कुल्लूः लाहौल वासियों के जीवन में तीन अक्टूबर से एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है. बर्फबारी के चलते छह महीने के लिए देश-दुनिया से लाहौल और स्पीति घाटी कट जाती थी. बर्फबारी के समय में मौसम साफ होने पर सिर्फ हेलिकॉप्टर ही एक जरिया होता था, लेकिन हेलिकॉप्टर की सेवा हर किसी तक नहीं पहुंच पाती थी.
बीमार या अन्य इमरजेंसी में हेलिकॉप्टर सुविधा मिल पाती थी. सर्दी के मौसम में रोहतांग दर्रे पर बर्फ पड़ जाने के बाद लाहौल का कुल्लू से भी पूरी तरह से संपर्क कट जाता था, लेकिन अब अटल रोहतांग सुरंग के बन जाने से लोग 12 महीने देश दुनिया से जुड़े रहेंगे.
अटल टनल रोहतांग का तीन अक्टूबर को उद्घाटन होने के बाद लाहौल-स्पीति के सीनियर सिटीजन की बस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टनल के साउथ पोर्टल से हरी झंडी दिखाकर सुरंग के जरिए लाहौल घाटी के लिए रवाना करेंगे. इसमें 15 बुजुर्गों को बैठाया जाएगा.
लाहौल-स्पीति जिला प्रशासन ने बुजुर्गों की सूची भी तैयार कर ली है. प्रदेश सरकार ने लाहौल-स्पीति के बुजुर्गों के सम्मान में कार्यक्रम भी रखा है, जिन्होंने इस ऐतिहासिक पल के लिए लंबा इंतजार किया है. हालांकि अटल टनल निर्माण में योगदान देने वाली कई हस्तियां अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उद्घाटन के मौके पर उन्हें भी याद किया जाएगा.
इनमें पूर्व विधायक लता ठाकुर, पूर्व विधायक देवी सिंह ठाकुर, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मित्र अर्जुन गोपाल उर्फ टशी दावा, कर्नल हिशे डोगीय व ठाकुर शमशेर सिंह को भी इस दौरान याद किया जाएगा.
तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय ने कहा अटल टनल रोहतांग के लोकार्पण के दौरान बुजुर्गों को सम्मानित करने के बाद सुरंग का भ्रमण करवाया जाएगा. रोहतांग सुरंग के निर्माण की नींव रखने में इन लोगों ने बहुत संघर्ष किया है.
इन्होंने लाहौल से दिल्ली में प्रधानमंत्री के कार्यालय जाकर कई दफा यह मांग रखी. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से सुरंग निर्माण की घोषणा के बाद भी कई तरह की कागजी कार्रवाई के लिए इन लोगों ने खुद दिल्ली के चक्कर लगाए.
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