पानीपत: जहां एक तरफ देश के किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का विरोध कर रहे हैं. वहीं, पानीपत के गांव उग्रा खेड़ी के किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर कई गुना ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं. इस गांव में अधिकांश किसान सब्जियों की खेती करते हैं छोटा हो या बड़ा किसान वह सिर्फ नाम मात्र ही गेहूं और चावल की फसल की खेती करते हैं. ज्यादातर अपने खेतों में सब्जियां होगा का डबल मुनाफा कमाते हैं. इस गांव के किसान पिछले 30 साल से सब्जियों की खेती करते आ रहे हैं. किसानों का मानना है कि ट्रेडिशनल खेती से उन्हें सब्जियों की खेती में काफी मुनाफा होता है.
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर क्या कहते हैं किसान जसबीर: किसान जसबीर मलिक का कहना है कि सब्जियों की खेती करने के तरीकों में थोड़ा इजाफा करना पड़ता है. किसान उससे डबल मुनाफा कमा सकता है. किसान जसबीर मलिक कई कंपनियों के साथ कांटेक्ट कर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अपने खेत में एक साथ दो फसलों को लगाते हैं. जिससे उन्हें मंडियों से बेहतर दाम भी मिलते हैं और उनकी कमाई भी अधिक होती है. ट्रेडिशनल खेती जबसे उन्होंने करना छोड़ी है तो उनकी आर्थिक हालत में भी काफी सुधार हुआ है.
सब्जियों की बदौलत 80 एकड़ के मालिक बने जसबीर: उन्होंने बताया कि उन्होंने 8 एकड़ से सब्जियों खेती शुरू की थी और 8 एकड़ की बदौलत वह आज 80 एकड़ जमीन के मालिक हैं और अधिकांश जमीन पर वह सब्जियों की खेती करते हैं. किसान जसबीर मलिक ने बताया कि उन्होंने यहां ना उगने वाली सब्जियों को भी बार-बार मेहनत कर उगा दिया है ब्रोकली और रंगीन बंद गोभी भी उसने अपने खेतों में उगाई है. वह अपने खेतों में घीया, तोरी, भिंडी, आलू, अरबी, टमाटर और 20 तरह की सब्जियां उगाते हैं और उनकी सब्जियां जब मंडी में जाती है तो नाम से हाथों हाथ ही बिक जाती हैं.
'सब्जियों की खेती में डबल मुनाफा': किसान राम रतन शर्मा का कहना है कि उनके गांव के किसान काफी मेहनती हैं और वह मेहनत में विश्वास रखते हैं. पहले इस गांव में भी गेहूं धान की खेती की जाती थी, लेकिन किसानों ने अपना तौर तरीका बदला और मेहनत करना शुरू किया जिसकी बदौलत आज अधिकांश किसान सब्जियों की खेती करता है. सब्जियों की खेती में थोड़ी मेहनत ज्यादा होती है और मुनाफा डबल हो जाता है गेहूं धान की फसलों के लिए उन्हें मंडियों में वह रेट नहीं मिलते और सरकारों से रेट बढ़ाने के लिए उन्हें हर समय जद्दोजहद करनी पड़ती है.
'कोल्ड स्टोर से बेमौसमी सब्जियों को स्टोर करने में सहूलियत': जैसे जैसे समय बदल रहा है इस गांव के युवा किसान भी खेती के नए आयाम स्थापित कर रहे हैं. युवा किसान साहिल मलिक ने बताया कि वह भी 40 एकड़ पर सब्जियों की खेती करते हैं और साथ ही उन्हें सरकार की तरफ से काफी सहयोग मिल जाता है और दूसरी बड़ी कंपनियों के साथ उनका कॉन्ट्रैक्ट है. अब उन्होंने अपने खेतों में कोल्ड स्टोर भी लगा दिया है, जिससे हर समय वह बेमौसमी सब्जियां भी बाजार में उपलब्ध करवा सकेंगे और अन्य किसानों की फसलों को भी लंबे समय तक तो रखा जा सकेगा.
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