मंडी: प्रदेश की सबसे बड़ी नगर परिषद सुंदरनगर (Sundernagar Municipal Council) में शुरू की 23 करोड़ रुपयों की उठाऊ पेयजल योजना ने बीते कई दिनों से राजनीति हलकों में भूचाल मचाया हुआ है. वहीं अब शहर के लोगों में पानी की गुणवत्ता को लेकर फैली भ्रांतियों को पूर्ण विराम लगाने के जलशक्ति विभाग भी आगे आया है. विभाग का कहना है कि मंडी जिले के सुंदरनगर शहर के लोगों को बीबीएमबी जलाशय से उठाए जाने वाला पानी डब्ल्यूएचओ के सभी मापदंडों पर खरा उतरता है.
पीने के पानी में किसी प्रकार की अशुद्धता नहीं है. बीएसएल जलाशय (BSL reservoir drinking water scheme) से लिफ्ट कर लाया जाना वाला पानी शुद्धता की कई प्रक्रियाओं से निकलकर साफ होने के बाद ही लोगों तक पहुंचता (Drinking water scheme in Sundernagar) है. जलाशय से पानी उठाने वाली जगह से लेकर शुद्ध पानी सप्लाई होने तक सारी निगरानी सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से की जाती है.
यहां से उठाया जाता है पानी: पेयजल योजना का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि पानी को गंदगी वाले नहीं बल्कि गणपति विसर्जन वाले स्थान से लिफ्ट किया जा रहा है. जलाशय से पानी को उठाने के बाद इसे ढढयाल स्थित पंप के टैंक से नगौण खड्ड स्थित यूनिट में साफ करने की आगामी प्रक्रिया के लिए भेजा जाता है. सबसे पहले पानी को करीब सवा दो लाख लीटर के रॉ-वाटर टैंक में स्टोर किया जाता है. यहां से पानी को इंटेक चैंबर में भेजने के बाद प्राइमरी सेटलिंग टैंक में भेजा जाता है, जिसमें ट्यूब सेटलर लगाए गए हैं. इसके बाद इसे कैलरी फ्लोकुलेटर में भेजा जाता है, जहां फिटकरी डालकर सिल्ट को नीचे बिठाने काम किया जाता है. फिल्टर में जाने से पहले गाद से भरे पानी को एक मधानी की तरह की मशीन से घुमाया जाता है। जिस कारण मोटी गाद एकत्रित हो जाती है.
फिल्टर चेंबर से बाहर निकाली जाती है गाद: बेहद छोटे कणों को अलग करने के लिए दो फिल्टर चैंबर बनाए गए हैं. जिन्हें बारी-बारी से प्रयोग में लाया जाता है. फिल्टर में मिट्टीनुमा गाद को बाहर निकालने के लिए बैक वाश वाटर टैंक के माध्यम से एयर प्रेशर से घोलकर उसे बाहर निकाला जाता है और दूसरे फिल्टर से शुद्ध पानी करीब दो लाख 82 हजार लीटर के टैंक में एकत्रित किया जाता है.
त्रयांबली और मलोह गलु से होती है स्वच्छ पानी की सप्लाई: इस शुद्ध पानी की सप्लाई पूरे शहर में त्रयांबली और मलोह गलु के टैंकों से होती है. नगौण खड्ड यूनिट से शुद्ध के लिए पानी हर रोज करीब 14 लाख लीटर त्रयांबली और 29 लाख लीटर मलोह गलु टैंकों को भेजा जाता है. शहर रोज करीब 45 लाख लीटर पेयजल की आवश्यकता होती है.
सेंसर से होती है गाद की जांच: झील के पानी की गाद की जांच यहां लगाए सेंसर से होती है. झील से आने वाली गाद में 400 के करीब टर्बिडिटी होती है. लेकिन लोगों तक पहुंचाने के लिए इसे प्वाइंट पांच तक रखना होता है. टर्बिडिटी पांच एनटीयू यानि नेफ्रोलाजिकल टर्बिडिटी यूनिट से अधिक नहीं होनी चाहिए. यह डब्ल्यूएचओ की गुणवत्ता जांचने के मापदंड हैं.
स्क्रीन पर दिखेगी फिल्ट्रेशन की सारी प्रक्रिया: बीबीएमबी जलाशय के पानी को शुद्धता की सारी प्रक्रिया दिखाने को विभाग द्वारा सुंदरनगर के रेस्ट हाऊस चौक और जलशक्ति विभाग कार्यालय के बाहर 2 एलइडी स्क्रीने लगाई जाएंगी. इनमें लोग पानी की गुणवत्ता की पूरी जानकारी वीडियो के माध्यम से देख सकेंगे.
पानी की गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल: नगर परिषद सुंदरनगर क्षेत्र में पेयजलापूर्ति के लिए निर्मित करोड़ों की योजना को इसके शुरुआती दौर से कांग्रेस के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस द्वारा सड़कों पर उतर कर इस उठाऊ पेयजल (BSL Reservoir Scheme) योजना के खिलाफ आंदोलन किया जा रहा है. इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सोहनलाल ठाकुर द्वारा लोगों की भावनाओं को प्रदेश सरकार और जलशक्ति विभाग के समक्ष विरोधास्वरूप प्रस्तुत किया जा रहा है.
पानी पूरी तरह शुद्ध, अफवाहों पर न दें ध्यान: जलशक्ति विभाग सुंदरनगर मंडल के अधिषाशी अभियंता ई. अनिल वर्मा ने कहा कि शहर के लोगों को उपलब्ध करवाया जाने वाला पानी पूरी तरह से शुद्ध है. पानी को शुद्ध करने की प्रक्रिया को लोग स्वयं नगौण खड्ड स्थित वाटर प्लांट पर आकर देख सकते हैं. लोगों से अपील है कि किसी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान न दें. उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा पानी की गुणवत्ता को लेकर कभी भी कोई समझौता नहीं किया जाता है. अनिल वर्मा ने कहा कि वाटर प्लांट में पानी की हो शुद्ध करने की प्रक्रिया को मोबाइल एप्प के माध्यम से स्वयं और सहायक अभियंता सुंदरनगर द्वारा नजर बनाई जाती है.
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