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कृषि बिल से अनजान हैं करसोग के किसान, मंडियों में फसलों के अच्छे दाम की मांग - कॄषि बिल से अनजान है करसोग के किसान

उपमंडल में किसानों को कृषि बिल की अधिक जानकारी नहीं है, लेकिन किसान आर्थिकी मजबूत करने के लिए मंडियों में अपनी फसलों के अच्छे दाम चाहते हैं. किसानों का कहना है कि मंडियों में फसलों का न्यूनतम मूल्य निर्धारित हो ताकि किसानों को कम से कम समर्थन मूल्य गारंटी के साथ मिले.

Karsog farmers unaware of central government's agricultural bill
करसोग में खेती करता किसान.
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Published : Dec 8, 2020, 2:30 PM IST

करसोग: देश में कृषि बिल और भारत बंद को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच करसोग में किसान फसलों की बिजाई में व्यस्त नजर आए. इन दिनों किसान मटर, आलू और गेहूं की बुआई कर रहे हैं. ऐसे में किसान कृषि बिल को लेकर चल रहे आंदोलन से दूर खेतों में कड़ी मेहनत कर पसीना बहा रहे हैं.

अपनी फसलों के अच्छे दाम चाहते हैं किसान

उपमंडल में किसानों को कृषि बिल की अधिक जानकारी नहीं है, लेकिन किसान आर्थिकी मजबूत करने के लिए मंडियों में अपनी फसलों के अच्छे दाम चाहते हैं. किसानों का कहना है कि मंडियों में फसलों का न्यूनतम मूल्य निर्धारित हो ताकि किसानों को कम से कम समर्थन मूल्य गारंटी के साथ मिले. अभी तो किसानों को फसल के आधे पौने भाव मिलने से लागत निकालनी भी मुश्किल हो रही है. ऐसे में भला कैसे किसानों की आय दुगनी होगी.

वीडियो रिपोर्ट.

न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की मांग

करसोग में नकदी फसलें किसानों की आर्थिकी का मुख्य साधन है. किसानों की मांग है कि सरकार सब्जियों का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करें और बाकायदा इस बारे में कानून बनाया जाए और किसानों का शोषण करने वालों को सजा मिल सके. वहीं, किसान यह भी चाहते हैं कि उन्हें खाद और बीज पर भी सब्सिडी बढ़ाकर मिले. इसके अतिरिक्त कृषि उपकरण खरीद पर दी जा रही वर्तमान सब्सिडी को भी बढ़ाए जाने की जरूरत है ताकि कृषि मुनाफे का सौदा साबित हो और सही मायनों में किसानों की आय दुगनी हो सके.

मंडियों में सुधारी जाए व्यवस्था

किसान यह भी चाहते है कि सरकारी मंडियों में भी व्यवस्था को सुधारा जाए. जिससे किसानों को मंडियो में सहूलियत मिल सके. किसान कौशल कुमार का कहना है कि कृषि बिल के बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन हम चाहते हैं कि खाद और बीज और अन्य कृषि उपकरणों पर अच्छी सब्सिडी मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि किसानों को सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए.

करसोग: देश में कृषि बिल और भारत बंद को लेकर चल रहे गतिरोध के बीच करसोग में किसान फसलों की बिजाई में व्यस्त नजर आए. इन दिनों किसान मटर, आलू और गेहूं की बुआई कर रहे हैं. ऐसे में किसान कृषि बिल को लेकर चल रहे आंदोलन से दूर खेतों में कड़ी मेहनत कर पसीना बहा रहे हैं.

अपनी फसलों के अच्छे दाम चाहते हैं किसान

उपमंडल में किसानों को कृषि बिल की अधिक जानकारी नहीं है, लेकिन किसान आर्थिकी मजबूत करने के लिए मंडियों में अपनी फसलों के अच्छे दाम चाहते हैं. किसानों का कहना है कि मंडियों में फसलों का न्यूनतम मूल्य निर्धारित हो ताकि किसानों को कम से कम समर्थन मूल्य गारंटी के साथ मिले. अभी तो किसानों को फसल के आधे पौने भाव मिलने से लागत निकालनी भी मुश्किल हो रही है. ऐसे में भला कैसे किसानों की आय दुगनी होगी.

वीडियो रिपोर्ट.

न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की मांग

करसोग में नकदी फसलें किसानों की आर्थिकी का मुख्य साधन है. किसानों की मांग है कि सरकार सब्जियों का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करें और बाकायदा इस बारे में कानून बनाया जाए और किसानों का शोषण करने वालों को सजा मिल सके. वहीं, किसान यह भी चाहते हैं कि उन्हें खाद और बीज पर भी सब्सिडी बढ़ाकर मिले. इसके अतिरिक्त कृषि उपकरण खरीद पर दी जा रही वर्तमान सब्सिडी को भी बढ़ाए जाने की जरूरत है ताकि कृषि मुनाफे का सौदा साबित हो और सही मायनों में किसानों की आय दुगनी हो सके.

मंडियों में सुधारी जाए व्यवस्था

किसान यह भी चाहते है कि सरकारी मंडियों में भी व्यवस्था को सुधारा जाए. जिससे किसानों को मंडियो में सहूलियत मिल सके. किसान कौशल कुमार का कहना है कि कृषि बिल के बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन हम चाहते हैं कि खाद और बीज और अन्य कृषि उपकरणों पर अच्छी सब्सिडी मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि किसानों को सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए.

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