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शिंकुला टनल निर्माण के लिए सर्वे शुरू, चिनूक हेलीकॉप्टर ने एंटीना लिफ्ट कर भरी उड़ान

जांस्कर रेंज में प्रस्तावित 13.5 किमी लंबी शिंकुला टनल का चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से एयरबोर्न इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सर्वे शुरू हो गया है. पहले दिन चिनूक ने एंटीना लिफ्ट कर स्टिंगरी के आसपास आसमान में उड़ान भरी.

शिंकुला टनल निर्माण के लिए सर्वे शुरू
शिंकुला टनल निर्माण के लिए सर्वे शुरू
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Published : Oct 20, 2020, 8:33 AM IST

लाहौल-स्पीति: जांस्कर रेंज में प्रस्तावित 13.5 किमी लंबी शिंकुला टनल का चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से एयरबोर्न इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सर्वे शुरू हो गया है. सर्वे की यह प्रक्रिया करीब एक सप्ताह तक जारी रह सकती है. चार दिन पहले वायुसेना के चिनूक हेलीकाप्टर ने 500 किलो बजनी एंटीना को लिफ्ट कर स्टिंगरी हेलीपैड में ट्रायल उड़ान भरी थी. अब सर्वे की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से शुरू हुई.

पहले दिन चिनूक ने एंटीना लिफ्ट कर स्टिंगरी के आसपास आसमान में उड़ान भरी. विशेषज्ञ टीम ने अल्टीट्यूडर, विंड स्पीड समेत कई तकनीकी पहलुओं को बारीकी से जांचा. शिंकुला टनल लाहौल के अंतिम रिहायशी इलाके दारचा से करीब 8 किमी. आगे पटसेउ से शुरू होगी और लद्दाख के कारगिल के उपमंडल जांस्कर में पहले गांव कर्ज्ञा से 10 किमी. ऊपर निकलेगी. इस टनल के बनने से मनाली-कारगिल की दूरी करीब 250 किमी कम हो जाएगी. सफर में लगभग एक दिन का वक्त कम हो जाएगा.

टनल को सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. भारतीय सेना किसी भी मौसम में सरहदों तक पहुंच सकेगी. आमतौर पर सर्दियों के दिनों में बर्फबारी के चलते मनाली-लेह मार्ग बंद हो जाता है. हालांकि, अटल टनल रोहतांग बनने से लाहौल तक पहुंचना अब आसान हो गया है, लेकिन लेह जाने की दिशा यह टनल सेना के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगी. शिंकुला टनल के सर्वे का काम राइट्स कंपनी कर रही है. शिंकुला टनल राष्ट्रीय उच्च मार्ग अधोसंरचना विकास प्राधिकरण की देखरेख में पूरी की जाएगी.

लाहौल-स्पीति: जांस्कर रेंज में प्रस्तावित 13.5 किमी लंबी शिंकुला टनल का चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से एयरबोर्न इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सर्वे शुरू हो गया है. सर्वे की यह प्रक्रिया करीब एक सप्ताह तक जारी रह सकती है. चार दिन पहले वायुसेना के चिनूक हेलीकाप्टर ने 500 किलो बजनी एंटीना को लिफ्ट कर स्टिंगरी हेलीपैड में ट्रायल उड़ान भरी थी. अब सर्वे की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से शुरू हुई.

पहले दिन चिनूक ने एंटीना लिफ्ट कर स्टिंगरी के आसपास आसमान में उड़ान भरी. विशेषज्ञ टीम ने अल्टीट्यूडर, विंड स्पीड समेत कई तकनीकी पहलुओं को बारीकी से जांचा. शिंकुला टनल लाहौल के अंतिम रिहायशी इलाके दारचा से करीब 8 किमी. आगे पटसेउ से शुरू होगी और लद्दाख के कारगिल के उपमंडल जांस्कर में पहले गांव कर्ज्ञा से 10 किमी. ऊपर निकलेगी. इस टनल के बनने से मनाली-कारगिल की दूरी करीब 250 किमी कम हो जाएगी. सफर में लगभग एक दिन का वक्त कम हो जाएगा.

टनल को सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. भारतीय सेना किसी भी मौसम में सरहदों तक पहुंच सकेगी. आमतौर पर सर्दियों के दिनों में बर्फबारी के चलते मनाली-लेह मार्ग बंद हो जाता है. हालांकि, अटल टनल रोहतांग बनने से लाहौल तक पहुंचना अब आसान हो गया है, लेकिन लेह जाने की दिशा यह टनल सेना के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगी. शिंकुला टनल के सर्वे का काम राइट्स कंपनी कर रही है. शिंकुला टनल राष्ट्रीय उच्च मार्ग अधोसंरचना विकास प्राधिकरण की देखरेख में पूरी की जाएगी.

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