यमुनानगर: देशभर में विरोध के बीच इस कानून के बनने से यमुनानगर में लोग काफी खुश नजर आ रहे हैं. साथ ही यमुनानगर में ऐसे लगभग 20 परिवार हैं जो पाकिस्तान से आ कर यहां बस गए थे. उन्होंने एक दूसरे को लड्डू खिलाकर अपनी खुशी जाहिर की.
पाकिस्तान से यमुनानगर आकर बसे सुभाष भाटिया ने बताया कि उनका परिवार 2007 में यमुनानगर आया था लेकिन 3 साल पहले ही उनको यहां के नागरिकता हासिल हुई. उन्होंने कहा कि पहले सरकारों में कागजात पूरे करने में बहुत दिक्कत होती थी. लेकिन इस कानून से लोगों को अब ज्यादा फायदा होगा. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान से यमुनानगर में 20 परिवार आए हैं.
ये भी पढ़ें:- फसल बीमा योजना धरातल पर हुई फेल, किसानों को नहीं मिल रहा मुआवजा
वहीं पाकिस्तान से ही आए लक्ष्मीदास बहल ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ साल 1988 में भारत आए थे और 1997 में उनको यहां की नागरिकता मिली थी. उन्होंने अपना दुख व्यक्त करते हुए बताया कि उन लोगों ने खुशी से पाकिस्तान नहीं छोड़ा उनको मजबूरी में पाकिस्तान छोड़ना पड़ा क्योंकि वहां पर हिंदुओं के साथ बहुत गलत व्यवहार किया जाता था इसलिए दुखी होकर उन्होंने वह देश छोड़ा.
उन्होंने कहा कि भारत हमारा अपना देश है और अब सरकार द्वारा इस बिल को पास करने पर वे इस फैसले का स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि इस कानून के जरिए शरणार्थियों को काफी मदद मिलेगी. उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए इस कानून को लागू करने के लिए सरकार का धन्यवाद किया.
ये भी पढ़ें- दिल्ली में CAA के विरोध में प्रदर्शन, गुरुग्राम में कई किलोमीटर तक लगा लंबा जाम