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नूंह में जारी आशा वर्कर्स की हड़ताल, सरकार पर अनदेखी का आरोप - आशा वर्कर्स हड़ताल नूंह

मांगों को लेकर आशा वर्कर्स पिछले 1 महीने से भी ज्यादा वक्त से हड़ताल पर बैठीं हैं. उनका आरोप है कि लंबा वक्त गुजर जाने के बाद भी सरकार उनकी मांगों की ओर ध्यान नहीं दे रही है.

asha workers strike continues in nuh
नूंह में जारी आशा वर्कर्स की हड़ताल, सरकार पर अनदेखी का आरोप
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Published : Sep 12, 2020, 2:22 PM IST

नूंह: स्वास्थ्य विभाग के कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाली आशा वर्कर परेशान हैं. मांगें पूरी नहीं होने से नाराज आशा वर्कर करीब 7 अगस्त से लगातार सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा प्रांगण में धरना दे रही हैं, लेकिन एक महीने से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी सरकार उनकी मांगों की ओर ध्यान नहीं दे रही है.

आशा वर्कर सरकार के रवैये से बेहद नाराज हैं और उन्होंने कहा कि जब काम करना होता है तो आशा वर्कर की याद आती है और जब वेतन देना होता है तो सरकार उन्हें भूल जाती है. आशा वर्कर्स ने कहा कि एक मजदूर को भी 4 हजार से ज्यादा रुपये मिल जाते हैं. उन्हें कम से कम न्यूनतम वेतन यानि 18000 हजार रुपए चाहिए. आशा वर्कर्स ने आगे राज्य सरकार की बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ योजना पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वो भी प्रदेश की बेटियां हैं. उनको आज वेतन की वजह से धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ रहा है, लेकिन सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है.

नूंह में जारी आशा वर्कर्स की हड़ताल, सरकार पर अनदेखी का आरोप

ये भी पढ़िए: कृषि अध्यादेशों पर गठित कमेटी किसानों से मांगेगी सुझाव, 3 राउंड में होगी बैठक

आशा वर्कर ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि जब तक सरकार उनकी न्यूनतम वेतन सहित अन्य मांगों पर विचार नहीं करती तब तक उनका धरना प्रदर्शन जारी रहेगा. अब सरकार को तय करना है कि उनको आशा वर्कर का धरना प्रदर्शन कितने दिन तक चलाना है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ आशा प्रतिनिधि मंडल की बैठक होनी है, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई बुलावा उन्हें नहीं मिला है.

नूंह: स्वास्थ्य विभाग के कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाली आशा वर्कर परेशान हैं. मांगें पूरी नहीं होने से नाराज आशा वर्कर करीब 7 अगस्त से लगातार सामान्य अस्पताल मांडीखेड़ा प्रांगण में धरना दे रही हैं, लेकिन एक महीने से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी सरकार उनकी मांगों की ओर ध्यान नहीं दे रही है.

आशा वर्कर सरकार के रवैये से बेहद नाराज हैं और उन्होंने कहा कि जब काम करना होता है तो आशा वर्कर की याद आती है और जब वेतन देना होता है तो सरकार उन्हें भूल जाती है. आशा वर्कर्स ने कहा कि एक मजदूर को भी 4 हजार से ज्यादा रुपये मिल जाते हैं. उन्हें कम से कम न्यूनतम वेतन यानि 18000 हजार रुपए चाहिए. आशा वर्कर्स ने आगे राज्य सरकार की बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ योजना पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वो भी प्रदेश की बेटियां हैं. उनको आज वेतन की वजह से धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होना पड़ रहा है, लेकिन सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है.

नूंह में जारी आशा वर्कर्स की हड़ताल, सरकार पर अनदेखी का आरोप

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आशा वर्कर ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि जब तक सरकार उनकी न्यूनतम वेतन सहित अन्य मांगों पर विचार नहीं करती तब तक उनका धरना प्रदर्शन जारी रहेगा. अब सरकार को तय करना है कि उनको आशा वर्कर का धरना प्रदर्शन कितने दिन तक चलाना है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ आशा प्रतिनिधि मंडल की बैठक होनी है, लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई बुलावा उन्हें नहीं मिला है.

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