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भूस्खलन वाली जगह से रोड निकालने की तैयारी, इस टीम ने बताया बड़वास गांव को नहीं है कोई खतरा - landslide site in Sirmaur

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण चंडीगढ़ टीम ने दो दिन अध्यन करने के बाद पांवटा साहिब-शिलाई-हाटकोटी राष्ट्रीय राजमार्ग का अध्यन करने के बाद पाया कि यहां पर दोबारा रोड निकाली जा सकती है. इससे बड़वास गांव को कोई खतरा नहीं होगा,लेकिन 30 जुलाई को रोड धंसने को लेकर उपायुक्त को बताया कि चुना-पत्थर के लिए माइनिंग होती रही होगी. यह कारण हादसे की वजह बना.

पांवटा साहिब
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Published : Aug 4, 2021, 7:24 PM IST

नाहन: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण चंडीगढ़ (Geological Survey of India Chandigarh) की तीन सदस्य टीम ने पांवटा साहिब-शिलाई-हाटकोटी राष्ट्रीय राजमार्ग 707 (National Highway 707 ) पर गत दिनों हुए भूस्खलन (landslide) का अध्ययन कार्य पूरा कर लिया. टीम ने भूस्खलन का दो दिन रहकर अध्ययन किया. उसके बाद उपायुक्त को वस्तुस्थिति से अवगत कराया. उपायुक्त राम कुमार गौतम (Deputy Commissioner Ram Kumar Gautam) ने बताया टीम के मुताबिक जहां भूस्खलन हुआ था, उसी जगह फिर से रोड निकाला जा सकता है. इसके अतिरिक्त टीम ने यह भी बताया कि सड़क निर्माण कार्य से बड़वास गांव को कोई खतरा नहीं होगा.


उपायुक्त ने कहा कि टीम के अनुसार पहाड़ की कटाई और खाली हिस्से को भरने से रोड को वापस बनाया जाएगा. सड़क परिवहन (road transport) एवं राजमार्ग मंत्रालय-राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने रोड को एक सप्ताह में एक तरफ से यातायात शुरू करने का आश्वासन दिया है. उन्होंने लोगों से आग्रह किया जब रोड का काम शुरू किया जाएगा तब उसमे सहयोक चाहिए, ताकि जल्द उसे बहाल किया जा सके.

अध्ययन टीम के निदेशक मनोज कुमार ने बताया कि उनके साथ भूविज्ञानी (geologist) पी. जगन और सहायक भूविज्ञानी ए. पुनिया इस टीम में शामिल थे. टीम ने अध्ययन के दौरान पाया गया कि भूस्खलन स्थल पर पहले चुना-पत्थर के लिए माइनिंग (mining) होती रही है, जिस वजह से उस क्षेत्र की भूमि को क्षति पहुंची. भूस्खलन से दो दिन पहले हुई तेज बारिश के रिसाव की वजह से पहाड़ का कुछ हिस्सा अपनी जगह से खिसक गया.

बता दें कि पांवटा साहिब (Paonta Sahib) से शिलाई-हाटकोटी जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग 707 में काली ढांक बड़वास के पास बारिश से सड़क का हिस्सा 30 जुलाई को धंस गया था. जिसके चलते इस मार्ग को यातायात के लिए बंद किया गया. वहीं, वैकल्पिक सड़क मार्ग कफोटा-वाया जाखना जोंग-किलौर का इस्तेमाल करने की सलाह प्रशासन ने उस दौरान लोग को दी थी.

ये भी पढ़ें: विधानसभा में बोले CM जयराम- सदन से वॉकआउट करना कांग्रेस की परंपरा

नाहन: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण चंडीगढ़ (Geological Survey of India Chandigarh) की तीन सदस्य टीम ने पांवटा साहिब-शिलाई-हाटकोटी राष्ट्रीय राजमार्ग 707 (National Highway 707 ) पर गत दिनों हुए भूस्खलन (landslide) का अध्ययन कार्य पूरा कर लिया. टीम ने भूस्खलन का दो दिन रहकर अध्ययन किया. उसके बाद उपायुक्त को वस्तुस्थिति से अवगत कराया. उपायुक्त राम कुमार गौतम (Deputy Commissioner Ram Kumar Gautam) ने बताया टीम के मुताबिक जहां भूस्खलन हुआ था, उसी जगह फिर से रोड निकाला जा सकता है. इसके अतिरिक्त टीम ने यह भी बताया कि सड़क निर्माण कार्य से बड़वास गांव को कोई खतरा नहीं होगा.


उपायुक्त ने कहा कि टीम के अनुसार पहाड़ की कटाई और खाली हिस्से को भरने से रोड को वापस बनाया जाएगा. सड़क परिवहन (road transport) एवं राजमार्ग मंत्रालय-राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने रोड को एक सप्ताह में एक तरफ से यातायात शुरू करने का आश्वासन दिया है. उन्होंने लोगों से आग्रह किया जब रोड का काम शुरू किया जाएगा तब उसमे सहयोक चाहिए, ताकि जल्द उसे बहाल किया जा सके.

अध्ययन टीम के निदेशक मनोज कुमार ने बताया कि उनके साथ भूविज्ञानी (geologist) पी. जगन और सहायक भूविज्ञानी ए. पुनिया इस टीम में शामिल थे. टीम ने अध्ययन के दौरान पाया गया कि भूस्खलन स्थल पर पहले चुना-पत्थर के लिए माइनिंग (mining) होती रही है, जिस वजह से उस क्षेत्र की भूमि को क्षति पहुंची. भूस्खलन से दो दिन पहले हुई तेज बारिश के रिसाव की वजह से पहाड़ का कुछ हिस्सा अपनी जगह से खिसक गया.

बता दें कि पांवटा साहिब (Paonta Sahib) से शिलाई-हाटकोटी जाने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग 707 में काली ढांक बड़वास के पास बारिश से सड़क का हिस्सा 30 जुलाई को धंस गया था. जिसके चलते इस मार्ग को यातायात के लिए बंद किया गया. वहीं, वैकल्पिक सड़क मार्ग कफोटा-वाया जाखना जोंग-किलौर का इस्तेमाल करने की सलाह प्रशासन ने उस दौरान लोग को दी थी.

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