बिलासपुर: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से पूरे देश को लॉकडाउन किया गया है. लेकिन इसका बुरा असर ऑटो चालकों पर पड़ रहा है. आर्थिक हालात बिगड़ने से अब उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं. ईटीवी भारत ने जब इन ऑटो चालकों से उनके हालात जानने की कोशिश की तो उनका दर्द कुछ इस तरह सामने आया.
पूरे हिमाचल में तकरीबन 4,200 ऑटो रिक्शा हैं. लॉकडाउन की वजह से ऑटो चालकों को अपने परिवार का गुजारा करने के लिए सोचना पड़ रहा है. ऐसा ही हाल पूरे प्रदेश का है. अगर, बिलासपुर की बात करें तो यहां करीब 150 परिवार ऐसे हैं जिनकी आमदनी का जरिया ऑटो रिक्शा है. लेकिन ऑटो का संचालन बंद होने से उन्हें परिवार को चलाने में परेशानी उठानी पड़ रही है. शहर में कई ऐसे लोग हैं जिसकी हर माह ऑटो की किश्त और परिवार का खर्चा इसी माध्यम से चलता है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से ऑटो की किश्त तो दूर, अब घर चलाना भी मुश्किल हो गया है.
ऑटो यूनियन के प्रधान मोहम्मद रफी का कहना है कि केंद्र सरकार के आदेशों के अनुसार जब जनता कर्फ्यू शुरू किया गया था तभी से पूरे जिले में ऑटो का संचालन बंद है. शुरुआती दौर में उन्हें परिवार चलाने में ज्यादा परेशानी नहीं आई लेकिन दिन-ब-दिन हालात खराब होती जा रही है.
मदद के लिए सीएम जयराम को लिखा पत्र
कुछ दिन पहले प्रदेश के मुखिया जयराम ठाकुर को मदद के लिए पत्र लिखा है. पत्र के जरिए उन्होंने सरकार से मांग की है कि ऑटो चालकों को दिल्ली और केरल सरकार की तर्ज पर मदद मुहैय्या कराएं ताकि उन्हें इस कठिनाई के दौर में थोड़ी राहत मिल सके.
परिवार का गुजारा करना हुआ मुश्किल
बिलासपुर शहर के रहने वाले साहिल खान 10 साल से ऑटो चला रहे हैं. उनका कहना है कि वे ऑटो चलाकर अपने परिवार का गुजारा करते थे. लेकिन लॉकडाउन की वजह से ऑटो नहीं चल रहा है. अब ऐसे हालात हो गए हैं कि उन्हें अपने परिवार का चलाने के लिए काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं. उन्होंने सरकार से मदद की मांग की है.
आपको बता दें कि लॉकडाउन में दिल्ली और केरल सरकार ने ऑटो चालकों को पांच-पांच हजार रुपये की आर्थिक मदद की है. ऐसे में ऑटो चालक प्रदेश सरकार से ये आस लगाए बैठे हैं कि उन्हें भी इन दो राज्यों के ऑटो चालकों की तरह कुछ आर्थिक मदद मिल सके.
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