करनाल: इन दिनों हरियाणा वायु प्रदूषण की जद में है. दिवाली के बाद से ही यहां की हवा और भी जहरीली हो गई है. वहीं, दूसरी ओर यहां एक स्कूल के छोटे-छोटे बच्चे पर्यावरण संरक्षण का न सिर्फ संदेश दे रहे हैं बल्कि पौधारोपण भी कर रहे हैं. इस स्कूल में साग-सब्जी सहित कई तरह के फल-फूल उगाए जा रहे हैं. इन पौधे को यहां के बच्चे शिक्षक के साथ मिलकर लगाते हैं. साथ ही समय-समय पर इन पौधों में पानी और खाद देकर पौधों का संरक्षण भी करते हैं.
पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे स्कूल: दरअसल हम बात कर रहे हैं करनाल जिला के इंद्री खंड जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर नन्हेड़ा गांव के प्राथमिक पाठशाला की. इस पाठशाला की पूरे क्षेत्र में काफी चर्चा है. खास बात यह है कि ये स्कूल दूसरे स्कूलों को न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण को लेकर मोटिवेट कर रहा है बल्कि मुफ्त में पौधा भी बांट भी रहा है. ताकि दूसरे स्कूलों का भी वातावरण स्वच्छ हो और बच्चे पौधारोपण कर प्रकृति से जुड़े और उसके महत्व को समझे.
2016 से शुरू हुई मुहिम: ईटीवी भारत की टीम नन्हेड़ा गांव के प्राथमिक पाठशाला में पहुंची. टीम ने यहां का जायजा लिया. टीम ने देखा कि स्कूल के प्रांगण में साग-सब्जी, फल-फूल सहित कई औषधीय पौधे भी लगे हुए थे. जब टीम ने स्कूल के शिक्षकों और बच्चों से बातचीत की तो पता चला कि पहले स्कूल के पास तालाब हुआ करता था. यहां इतनी रौनक नहीं थी. हालांकि साल 2016 में स्कूल के शिक्षक और प्रधानाध्यापक ने इस मुहिम को शुरू किया. तब से यहां बच्चों को पढ़ाई के साथ ही खेल-खेल में पौधारोपण करने और पौधों की देखभाल करने की शिक्षा दी जा रही है. खास बात तो यह है कि यहां के बच्चे भी इसमें काफी रुचि ले रहे हैं. वृक्षों के नीचे बैठकर यहां के शिक्षक बच्चों को शिक्षा के साथ ही पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दे रहे हैं.
प्रांगण में अध्यापकों और ग्रामीणों के सहयोग से हजारों की संख्या में पौधे लगाए गए हैं. इनमें रंग-बिरंगे फूलों की विभिन्न प्रजातियों के साथ फलदार औषधीय और दुर्लभ वृक्ष भी शामिल है. विद्यालय प्रांगण में आम, बारहमासी अमरफल, अमरुद, नींबू, केला, आडू, शहतूत, आंवला आदि के कई वृक्ष हैं. इनके फलों का वितरण विद्यार्थियों के साथ-साथ ग्रामीणों को भी किया जाता है. -सुनील सिवाच, अध्यापक
यहां कई तरह के औषधीय पौधे भी हैं. इन वृक्षों का लाभ भी मिलता है और पर्यावरण शुद्ध रहता है. ये देखने में भी आकर्षण लगता है. बच्चे भी काफी रुचि लेते हैं. पिछले सीजन में यहां मधुमक्खी के सात छत्ते लग गए थे, जिनसे हमे बिल्कुल शुद्ध शहद मिला है. ऐसे ही फल-सब्जियां भी हमें मिलता है. बच्चों को भी इन पेड़ों को लगाकर, उसकी रक्षा कर अच्छा लगता है. -महिंद्र, अध्यापक
हमें स्कूल आना बहुत ही अच्छा लगता है. गुरुजी के मार्गदर्शन से हमने बहुत से फलदार पौधे लगाए हैं. जो पेड़ फल देने लग जाते हैं, अध्यापकों द्वारा उन्हें विद्यालय के बच्चों में वितरित कर दिया जाता है. हम लोगों से अपील करते हैं कि वे पेड़ न काटे, इनसे हमें बहुत कुछ मिलता है. -स्कूल के स्टूडेंट
दूसरे स्कूलों को बांटा जा रहा पौधा: वहीं, गांव के सरपंच ने जानकारी दी कि पूर्व सरपंचों और ग्रामीणों की दी हुई सौगात को हम सब मिलकर आगे बढ़ा रहे हैं. इस स्कूल को प्रांगण में लगभग 80 प्रजातियों के एक करोड़ से भी अधिक पौधों को लगाया गया है. यहां दूसरे स्कूलों और संस्थाओं के साथ ही लोगों को मुफ्त में पेड़ बांटा जाता है, ताकि लोग पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण में अपना सहयोग दें. बता दें कि इस स्कूल से से प्रेरणा लेकर पास के गांव इस्लामनगर की प्राथमिक पाठशाला भी पौधारोपण कर रही है. इसके साथ ही इस स्कूल की पूरे क्षेत्र में काफी चर्चा है. ये स्कूल पर्यावरण संरक्षण का हर किसी को संदेश दे रही है.
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