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'अजर' रहना चाहते हैं अमर सिंह, अब तक कर चुके हैं 26 यूनिट रक्त दान

गिरिपार क्षेत्र के गांव कमरऊ के 65 वर्षीय अमर सिंह ने मरने से पहले देहदान करने का निर्णय लिया है. अमर सिंह ने 65 साल की उम्र में ये फैसला लिया है कि मरने के बाद उनके शरीर के अंग जरूरतमंद लोगों को दान किए जाएं.

अमर सिंह
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Published : Apr 30, 2019, 11:24 AM IST

नाहन: गिरिपार क्षेत्र के गांव कमरऊ के 65 वर्षीय अमर सिंह ने मरने से पहले देहदान करने का निर्णय लिया है. इसलिए उन्होंने पीजीआई चंडीगढ़ में एक फार्म भरा है, जिसके तहत उनकी मौत के बाद उनके अंगों को जरुरतमंद के दे दिया जाएगा.

बता दें कि क्षेत्र के जिन लोगों को खून की आवश्यकता होती है, उनको अमर सिंह रक्तदान करके उनकी जान बचा लेते है. इसी जज्बे के वजह से अमर सिंह ने लगभग 26 बोतल रक्त दान कर दिया है.

'अजर' रहना चाहते हैं अमर सिंह,

ये भी पढ़ें: 'प्रदेश में भाजपा सरकार होने का नहीं पड़ेगा फर्क, भारी बहुमत से जीतेंगे कांग्रेस के चारों उम्मीदवार'

अमर सिंह ने बताया कि रक्तदान व अंगदान करना सबसे पुण्य का काम होता है. इस शरीर को जलाने से अच्छा है कि किसी जरूरतमंद के काम आ जाए. अमर सिंह ने बताया कि जवानी के समय शरीर में खून होता था, तो रक्तदान करते थे, लेकिन अब खून न होने से देहदान कर मानवता की सेवा करना उनका लक्ष्य है.

नाहन: गिरिपार क्षेत्र के गांव कमरऊ के 65 वर्षीय अमर सिंह ने मरने से पहले देहदान करने का निर्णय लिया है. इसलिए उन्होंने पीजीआई चंडीगढ़ में एक फार्म भरा है, जिसके तहत उनकी मौत के बाद उनके अंगों को जरुरतमंद के दे दिया जाएगा.

बता दें कि क्षेत्र के जिन लोगों को खून की आवश्यकता होती है, उनको अमर सिंह रक्तदान करके उनकी जान बचा लेते है. इसी जज्बे के वजह से अमर सिंह ने लगभग 26 बोतल रक्त दान कर दिया है.

'अजर' रहना चाहते हैं अमर सिंह,

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अमर सिंह ने बताया कि रक्तदान व अंगदान करना सबसे पुण्य का काम होता है. इस शरीर को जलाने से अच्छा है कि किसी जरूरतमंद के काम आ जाए. अमर सिंह ने बताया कि जवानी के समय शरीर में खून होता था, तो रक्तदान करते थे, लेकिन अब खून न होने से देहदान कर मानवता की सेवा करना उनका लक्ष्य है.

मर कर भी अमर रहना चाहते हैं कमरऊ के अमर सिंह
नाहन। गिरिपार क्षेत्र के गांव कमरऊ के अमर सिंह मरने के बाद भी अमर रहना चाहते हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योकि उन्होने अपनी देहदान का निर्णय ले लिया है। अमर सिंह ने पीजीआई चंडीगढ़ मे एक फार्म भरा है, जिसमे उन्होने मौत के बाद शरीर को जरुरतमंद को दान देने का निर्णय लिया है। अमर सिंह कमरउ पंचायत के स्थाई निवासी है। वह 65 वर्ष के हो गए हैं। इनको बचपन से रक्तदान करने का शोक रहा। जब भी इलाके के लोगो को अस्पताल में मुसीबत के समय कोई रक्त नही मिलता था, तो अमर सिंह हॉस्पिटल पहुँच कर लोगो को रक्तदान करके उनकी जान बचा लेते थे। इसी जज्बे के साथ अमर सिंह ने लगभग 26 बोतले रक्त की दान की हैं। अब अमर सिंह ने 65 साल की उम्र में ये फैसला लिया है कि मरने के बाद उनके शरीर के अंग जरूरतमंद लोगों को दान किये जाएँ। अमर सिंह का मानना है कि रक्तदान व अंगदान करना सबसे पूण्य का काम है। इस नश्वर शरीर को जलाने से अच्छा है कि किसी जरूरतमंद के काम इनका कोई भी अंग आ सके। अमर सिंह का कहना है कि जवानी के समय शरीर मे खून होता था तो रक्तदान किया। अब खून नही है तो देहदान कर मानवता की सेवा करना उनका लक्ष्य है। इसीलिए देहदान का निर्णय लिया है। युवाओं को जहां रक्तदान मे आगे रहना चाहिए वहीं देहदान करना भी बहुत बड़ा पुन्य है। अमर सिंह के इस नेक निर्णय की क्षेत्र मे सर्वत्र प्रशंसा हो रही है।

बाईट : अमर सिंह, कमरऊ निवासी
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