मंडी: हिमाचल प्रदेश मिड-डे मील वर्कर्स यूनियन संबंधित सीटू ने जिला मुख्यालय मंडी में अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया. उन्होंने उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ज्ञापन प्रेषित किया है.
हिमाचल प्रदेश मिड-डे मील वर्कर यूनियन का कहना है कि मिड डे मील वर्कर को न्यूनतम मासिक वेतन 8250 रुपये दिया जाए. वहीं, मिड-डे मील वर्कर की नौकरी से संबंधित 25 बच्चों की शर्त को हटाया जाए और सभी स्कूलों में दो मिड डे मील वर्कर की भर्ती अनिवार्य की जाए.
इस दौरान मिड-डे मील वर्कर्स यूनियन के जिला प्रभारी गुरदास वर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्कूलों में जलवाहकों के पदों को खत्म कर दिया है और उनकी जगह अन्य कार्यकर्ताओं को रखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि मिड-डे मील यूनियन सरकार से मांग करती है कि मिड डे मील कार्यकर्ता 16 सालों से काम कर रहा है और जलवाहक के खाली पदों पर मिड-डे मील वर्कर्ज को ही रखा जाए.
गुरदास वर्मा ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद है और मिड-डे मील कार्यकर्ता घर घर जाकर सुखा राशन बांट रहे हैं और आइसोलेशन सेंटर में मिड डे मील कार्यकर्ताओं को खाना बनाने का कार्य दिया गया है. इसकी एवज में सरकार ने इन्हें कोई भी भुगतान नहीं किया है.
उन्होंने कहा कि 31 अक्टूबर 2019 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि मिड-डे मील कार्यकर्ताओं को 10 महीने के बजाय पूरे 12 महीने का वेतन दिया जाए जिसे हिमाचल सरकार ने अभी तक लागू नहीं किया है.
हिमाचल प्रदेश मिड-डे मील वर्कर यूनियन का कहना है कि प्रदेश सरकार ने बजट के दौरान एक अप्रैल 2020 से मिड डे मील वर्कर की 300 रुपये की वेतन में बढ़ोतरी को लागू किया जाए. यूनियन का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो आने वाले समय में उग्र आंदोलन किया जाएगा.
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