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लोकमित्र केंद्र संचालकों का न्यूनतम मानदेय दस हजार रुपये तय किया जाए: शशि पाल - himachal pradesh news

लोकमित्र केंद्र संचालकों को कहना है कि लोकमित्र केंद्रों (LOK MITRA KENDRA HAMIRPUR) में कई तरह की सेवाएं लोगों को प्रदान की जा रही हैं, लेकिन इसके लिए इन्हें नाममात्र दाम दिए जाते हैं. काम के दाम का 80 फीसदी हिस्सा सरकार के खाते में चला जाता है. इनके हिस्से में आने वाला नाममात्र हिस्सा नाकाफी है. पिछले 13 सालों से सेवाओं के रेट रिवाइज नहीं किए गए हैं. जो मूल्य 13 साल पहले थे, आज भी वही हैं.

Lokmitra center operators submitted memorandum to MLA Hamirpur Narendra Thakur
फोटो.
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Published : Dec 5, 2021, 5:23 PM IST

हमीरपुर: जिला हमीरपुर के लोकमित्र केंद्र संचालकों (LOK MITRA KENDRA HAMIRPUR) ने अपनी मांगों को लेकर विधायक हमीरपुर नरेंद्र ठाकुर को ज्ञापन सौंपा. टाउन हाल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लोकमित्र केंद्र संचालक उनसे मिले और अपनी व्यथा सुनाई. लोकमित्र केंद्र संचालकों को कहना है कि लोकमित्र केंद्रों में कई तरह की सेवाएं लोगों को प्रदान की जा रही हैं, लेकिन इसके लिए इन्हें नाममात्र दाम दिए जाते हैं. काम के दाम का 80 फीसदी हिस्सा सरकार के खाते में चला जाता है. इनके हिस्से में आने वाला नाममात्र हिस्सा नाकाफी है. पिछले 13 सालों से सेवाओं के रेट रिवाइज नहीं किए गए हैं. जो मूल्य 13 साल पहले थे, आज भी वही हैं.

ऐसे में इनके लिए इनके परिवार का पालन पोषण करना संभव नहीं है. सरकार को इनके बारे में सोचना चाहिए. अपनी इन्हीं मांगों को लेकर समस्त लोकमित्र संचालक सीएससीवीएल सोसाइटी हमीरपुर (Lokmitra Director CSCVL Society Hamirpur) ने ज्ञापन सौंपा है. सोसाइटी के उपप्रधान शशि पाल ने कहा कि जब कोई एक लोकमित्र केंद्र की शुरूआत करता है. उसके लिए कम से कम एक लेपटॉप, फोटोस्टेट, कलर प्रिंट, लेमिनेशन मशीन, फर्नीचर, स्टेशनरी इत्यादि की आवश्यकता होती है.

वीडियो.

शुरूआत में ही खर्च करीब डेढ़ लाख रुपये आ जाता है. लोकमित्र केंद्र संचालक या तो खुद की दुकान में काम शुरू करता है या फिर किराए की दुकान में. दुकान का किराया भी हजारों रुपयों में भरना पड़ता है. उन्होंने कहा कि हिमाचल ऑनलाइन सेवा से प्रमाण पत्रों का शुल्क से लाभ बहुत कम है. उपयोगकर्ता शुल्क 10 रुपये, प्रक्रिया शुल्क 10 रुपये, प्रशासन शुल्क सात रुपये है जोकि इन सभी को मिलाकर 27 रुपये बनता है. इसमें से 20.56 रुपये सरकार के खाते में जाते हैं और हमें 6.44 रुपये ही बचते हैं. इन 27 रुपये से दोगुना तो प्रति आवेदन पर ही खर्च हो जाता है.

लोकमित्र संचालकों ने मांग की है कि एक निर्धारित (Minimum honorarium of Lokmitra center operators) मानदेय तय किया जाए. जिसमें लोकमित्र लोगों को सेवाएं सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क पर प्रदान कर सकें. लोकमित्र केंद्र संचालकों के लिए न्यूनतम मानदेय दस हजार रुपये तय किया जाए. लोकमित्र केंद्र संचालकों को पंचायत घर या किसी सरकारी भवन में बैठाने की व्यवस्था की जाए.

वहां का बिजली, इंटरनेट का खर्च, पानी आदि का खर्च सरकार द्वारा देय हो. कोई भी सेवा जो लोकमित्र केंद्रों के तहत लोगों को दी जाता है उसको लोकमित्र केंद्र तक ही सीमित किया जाए, खुले में न रखा जाए. इस अवसर पर सोसाइटी के प्रधान सुमित राठौर, सचिव राजेश कुमार सहित अन्य मौजूद रहे.

ये भी पढ़ें- राजीव बिंदल ने की जयराम सरकार की तारीफ, बोले- 4 साल में हिमाचल में स्वास्थ्य सुविधाएं हुईं बेहतर

हमीरपुर: जिला हमीरपुर के लोकमित्र केंद्र संचालकों (LOK MITRA KENDRA HAMIRPUR) ने अपनी मांगों को लेकर विधायक हमीरपुर नरेंद्र ठाकुर को ज्ञापन सौंपा. टाउन हाल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लोकमित्र केंद्र संचालक उनसे मिले और अपनी व्यथा सुनाई. लोकमित्र केंद्र संचालकों को कहना है कि लोकमित्र केंद्रों में कई तरह की सेवाएं लोगों को प्रदान की जा रही हैं, लेकिन इसके लिए इन्हें नाममात्र दाम दिए जाते हैं. काम के दाम का 80 फीसदी हिस्सा सरकार के खाते में चला जाता है. इनके हिस्से में आने वाला नाममात्र हिस्सा नाकाफी है. पिछले 13 सालों से सेवाओं के रेट रिवाइज नहीं किए गए हैं. जो मूल्य 13 साल पहले थे, आज भी वही हैं.

ऐसे में इनके लिए इनके परिवार का पालन पोषण करना संभव नहीं है. सरकार को इनके बारे में सोचना चाहिए. अपनी इन्हीं मांगों को लेकर समस्त लोकमित्र संचालक सीएससीवीएल सोसाइटी हमीरपुर (Lokmitra Director CSCVL Society Hamirpur) ने ज्ञापन सौंपा है. सोसाइटी के उपप्रधान शशि पाल ने कहा कि जब कोई एक लोकमित्र केंद्र की शुरूआत करता है. उसके लिए कम से कम एक लेपटॉप, फोटोस्टेट, कलर प्रिंट, लेमिनेशन मशीन, फर्नीचर, स्टेशनरी इत्यादि की आवश्यकता होती है.

वीडियो.

शुरूआत में ही खर्च करीब डेढ़ लाख रुपये आ जाता है. लोकमित्र केंद्र संचालक या तो खुद की दुकान में काम शुरू करता है या फिर किराए की दुकान में. दुकान का किराया भी हजारों रुपयों में भरना पड़ता है. उन्होंने कहा कि हिमाचल ऑनलाइन सेवा से प्रमाण पत्रों का शुल्क से लाभ बहुत कम है. उपयोगकर्ता शुल्क 10 रुपये, प्रक्रिया शुल्क 10 रुपये, प्रशासन शुल्क सात रुपये है जोकि इन सभी को मिलाकर 27 रुपये बनता है. इसमें से 20.56 रुपये सरकार के खाते में जाते हैं और हमें 6.44 रुपये ही बचते हैं. इन 27 रुपये से दोगुना तो प्रति आवेदन पर ही खर्च हो जाता है.

लोकमित्र संचालकों ने मांग की है कि एक निर्धारित (Minimum honorarium of Lokmitra center operators) मानदेय तय किया जाए. जिसमें लोकमित्र लोगों को सेवाएं सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क पर प्रदान कर सकें. लोकमित्र केंद्र संचालकों के लिए न्यूनतम मानदेय दस हजार रुपये तय किया जाए. लोकमित्र केंद्र संचालकों को पंचायत घर या किसी सरकारी भवन में बैठाने की व्यवस्था की जाए.

वहां का बिजली, इंटरनेट का खर्च, पानी आदि का खर्च सरकार द्वारा देय हो. कोई भी सेवा जो लोकमित्र केंद्रों के तहत लोगों को दी जाता है उसको लोकमित्र केंद्र तक ही सीमित किया जाए, खुले में न रखा जाए. इस अवसर पर सोसाइटी के प्रधान सुमित राठौर, सचिव राजेश कुमार सहित अन्य मौजूद रहे.

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