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कुल्लू में लोगों ने मनाया 'माल' पर्व, महिलाओं ने की गाय की विधिपूर्वक पूजा - माल की पूजा

कुल्लू में शनिवार को माल पर्व उत्साह के साथ मनाया गया. माल की रात गौशाला के बाहर बने आंगन को पहले रंगोली से सजाया गया. माल पर्व की सुबह सबसे पहले गौधन को तरह तरह के रंग लगाकर सजाया गया.

maal festival in kullu
कुल्लू में माल पर्व
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Published : Oct 31, 2020, 8:17 PM IST

Updated : Nov 2, 2020, 3:47 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू में शनिवार को माल पर्व उत्साह के साथ मनाया गया. लोगों ने सुबह उठकर गाय को फूल माला पहनाई और माथे पर तिलक लगाकर उनकी विधिपूर्वक पूजा की गई. लोगों में प्रसाद भी बांटा गया.

माल की रात गौशाला के बाहर बने आंगन को पहले रंगोली से सजाया गया. माल पर्व की सुबह सबसे पहले गौधन को तरह तरह के रंग लगाकर सजाया गया. गौधन को फूलमाला डालकर माथे पर तिलक लगाया गया, जिसके बाद सुबह-सुबह हाथों में मशालें लेकर पशुओं की खरीफ फसल के बाद खाली हुए खेतों में छोड़ा गया.

दोपहर से पहले महूर्त के मुताबिक पशुओं को घर लाया गया. यहां घर की महिलाएं गौशाला के बाहर हाथों में पूजा की थाली लिए खड़ी थी और शास्त्रों के मुताबिक गौधन की पूजा की गई. इसके तुरंत बाद ही घर में नई फसल के तैयार पकवान गौधन को परोसे गए और सुख समृद्धि की कामना की गई.

माल पर्व के साथ ही लोग सर्द ऋतु का भी स्वागत करते हैं. विद्ववानों के मुताबिक माल का वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही तरह का महत्व है. सदियों से चली आ रही इस समृद्ध परंपरा को आज भी लोग उत्साह के साथ निभाते हैं.

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कुल्लू: जिला कुल्लू में शनिवार को माल पर्व उत्साह के साथ मनाया गया. लोगों ने सुबह उठकर गाय को फूल माला पहनाई और माथे पर तिलक लगाकर उनकी विधिपूर्वक पूजा की गई. लोगों में प्रसाद भी बांटा गया.

माल की रात गौशाला के बाहर बने आंगन को पहले रंगोली से सजाया गया. माल पर्व की सुबह सबसे पहले गौधन को तरह तरह के रंग लगाकर सजाया गया. गौधन को फूलमाला डालकर माथे पर तिलक लगाया गया, जिसके बाद सुबह-सुबह हाथों में मशालें लेकर पशुओं की खरीफ फसल के बाद खाली हुए खेतों में छोड़ा गया.

दोपहर से पहले महूर्त के मुताबिक पशुओं को घर लाया गया. यहां घर की महिलाएं गौशाला के बाहर हाथों में पूजा की थाली लिए खड़ी थी और शास्त्रों के मुताबिक गौधन की पूजा की गई. इसके तुरंत बाद ही घर में नई फसल के तैयार पकवान गौधन को परोसे गए और सुख समृद्धि की कामना की गई.

माल पर्व के साथ ही लोग सर्द ऋतु का भी स्वागत करते हैं. विद्ववानों के मुताबिक माल का वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही तरह का महत्व है. सदियों से चली आ रही इस समृद्ध परंपरा को आज भी लोग उत्साह के साथ निभाते हैं.

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Last Updated : Nov 2, 2020, 3:47 PM IST
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