पालमपुरः राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा ने 'एक पेड़ पुरानी पेंशन के नाम' अभियान की शुरूआत की. इसे लेकर बैनर के तले देश भर में एनपीएस कर्मचारियों ने अपने घरों व आसपास के क्षेत्र में पौधारोपण किया. प्रदेश में भी इस अभियान को लेकर कर्मचारियों ने पेड़-पैधे लगाए और संघर्ष जारी रखने का प्रण लिया.
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सयुंक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने बताया कि इस अभियान में प्रदेश के लगभग 80 हजार कर्मचारियों ने भाग लिया है. बरसात के मौसम में पौधारोपण के साथ ही संघर्ष को जारी रखने का लिए प्रण भी लिया.
पेड़ों से पर्यावरण और पेंशन से बुढ़ापा होता है सुरक्षित
प्रवीण शर्मा ने कहा कि जिस प्रकार पेड़ों से पर्यावरण सुरक्षित बनता है, उसी प्रकार बुढ़ापे में पेंशन कर्मचारियों का जीवन सुरक्षित बनाती है. एनपीएस व्यवस्था किसी भी तरह से कर्मचारी हित में नहीं है और इस व्यवस्था में 10 फीसदी सरकार एनएसडीएल कंपनी को कर्मचारियों के नाम पर देती है और दस फीसदी कर्मचारियों का कटता है जो कि न तो कर्मचारी हित में होता है और ना ही देश हित में.
उन्होंने कहा कि पुरानी जीपीएफ सिस्टम में सरकार को कोई भी अंशदान नहीं देना होता था. इससे सरकार का अरबों रुपया बचता था और कर्मचारियों को रिटायर होने के बाद एक सुरक्षित पुरानी पेंशन मिलती थी.
प्रवीण शर्मा ने कहा कि कर्मचारी रात दिन अपनी सेवाएं देते हैं और महामारी की आपदा की घड़ी में देश सेवा कर रहे हैं. इसमें सुरक्षा कर्मी, सफाई कर्मी, रेल कर्मी, पुलिसकर्मी, क्लेरिकल स्टाफ, शिक्षक शामिल हैं.
इस नई पेंशन प्रणाली के कारण इन सभी कर्मियों का बुढ़ापा असुरक्षित है. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि कर्मचारी व देश हित में पुरानी पेंशन व्यवस्था को फिर लागू किया जाए ताकि दिन-रात सेवा करने वाले कर्मचारियों का भविष्य भी सुरक्षित हो सके.
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