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भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेल लाइन 2025 में पहुंचेगी बिलासपुर: डीसी पंकज राय

भानुपल्ली से बिलासपुर के बीच बन रही रेल लाइन के कार्य को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया (Bhanupalli Bilaspur Leh Rail Line) गया है. उपायुक्त बिलासपुर पंकज राय ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इसके अगले चरण के लिए 20 से 34 किमी तक भूमि अधिग्रहण की सभी औपचारिकताओं को भी पूरा कर लिया गया है.

Rail Line Project in Himachal
भानुपल्ली बिलासपुर लेह रेल लाइन
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Published : Feb 4, 2022, 7:15 PM IST

बिलासपुर: उपायुक्त बिलासपुर पंकज राय ने बताया कि भानुपल्ली- बिलासपुर- बैरी रेल लाइन के कार्य को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें 26 छोटे-बड़े पुल और 20 सुरंग का निर्माण होगा. इसके अगले चरण के लिए 20 से 34 किमी तक भूमि अधिग्रहण की सभी औपचारिकताओं को भी पूरा कर लिया गया है. रेल लाइन में जिस बड़ी सुरंग का निर्माण होना है उनमें टी-10 सुरंग भी शामिल है. इसकी लंबाई 3800 मीटर होगी. इसके अलावा टी-8 सुरंग की लंबाई भी 2900 मीटर होगी.


उपायुक्त ने बताया कि (Bhanupalli Bilaspur Leh Rail Line) पहला खंड बैरी से मंडी, दूसरा मंडी से मनाली, तीसरा मनाली से उपशी और चौथा उपशी से लेह तक का होगा. वहीं, जानकारी यह भी प्राप्त हुई है कि जल्द ही विशेषज्ञों की टीम एक ओर सर्वे करेगी, जिसे फाइनल सर्वे माना जाएगा. उत्तर रेलवे के चीफ इंजीनियर हरपाल सिंह ने यह बात कही है. जानकारी के अनुसार अभी तक तुर्की से आए विशेषज्ञों की टीम ने महज बिलासपुर से मनाली तक के पहाड़ों की स्ट्रेंथ का पता लगाया है. हालांकि भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए रेलवे के लिए लेह तक रेल लाइन पहुंचाना आसान नहीं होगा.

भानुपल्ली बिलासपुर लेह रेल लाइन

जिसके चलते अभी तक रेलवे की (Bhanupalli Bilaspur Leh Rail Line) ओर से शुरुआती दौर में केवल मात्र बिलासपुर से मनाली तक ही फोकस किया जा रहा है. वहीं, बिलासपुर से मनाली रेललाइन प्रक्रिया के तहत अभी तक केवल मात्र 80 पहाड़ों तक ही तुर्की विशेषज्ञों की टीम पहुंच पाई है. अभी भी 20 फीसदी पहाड़ ऐसे हैं जिनकी लंबाई मापना शेष रह गया है. इस रास्ते में बीस फीसदी पहाड़ शेष हैं, वे बिलासपुर और मनाली के बीच ही स्थित हैं. जिनकी स्ट्रेंथ मापने के लिए दोबारा विशेषज्ञों की टीम दौरा करेगी.

तुर्की विशेषज्ञों की टीम ने भानुपल्ली-लेह रेल लाइन के तहत बिलासपुर से मनाली के बीच पहाड़ों की स्ट्रेंथ का पता लगाया है. इसे लेकर कई दिनों तक टीम हिमाचल में ही रही. हालांकि इस टीम द्वारा यहां पर पहाड़ों का विजिट किया गया. अभी तक इसे फाइनल सर्वे नहीं माना जा रहा है. अभी एक और सर्वे होगा वहीं, इससे पहले अलाइनमेंट सुधार के बाद डाटा प्रोसेसिंग प्रक्रिया शुरू होगी. वहीं, इसके बाद विशेषज्ञों की टीम एक बार फिर विजिट करने के लिए पहुंचेगी. बता दें कि भानुपल्ली से बिलासपुर के बीच बन रही रेल लाइन के कार्य को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.


देश के दो मुख्य राष्टीय प्रोजेक्टों में है यह रेल लाइन- भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेल लाइन और उदयपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला दोनों परियोजनाएं राष्टीय प्रोजेक्टों में शामिल है. उत्तर रेलवे ने भी इस परियोजना को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है. यह देश की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण रेल लाइन प्रोजेक्टों में शामिल है. इस रेल लाइन के शुरू होने से यहां पर तैनात देश की सेना को सबसे अधिक लाभ मिलेगा. क्योंकि सेना को अपना महत्वपूर्ण सामान पहुंचाने व ले जाने के लिए यह वरदान साबित होगी.

यह है भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेल लाइन- बता दें कि भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेल लाइन का प्रस्तावित खर्च 83,360 करोड़ रूपये है. यह 465 किलोमीटर लंबी लाइन होगी. प्रोजेक्ट पूरा होने के (Indian railway projects) बाद यह दुनिया की सबसे ऊंची रेल लाइन होगी. निर्माण के बाद इस लाइन की उंचाई समुद्री सतह से 5,360 मीटर होगी. थोड़ी बहुत इसकी बराबरी चिंगहई तिब्बत रेल लाइन (Qinghai Tibet rail line) से की जा सकती (Highest rail line in the world) है, क्योंकि चीन में स्थित यह रेल लाइन भी समुद्री सतह से 5,072 मीटर की उंचाई पर है.

जानकारी के अनुसार इस रेललाइन में 30 स्टेशन होगें.बिलासपुर से लेह को जोड़ने वाली यह रेल लाइन सुंदरनगर, मंडी, मनाली, केलांग, कोकसर, दर्चा, उपशी और कारू से गुजरेगी. सभी स्टेशन हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर के होंगे. इस रेल लाइन से सुरक्षा बलों को काफी मदद मिलेगी. साथ ही लदाख क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. 465 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन का 52 फीसदी हिस्सा सुरंग से होकर गुजरेगा. इसमें सबसे लंबी सुरंग 27 किलोमीटर की होगी. सुरंग के अंदर से कुल 244 किलोमीटर लाइन गुजरेगी. पहले फेज में सर्वे के मुताबिक 74 सुरंग, 124 बड़े पुल और 396 पुलिया बनेगी. यह रेल लाइन बिलासपुर में पंजाब बॉर्डर के साथ लगते भानुपल्ली से लेह तक जाएगी.

ये भी पढे़ं : अनुराग ठाकुर के ड्रीम प्रोजेक्ट को फिर ₹1000 के शगुन का टीका!, कब कांगड़ा पहुंचेगी ऊना-हमीरपुर रेलवे लाइन?

बिलासपुर: उपायुक्त बिलासपुर पंकज राय ने बताया कि भानुपल्ली- बिलासपुर- बैरी रेल लाइन के कार्य को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें 26 छोटे-बड़े पुल और 20 सुरंग का निर्माण होगा. इसके अगले चरण के लिए 20 से 34 किमी तक भूमि अधिग्रहण की सभी औपचारिकताओं को भी पूरा कर लिया गया है. रेल लाइन में जिस बड़ी सुरंग का निर्माण होना है उनमें टी-10 सुरंग भी शामिल है. इसकी लंबाई 3800 मीटर होगी. इसके अलावा टी-8 सुरंग की लंबाई भी 2900 मीटर होगी.


उपायुक्त ने बताया कि (Bhanupalli Bilaspur Leh Rail Line) पहला खंड बैरी से मंडी, दूसरा मंडी से मनाली, तीसरा मनाली से उपशी और चौथा उपशी से लेह तक का होगा. वहीं, जानकारी यह भी प्राप्त हुई है कि जल्द ही विशेषज्ञों की टीम एक ओर सर्वे करेगी, जिसे फाइनल सर्वे माना जाएगा. उत्तर रेलवे के चीफ इंजीनियर हरपाल सिंह ने यह बात कही है. जानकारी के अनुसार अभी तक तुर्की से आए विशेषज्ञों की टीम ने महज बिलासपुर से मनाली तक के पहाड़ों की स्ट्रेंथ का पता लगाया है. हालांकि भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए रेलवे के लिए लेह तक रेल लाइन पहुंचाना आसान नहीं होगा.

भानुपल्ली बिलासपुर लेह रेल लाइन

जिसके चलते अभी तक रेलवे की (Bhanupalli Bilaspur Leh Rail Line) ओर से शुरुआती दौर में केवल मात्र बिलासपुर से मनाली तक ही फोकस किया जा रहा है. वहीं, बिलासपुर से मनाली रेललाइन प्रक्रिया के तहत अभी तक केवल मात्र 80 पहाड़ों तक ही तुर्की विशेषज्ञों की टीम पहुंच पाई है. अभी भी 20 फीसदी पहाड़ ऐसे हैं जिनकी लंबाई मापना शेष रह गया है. इस रास्ते में बीस फीसदी पहाड़ शेष हैं, वे बिलासपुर और मनाली के बीच ही स्थित हैं. जिनकी स्ट्रेंथ मापने के लिए दोबारा विशेषज्ञों की टीम दौरा करेगी.

तुर्की विशेषज्ञों की टीम ने भानुपल्ली-लेह रेल लाइन के तहत बिलासपुर से मनाली के बीच पहाड़ों की स्ट्रेंथ का पता लगाया है. इसे लेकर कई दिनों तक टीम हिमाचल में ही रही. हालांकि इस टीम द्वारा यहां पर पहाड़ों का विजिट किया गया. अभी तक इसे फाइनल सर्वे नहीं माना जा रहा है. अभी एक और सर्वे होगा वहीं, इससे पहले अलाइनमेंट सुधार के बाद डाटा प्रोसेसिंग प्रक्रिया शुरू होगी. वहीं, इसके बाद विशेषज्ञों की टीम एक बार फिर विजिट करने के लिए पहुंचेगी. बता दें कि भानुपल्ली से बिलासपुर के बीच बन रही रेल लाइन के कार्य को 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.


देश के दो मुख्य राष्टीय प्रोजेक्टों में है यह रेल लाइन- भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेल लाइन और उदयपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला दोनों परियोजनाएं राष्टीय प्रोजेक्टों में शामिल है. उत्तर रेलवे ने भी इस परियोजना को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है. यह देश की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण रेल लाइन प्रोजेक्टों में शामिल है. इस रेल लाइन के शुरू होने से यहां पर तैनात देश की सेना को सबसे अधिक लाभ मिलेगा. क्योंकि सेना को अपना महत्वपूर्ण सामान पहुंचाने व ले जाने के लिए यह वरदान साबित होगी.

यह है भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेल लाइन- बता दें कि भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेल लाइन का प्रस्तावित खर्च 83,360 करोड़ रूपये है. यह 465 किलोमीटर लंबी लाइन होगी. प्रोजेक्ट पूरा होने के (Indian railway projects) बाद यह दुनिया की सबसे ऊंची रेल लाइन होगी. निर्माण के बाद इस लाइन की उंचाई समुद्री सतह से 5,360 मीटर होगी. थोड़ी बहुत इसकी बराबरी चिंगहई तिब्बत रेल लाइन (Qinghai Tibet rail line) से की जा सकती (Highest rail line in the world) है, क्योंकि चीन में स्थित यह रेल लाइन भी समुद्री सतह से 5,072 मीटर की उंचाई पर है.

जानकारी के अनुसार इस रेललाइन में 30 स्टेशन होगें.बिलासपुर से लेह को जोड़ने वाली यह रेल लाइन सुंदरनगर, मंडी, मनाली, केलांग, कोकसर, दर्चा, उपशी और कारू से गुजरेगी. सभी स्टेशन हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर के होंगे. इस रेल लाइन से सुरक्षा बलों को काफी मदद मिलेगी. साथ ही लदाख क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. 465 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन का 52 फीसदी हिस्सा सुरंग से होकर गुजरेगा. इसमें सबसे लंबी सुरंग 27 किलोमीटर की होगी. सुरंग के अंदर से कुल 244 किलोमीटर लाइन गुजरेगी. पहले फेज में सर्वे के मुताबिक 74 सुरंग, 124 बड़े पुल और 396 पुलिया बनेगी. यह रेल लाइन बिलासपुर में पंजाब बॉर्डर के साथ लगते भानुपल्ली से लेह तक जाएगी.

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