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मर्म चिकित्सा को आयुर्वेद विभाग कर रहा प्रोत्साहित, अस्पतालों में लगाए जा रहे कैंप - मर्म चिकित्सा को आयुर्वेद विभाग कर रहा प्रोत्साहित धर्मशाला न्यूज

मर्म चिकित्सा को प्रोत्साहित करने के लिए आयुर्वेद विभाग द्वारा आयुर्वेदिक अस्पतालों में चिकित्सा कैंप लगाए जा रहे हैं. साथ ही डॉक्टर्स को सात दिनों तक शिमला में प्रशिक्षण दिया जा रहा है. मर्म चिकित्सा एक ऐसी चिकित्सा होती है, जिसमें दवाइयों की जरूरत नहीं पड़ती है, जबकि शरीर के उस हिस्से को दबाया जाता है, जहां दर्द होता है.

camp organasied for heart therapy in dharamsala
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Published : Jan 14, 2020, 1:03 PM IST

धर्मशाला: आयुर्वेद विभाग इन दिनों मर्म चिकित्सा को प्रोत्साहित करने में जुटा हुआ है. जिसके चलते विभिन्न आयुर्वेदिक अस्पतालों में मर्म चिकित्सा कैंप लगाए जा रहे हैं. साथ ही शिमला में आयुर्वेदिक डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी जा रही है और जो डॉक्टर ट्रेनिंग से छूट गए हैं, उन्हें प्रशिक्षण दिलाने के लिए आयुर्वेद विभाग प्रयासरत है.

बता दें कि मर्म चिकित्सा के लिए देहरा, सुल्याली, हल्दरा कोना में हार्ट थरेपी से संबंधित कैंप लगाए जा रहे हैं. मर्म चिकित्सा विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है और इससे साइनस, डायबिटीज, गर्दन, पीठ, कमर और पैरों का रोग, जोड़ों का रोग सभी आसानी से ठीक किए जा सकते हैं.

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मर्म रोग की खासियत है कि इसके उपचार में रोगी को दवाई देने की जरूरत नहीं पड़ती और शरीर के उसी भाग को दबाया जाता है, जहां समस्या या दर्द हो. आयुर्वेद में 104 मर्म बताए गए हैं, उन्हीं मर्म को दबाकर इलाज किया जाता है. व्यक्ति को कहां दर्द है, उस मर्म को छूने या दबाने से किस बीमारी का इलाज होता है, इसी तरह की चिकित्सा मर्म चिकित्सा है.

आयुर्वेद विभाग द्वारा लगाए जा रहे मर्म चिकित्सा कैंपों की शुरुआत में लोगों की आमद कम थी, लेकिन अब जागरूकता से लोगों की आमद में इजाफा हुआ है. हर कैंप में 12 मरीज मर्म चिकित्सा के लिए पहुंच रहे हैं.

जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. कुलदीप बरवाल ने बताया कि मर्म चिकित्सा ऐसी चिकित्सा है, जिसमें दवाई देने की आवश्यकता नहीं होती है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में 104 मर्म बताए गए हैं, उन्हीं मर्म को दबाकर इलाज किया जाता है.

ये भी पढ़ें: ज्वालामुखी में मनाया गया लोहड़ी उत्सव, नाटी किंग कुलदीप शर्मा के गाने पर झूम उठे लोग

कुलदीप बरवाल ने बताया कि मर्म चिकित्सा के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न आयुर्वेदिक अस्पतालों में कैंप लगाए जा रहे हैं. बहुत से आयुर्वेदिक डॉक्टर्स को मर्म चिकित्सा की ट्रेनिंग शिमला में करवाई जा रही हैं. उन्होंने बताया कि डॉक्टर्स को सात दिन तक प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके अलावा भविष्य में आयुर्वेदिक डॉक्टर्स को रिफ्रेशर कोर्स करवाने का प्रयास किया जाएगा.

धर्मशाला: आयुर्वेद विभाग इन दिनों मर्म चिकित्सा को प्रोत्साहित करने में जुटा हुआ है. जिसके चलते विभिन्न आयुर्वेदिक अस्पतालों में मर्म चिकित्सा कैंप लगाए जा रहे हैं. साथ ही शिमला में आयुर्वेदिक डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी जा रही है और जो डॉक्टर ट्रेनिंग से छूट गए हैं, उन्हें प्रशिक्षण दिलाने के लिए आयुर्वेद विभाग प्रयासरत है.

बता दें कि मर्म चिकित्सा के लिए देहरा, सुल्याली, हल्दरा कोना में हार्ट थरेपी से संबंधित कैंप लगाए जा रहे हैं. मर्म चिकित्सा विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है और इससे साइनस, डायबिटीज, गर्दन, पीठ, कमर और पैरों का रोग, जोड़ों का रोग सभी आसानी से ठीक किए जा सकते हैं.

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मर्म रोग की खासियत है कि इसके उपचार में रोगी को दवाई देने की जरूरत नहीं पड़ती और शरीर के उसी भाग को दबाया जाता है, जहां समस्या या दर्द हो. आयुर्वेद में 104 मर्म बताए गए हैं, उन्हीं मर्म को दबाकर इलाज किया जाता है. व्यक्ति को कहां दर्द है, उस मर्म को छूने या दबाने से किस बीमारी का इलाज होता है, इसी तरह की चिकित्सा मर्म चिकित्सा है.

आयुर्वेद विभाग द्वारा लगाए जा रहे मर्म चिकित्सा कैंपों की शुरुआत में लोगों की आमद कम थी, लेकिन अब जागरूकता से लोगों की आमद में इजाफा हुआ है. हर कैंप में 12 मरीज मर्म चिकित्सा के लिए पहुंच रहे हैं.

जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. कुलदीप बरवाल ने बताया कि मर्म चिकित्सा ऐसी चिकित्सा है, जिसमें दवाई देने की आवश्यकता नहीं होती है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में 104 मर्म बताए गए हैं, उन्हीं मर्म को दबाकर इलाज किया जाता है.

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कुलदीप बरवाल ने बताया कि मर्म चिकित्सा के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न आयुर्वेदिक अस्पतालों में कैंप लगाए जा रहे हैं. बहुत से आयुर्वेदिक डॉक्टर्स को मर्म चिकित्सा की ट्रेनिंग शिमला में करवाई जा रही हैं. उन्होंने बताया कि डॉक्टर्स को सात दिन तक प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके अलावा भविष्य में आयुर्वेदिक डॉक्टर्स को रिफ्रेशर कोर्स करवाने का प्रयास किया जाएगा.

Intro:धर्मशाला- आयुर्वेद विभाग इन दिनों मर्म चिकित्सा को प्रोत्साहित करने में जुटा है। जिसके चलते विभिन्न आयुर्वेदिक अस्पतालों में मर्म चिकित्सा के कैंप लगाए जा रहे हैं। मर्म चिकित्सा के लिए शिमला में बकायदा आयुर्वेदिक डाक्टर्स को ट्रेनिंग करवाई गई है, जो डाक्टर्स ट्रेनिंग से छूट गए हैं, उन्हें प्रशिक्षण दिलाने को आयुर्वेद विभाग प्रयासरत है। मर्म चिकित्सा विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है। मर्म चिकित्सा से साइनस, डायबिटीज, गर्दन, पीठ, कमर और पैरों के दर्द के रोग, जोड़ों के रोग यह सब मर्म पद्धति द्वारा आसानी से ठीक किए जा सकते हैं। मर्म रोग की खासियत है कि इसके उपचार में रोगी को दवाई देने की जरूरत नहीं पड़ती और शरीर के उसी भाग में दबाया जाता है, जहां समस्या या दर्द हो। आयुर्वेद में 104 मर्म बताए गए हैं, उन्हीं मर्म को दबाकर इलाज किया जाता है। व्यक्ति को कहां दर्द है, उस मर्म को छूने या दबाने से किस बीमारी का इलाज होता है, इसी तरह की चिकित्सा मर्म चिकित्सा है।  मर्म चिकित्सा पर विभिन्न आयुर्वेदिक अस्पतालों में कैंप लगाए जा रहे हैं। धर्मशाला, देहरा, सुल्याली, हल्दरा कोना में कैंप लगाए जा रहे हैं।




Body:
आयुर्वेद विभाग द्वारा लगाए जा रहे मर्म चिकित्सा कैंपों की शुरूआत में लोगों की आमद कम थी, लेकिन अब जागरूकता से लोगों की आमद में इजाफा हुआ है। हर कैंप में 10-12 मरीज मर्म चिकित्सा के लिए पहुंच रहे हैं।  बहुत से आयुर्वेदिक डाक्टर्स को मर्म चिकित्सा की ट्रेनिंग शिमला में करवाई हैं। मर्म चिकित्सा की ट्रेनिंग 4 दिन से लेकर 7 दिन की होती है। भविष्य में भी आयुर्वेदिक डाक्टर्स को रिफ्रेशर कोर्सिस करवाने का प्रयास करवाएगा। इसके अतिरिक्त जो चिकित्सक इस प्रशिक्षण से वंचित रहे हैं, उनकी रि-ओरिएंटेशन करवाई जाएगी।




Conclusion:वही डा. कुलदीप बरवाल, जिला आयुर्वेदिक अधिकारी, जिला कांगड़ा  मर्म चिकित्सा ऐसी चिकित्सा है, जिसमें दवाई देने की आवश्यकता नहीं पड़ती। आयुर्वेद में 104 मर्म बताए गए हैं, उन्हीं मर्म को दबाकर इलाज किया जाता है। मर्म चिकित्सा के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न आयुर्वेदिक अस्पतालों में कैंप लगाए जा रहे हैं। बहुत से आयुर्वेदिक डाक्टर्स को मर्म चिकित्सा की ट्रेनिंग शिमला में करवाई हैं। मर्म चिकित्सा की ट्रेनिंग 4 दिन से लेकर 7 दिन की होती है। भविष्य में भी आयुर्वेदिक डाक्टर्स को रिफ्रेशर कोर्सिस करवाने का प्रयास करवाएगा।

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