पलवल: विधानसभा चुनाव पास आते ही चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक लोग टिकट लेने के लिए राजनीतिक दलों पर दबाव बनाने के लिए जगह-जगह जनसभा कर रहे हैं. ऐसे में 2009 में इनेलो के टिकट पर पलवल विधानसभा से चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे पूर्व विधायक सुभाष चौधरी इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं. इस चर्चा का विषय बनने का कारण बीजेपी की टिकट है.
सुभाष चौधरी इनेलो को छोड़ चुके हैं. लेकिन बीजेपी में शामिल न होकर भी बीजेपी की टिकट का दावा कर रहे हैं. सुभाष चौधरी के अनुसार बीजेपी के खुद कुछ नेता नहीं चाहते कि सुभाष चौधरी भाजपा ज्वॉइन करें. लेकिन सुभाष चौधरी ने भाजपा के सामने ये फैसला रख दिया है, अगर भाजपा ने उनको टिकट नहीं दिया तो यहां से पलवल की सीट से भाजपा कभी भी अपना उम्मीदवार नहीं जीता पाएगी.
भाजपा को भुगतना पड़ेगा खामियाजा
सुभाष चौधरी ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पलवल विधानसभा से वर्तमान में कांग्रेस के विधायक करण सिंह दलाल हैं. जो काफी मजबूत स्थिति में है. साथ ही सुभाष चौधरी का कहना है कि अगर करण सिंह दलाल को कोई हरा सकता है तो वो केवल सुभाष चौधरी हैं.
ऐसे में अगर भाजपा उनको टिकट देती है तो वो भाजपा को यहां की सीट दिलवा सकते हैं. लेकिन अगर उनको टिकट नहीं दी गई तो वो हो इस सीट से आजाद उम्मीदवार के तौर पर लड़ेंगे. जिसका शायद खामियाजा कहीं ना कहीं भाजपा को जरूर भुगतना होगा. प्रदेश में चुनाव को लेकर आचार संहिता लग चुकी है और सभी पार्टियों ने लगभग अपने उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए हैं.
'बीजेपी को नहीं दी चुनौती'
वहीं सुभाष चौधरी का ये भी कहना है कि उन्होंने कभी बीजेपी को चुनौती नहीं दी है. उनका बीजेपी से ये कहना था कि मेरे क्षेत्र के लोगों की और मेरी भी इच्छा है कि हम बीजेपी में जाएं और बीजेपी में काम करें.
अब देखना ये होगा कि सुभाष चौधरी की इन बातों का भाजपा पर कोई फर्क पड़ता है या फिर आने वाले विधानसभा चुनाव में सुभाष चौधरी आजाद उम्मीदवार के तौर पर इस सीट को भाजपा के हाथों से छीन लेंगे.
ये भी पढ़ें- हरियाणा में बेहद सस्ती है युवाओं की जान! जरा सी चूक से हो सकता है बड़ा हादसा