करसोग/मंडी: पवित्र सावन के लिए इस महीने उपमंडल में लगने वाला चिंडी माता का प्रसिद्ध मेला कोरोना महामारी की वजह से आयोजित नहीं किया जाएगा. हर साल चकरंठ नामक स्थान पर 4 से 6 अगस्त को आयोजित होने वाले सावन माह के इस आखिरी मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंचते थे और तीन दिन तक चलने वाले इस मेले में भक्तों की भारी भीड़ जुटती थी.
बता दें कि चिंडी माता का रथ साल भर में मेले के दौरान ही तीन दिन के लिए बाहर निकलता है, लेकिन रात को माता का रथ मंदिर के बाहर नहीं ठहरता है. ऐसे में मेले के दौरान माता रोज शाम को वापस मंदिर में आ जाती हैं और अगली सुबह फिर से माता रथ में सवार होकर मेले के लिए बाहर निकलती हैं. वहीं, मुराद पूरी होने पर श्रद्धालु मां के चरणों में भेंट भी चढ़ाते थे, लेकिन इस साल कोविड-19 की वजह से भक्त न तो मां के दर्शन और ना ही उन्हें भेंट चढ़ा पएंगे.
चिंडी माता के परिसर में लगने वाले इस मेले में प्रदेश के कोने-कोने से व्यापारी अपनी दुकानें लगाने के लिए पहुंचते थे और अच्छी कमाई कर लेते थे, लेकिन इस साल वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से मां चिंडी के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेंगे और जिला प्रशासन द्वारा मेला आयोजित न करने का निर्णय लिया गया है.
करसोग में चकरंठ नामक स्थान पर जब माता का नृत्य होता है तो आसपास का नजारा देखते ही बनता है. जब माता देव धुनों पर नृत्य करती हैं तो मेला स्थल के सामने वाली पहाड़ी पर मौसम साफ होने के बाद भी पूरी तरह धुंध छा जाती है. इसी पहाड़ी पर चिंडी माता के भाई देव महासू का मंदिर भी है.
मान्यता है कि चिंडी माता भाई के सामने नृत्य नहीं करती हैं. ऐसे में मेले में तीन दिन मां के नृत्य के दौरान सामने वाली पहाड़ी पर स्थित देव महासू का मंदिर धुंध से पूरी तरह से ढक जाता है. साथ ही चिंडी माता का ही एकमात्र रथ ऐसा है, जो किसी भी देवी या देवता के रथ से मिलाप नहीं करता है.
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन की वजह से उपमंडल में इस बार अप्रैल में आयोजित होने वाला प्रसिद्ध 7 दिवसीय नलवाड़ मेला, सवा माहूं में आयोजित होने वाला प्रसिद्ध पांच दिवसीय माहूंनाग मेला और अब चकरंठ में आयोजित होने वाला तीन दिवसीय चिंडी माता मेला आयोजित न करने का निर्णय लिया गया है.
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