कुल्लू: उपमंडल बंजार की सैंज घाटी के कनौन मेले में आराध्य देव ब्रह्मा व महामाई भगवती के मेले साजा बैसाखी उत्सव पर देव संस्कृति की अनूठी मिसाल देखने को मिली. मेले में देवी भगवती और ब्रह्मा और देवता बंशीरा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. इस मौके पर ब्रह्मा के रथ को हजारों हारियानों ने रस्से के साथ खींच कर ऊंची चोटी पुखूरी धार बंनशीरा के मंदिर पहुंचाया.
मंदिर पहुंचकर देवता ब्रह्मा व भगवती ने अपने अंगरक्षक बंनशीरा के साथ क्षेत्र की रक्षा के लिए मंथन किया. बैसाखी पर्व पर घाटी के आराध्य देव ब्राह्मा ऋषि के रथ को परंपरा के तहत लावलश्कर के साथ मंदिर से बाहर निकाला गया. देव खेल का निर्वाह कर देव हारियानों ने देवता के रथ को रस्सी से खींचकर गांव कछैणी में देवी भगवती के मंदिर तक पहुंचाया.
देव मिलन कर पुनः देवी-देवता के रथ को रस्सी से खींचते हुए हजारों श्रद्धालुओं ने ऊंची चोटी पर बनशीरा देवता के मंदिर पहुंचाया. वहां पर देव हारियानों ने जंगल की लचकदार लकड़ियों से एक गोल रिंग बनाया. जिसे स्थानीय भाषा में चैचा कहते हैं.
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देवता ब्रह्मा के कारदार भिमी राम ने बताया कि बनशीरा देवता उस व्यक्ति को पुत्र वरदान व मनवांछित वरदान देते हैं जो रस्साकशी में जीत हासिल करता है. इस देव प्रक्रिया को देखने के लिए कनौन गांव में हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. सभी देव प्रक्रिया संपन्न होने के बाद देव हारियानों ने कुल्लवी नाटी का आयोजन किया.