मंडी: कानूनी सलाहकार, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं भूमि अधिग्रहण मंच के प्रदेशाध्यक्ष बीआर कौंडल ने सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण मामलों (himachal Land Acquisition Forum) को निपटाने के लिए मंडलायुक्त को आर्बिट्रेटर बनाए जाने को धोखा करार (BR Kaundal targeted himachal government) दिया है. उन्होंने कहा कि ऐसा करके सरकार ने प्रदेश के हजारों भूमि अधिग्रहण प्रभावितों (Land Acquisition affected in himachal) के साथ धोखा व अन्याय किया है.
उनका आरोप है कि भूमि अधिग्रहण प्रभावितों को जहां राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण ने लूटा वहां अब न्यायालय से भी उनके लिए न्याय पाना आसान नहीं रहा. आर्बिट्रेशन अधिनियम में जो संशोधन 31 दिसंबर, 2015 को किया गया उसके अनुसार आर्बिट्रेटर (डिविजनल कमिश्नर) को इस विवाद संबंधी मामले सेक्शन 29 ए के अनुसार एक साल के भीतर निपटाने थे, लेकिन आर्बिट्रेटर ऐसा नहीं कर पाए.
एक साल के बाद जो फैसले किए गए उन के खिलाफ प्राधिकरण अपील में जिला न्यायालय में चला गया. जहां से इस न्यायालय ने पाया कि आर्बिट्रेटर ने अपने अधिकार से बाहर आकर ये फैसले किए हैं. जिस कारण दर्जनों मामले खारिज कर दिए गए और हजारों पर खारिज होने की तलवार लटक चुकी है. प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि अब लोगों को इन फैसलों के खिलाफ उच्च न्यायालय में जाना पड़ रहा है. इस प्रकार अधिकारियों की गलती का खमियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि स्टेटूटोरी इंपोज्ड आर्बिट्रेटर मंडलायुक्त को इस संशोधन से बाहर कर दें, ताकि लोगों को उच्च न्यायालय में जाने से बचाया जा सके और हजारों प्रभावितों को राहत मिल सके. गौरतलब है कि इस संसोधन के फिफ्थ शेड्यूल की सेक्शन 1 के अनुसार डिविजनल कमिश्नर आर्बिट्रेटर लग ही नहीं सकता, क्योंकि वह सरकारी अधिकारी है और सरकार इस में एक पार्टी है और लोगों के साथ अन्याय का यही मुख्य कारण है.