धर्मशाला: आयुर्वेद विभाग इन दिनों मर्म चिकित्सा को प्रोत्साहित करने में जुटा हुआ है. जिसके चलते विभिन्न आयुर्वेदिक अस्पतालों में मर्म चिकित्सा कैंप लगाए जा रहे हैं. साथ ही शिमला में आयुर्वेदिक डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी जा रही है और जो डॉक्टर ट्रेनिंग से छूट गए हैं, उन्हें प्रशिक्षण दिलाने के लिए आयुर्वेद विभाग प्रयासरत है.
बता दें कि मर्म चिकित्सा के लिए देहरा, सुल्याली, हल्दरा कोना में हार्ट थरेपी से संबंधित कैंप लगाए जा रहे हैं. मर्म चिकित्सा विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है और इससे साइनस, डायबिटीज, गर्दन, पीठ, कमर और पैरों का रोग, जोड़ों का रोग सभी आसानी से ठीक किए जा सकते हैं.
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मर्म रोग की खासियत है कि इसके उपचार में रोगी को दवाई देने की जरूरत नहीं पड़ती और शरीर के उसी भाग को दबाया जाता है, जहां समस्या या दर्द हो. आयुर्वेद में 104 मर्म बताए गए हैं, उन्हीं मर्म को दबाकर इलाज किया जाता है. व्यक्ति को कहां दर्द है, उस मर्म को छूने या दबाने से किस बीमारी का इलाज होता है, इसी तरह की चिकित्सा मर्म चिकित्सा है.
आयुर्वेद विभाग द्वारा लगाए जा रहे मर्म चिकित्सा कैंपों की शुरुआत में लोगों की आमद कम थी, लेकिन अब जागरूकता से लोगों की आमद में इजाफा हुआ है. हर कैंप में 12 मरीज मर्म चिकित्सा के लिए पहुंच रहे हैं.
जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. कुलदीप बरवाल ने बताया कि मर्म चिकित्सा ऐसी चिकित्सा है, जिसमें दवाई देने की आवश्यकता नहीं होती है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में 104 मर्म बताए गए हैं, उन्हीं मर्म को दबाकर इलाज किया जाता है.
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कुलदीप बरवाल ने बताया कि मर्म चिकित्सा के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न आयुर्वेदिक अस्पतालों में कैंप लगाए जा रहे हैं. बहुत से आयुर्वेदिक डॉक्टर्स को मर्म चिकित्सा की ट्रेनिंग शिमला में करवाई जा रही हैं. उन्होंने बताया कि डॉक्टर्स को सात दिन तक प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके अलावा भविष्य में आयुर्वेदिक डॉक्टर्स को रिफ्रेशर कोर्स करवाने का प्रयास किया जाएगा.