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कोरोना संकट से सतोन में कई उद्योग बंद, कारोबारियों को करोड़ों का नुकसान - Limestone businessmen saton

जिला सिरमौर के उपमंडल पांवटा साहिब में दस पंचायतों का केंद्र बिंदु कहे जाने वाले सतोन में कई उद्योग बंद पड़े हुए हैं. साथ ही चूना पत्थर का काम कम हो गया, जिससे उद्योग मालिकों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है. कभी भी सतोन से लोडिंग करके सैकड़ों ट्रक बाहरी राज्यों में भेजे जाते थे, लेकिन इन दिनों 20 से 25 ट्रकों की आवाजाही ही हो रही है.

Limestone mandi saton
पांवटा साहिब
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Published : Jun 23, 2020, 3:09 PM IST

पांवटा साहिब: उत्तरी भारत की चूना पत्थर मंडी कह जाने वाले सतोन में लॉकडाउन का असर अब भी देखने को मिल रहा है. दरअसल जिला सिरमौर के सतोन में कई उद्योग बंद पड़े हुए हैं. आलम ये है कि 50 उद्योगों में से दो दर्जन उद्योग ही चल रहे हैं, जिससे चूना पत्थर का काम कम हो गया और उद्योग मालिकों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है.

बता दें कि सतोन को दस पंचायतों का केंद्र बिंदु कहा जाता है. सैकड़ों लोगों को उद्योग के माध्यम से या पत्थरों का काम करके रोजगार मिलता है, लेकिन कोरोना जैसी महामारी की वजह से इन दिनों लोगों के रोजगार ठप हो गए हैं. कभी भी सतोन से लोडिंग करके सैकड़ों ट्रक बाहरी राज्यों में भेजे जाते थे, लेकिन इन दिनों 20 से 25 ट्रकों की आवाजाही ही हो रही है.

वीडियो

माइनिंग सोसाइटी के अध्यक्ष खत्री ठाकुर ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से माइनिंग सोसाइटी को बहुत नुकसान हो रहा है, क्योंकि कुछ लेबर यहां से जा चुकी है तो कुछ को बिना काम किए भोजन और सैलरी देनी पड़ रही है. उन्होंने बताया कि महीने की 1500 गाड़ियां बाहरी राज्यों में पहुंची थी, लेकिन अब सैकड़ों गाड़ियां ही बाहरी राज्य के लिए जा रही हैं.

खत्री राम ठाकुर ने बताया कि रोजाना लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है और अब इसकी भरपाई करना बहुत मुश्किल हो गया है. कमराऊ के पास बने पत्थर खदान से सैकड़ों गाड़ियां सतोन फैक्टियों में पत्थर पहुंचाती हैं, ताकि यहां से पाउडर या मुर्गी दाना बनाकर बाहरी राज्यों में पहुंचाया जा सके और कुछ लोगों को रोजगार मिल सके.

माइनिंग सोसाइटी के अध्यक्ष ने खत्री ठाकुर बताया कि उत्तराखंड, हरियाणा जैसे राज्यों में उद्योग व माइनिंग के लिए 3 महीने बाद राइटिंग दी जाती है, जबकि हिमाचल में एडवांस में ही रॉयल्टी देनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि 3 महीने बाद भी चूना पत्थर का काम अभी तक भी पटरी पर नहीं लौटा है.

ये भी पढ़ें: कुल्लू पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, चरस तस्करी का मुख्य आरोपी गिरफ्तार

पांवटा साहिब: उत्तरी भारत की चूना पत्थर मंडी कह जाने वाले सतोन में लॉकडाउन का असर अब भी देखने को मिल रहा है. दरअसल जिला सिरमौर के सतोन में कई उद्योग बंद पड़े हुए हैं. आलम ये है कि 50 उद्योगों में से दो दर्जन उद्योग ही चल रहे हैं, जिससे चूना पत्थर का काम कम हो गया और उद्योग मालिकों को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है.

बता दें कि सतोन को दस पंचायतों का केंद्र बिंदु कहा जाता है. सैकड़ों लोगों को उद्योग के माध्यम से या पत्थरों का काम करके रोजगार मिलता है, लेकिन कोरोना जैसी महामारी की वजह से इन दिनों लोगों के रोजगार ठप हो गए हैं. कभी भी सतोन से लोडिंग करके सैकड़ों ट्रक बाहरी राज्यों में भेजे जाते थे, लेकिन इन दिनों 20 से 25 ट्रकों की आवाजाही ही हो रही है.

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माइनिंग सोसाइटी के अध्यक्ष खत्री ठाकुर ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से माइनिंग सोसाइटी को बहुत नुकसान हो रहा है, क्योंकि कुछ लेबर यहां से जा चुकी है तो कुछ को बिना काम किए भोजन और सैलरी देनी पड़ रही है. उन्होंने बताया कि महीने की 1500 गाड़ियां बाहरी राज्यों में पहुंची थी, लेकिन अब सैकड़ों गाड़ियां ही बाहरी राज्य के लिए जा रही हैं.

खत्री राम ठाकुर ने बताया कि रोजाना लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है और अब इसकी भरपाई करना बहुत मुश्किल हो गया है. कमराऊ के पास बने पत्थर खदान से सैकड़ों गाड़ियां सतोन फैक्टियों में पत्थर पहुंचाती हैं, ताकि यहां से पाउडर या मुर्गी दाना बनाकर बाहरी राज्यों में पहुंचाया जा सके और कुछ लोगों को रोजगार मिल सके.

माइनिंग सोसाइटी के अध्यक्ष ने खत्री ठाकुर बताया कि उत्तराखंड, हरियाणा जैसे राज्यों में उद्योग व माइनिंग के लिए 3 महीने बाद राइटिंग दी जाती है, जबकि हिमाचल में एडवांस में ही रॉयल्टी देनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि 3 महीने बाद भी चूना पत्थर का काम अभी तक भी पटरी पर नहीं लौटा है.

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