मंडी: हिमाचल प्रदेश की संपदा यहां पर पाए जाने वाले मेडिसनल पौधे हैं. जिनसे देश का अग्रणी संस्थान आईआईटी मंडी दवाइयों का निर्माण कर इस संपदा का सदुपयोग जनहित में कर सकता है. वहीं, कोरोना काल में भी औषधीय पौधे लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित हुए हैं. यह बात नीति आयोग के सदस्य व जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के चांसलर डॉक्टर विजय कुमार सारस्वत ने मंडी में कही.
सारस्वत रविवार को आईआईटी मंडी के स्थापना समारोह में बतौर मुख्य अतिथि (13th Foundation Day of IIT Mandi) शरीक हुए. इस दौरान उन्होंने आईआईटी मंडी के 13वें स्थापना दिवस के मौके पर सभी को अपना संदेश दिया और उसके बाद उत्कृष्ट कार्य करने वाले छात्र-छात्राओं, फैकल्टी व कर्मचारियों को सम्मानित भी किया. इसके उपरांत इसके पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि भारत आयुर्वेद गुरु बनने की तरफ अग्रसर है जिसमें हिमाचल प्रदेश भी अपनी अहम भूमिका निभा सकता है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में बहुत से मेडिसिनल प्लांट (Medicinal Plant in Himachal) हैं जिनके ऊपर काम करने की जरूरत है.
वहीं देश में लगातार बढ़ रहे साइबर क्राइम को लेकर भी नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके सारस्वत ने गहरी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे सब कार्य डिजिटल हो रहे हैं वैसे ही डिजिटल फॉ्रड भी बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब आने वाले समय में संस्थानों को अपनी साइबर सिक्योरिटी के लिए विशेष सेल बानने की जरूरत है ताकि साइबर क्राइम से बचा जा सके. सारस्वत ने कहा कि प्रौद्योगिकी की नई सीमाओं को बढ़ाने के लिए अंतःविषय दृष्टिकोण जरूरी है जिसके लिए इंटरडिसिप्लिनरी साइंस और सामाजिक इंजीनियरिंग आवश्यक है.
इस मौके पर आईआईटी मंडी के निदेशक प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा ने बताया कि बेहतर शिक्षा के साथ संस्थान देश व प्रदेश के हित में लगातार कार्य कर रहा है. उन्होंने बताया कि आईआईटी मंडी में अब बच्चों को भविष्य में काम आने वाली बेहतर ट्रेनिंग दी जाएगी जिससे उन्हें रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे. उन्होंने बताया कि आईआईटी मंडी स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा और कृषि सुविधा को उन्नत बनाने में लगा है.
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