीण आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं. स्थानीय लोगों द्वारा कई बार जिला प्रशासन को इस संबंध में अवगत कराया गया, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. ऐसे में ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

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स्थानीय निवासी संतराम ने बताया कि सड़क ना होने पर मंगलवार को एक किशोर की तबीयत खराब होने पर उसे कंधे पर उठाकर सतौन स्थित अस्पताल पहुंचाया गया. उन्होंने कहा कि मार्ग ना होने पर कई महिलाएं रास्ते में ही दम तोड़ चुकी हैं, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. साथ ही स्थानीय किसान मंडियों तक अपना उत्पाद नहीं पहुंचा पा रहे हैं और अन्य तरीकों से बाजार तक सामान पहुंंचाने में ज्यादा खर्च आ रहा है. ऐसे में किसानों ने खेतों में काम करना भी बंद कर दिया है.

पूर्व प्रधान चानन सिंह ने बताया कि गांव की दशा बेहद खराब है. यहां पर मूलभूत सुविधाओं की कमी है, जिससे स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि 2016 में सीएम के दौरे पर उन्हें इस संबंध में बताया गया था. उपायुक्त सिरमौर तक इस समस्या की गुहार लगाई है, लेकिन स्थिति जस की तस है.

खंड विकास अधिकारी गौरव धीमान ने बताया कि फॉरेस्ट क्लीयरेंस ना होने की वजह से ये समस्या हो रही थी, लेकिन अब सारी परेशानियां दूर हो गई हैं. उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत सड़क बनाने का पूरा प्रयास किया जाएगा और सेकेट्री व स्थानीय प्रधान से इस बारे में बातचीत की जाएगी.

बता दें कि केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा गांव में निवास कर रही जनसंख्या के लिए सड़क योजनाओं से लेकर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन ये स्कीम गांव तक नहीं पहुंच पा रही है.

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