काबुल: अफगानिस्तान में गुरुवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए. इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.2 मापी गई. फिलहाल किसी जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है.
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार अफगानिस्तान में गुरुवार को रिक्टर पैमाने पर 4.2 तीव्रता का भूकंप आया. अचानक से धरती से हिलने के बाद लोग घबरा गए. हालांकि, भूकंप यहां के लोगों के लिए कोई नई बात नहीं है. इस आपदा से यहां के लोग अभ्यस्त हो चुके है. यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं. मंगलवार को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे.
भूकंप का केंद्र 180 किमी की गहराई पर था. यह भूकंप बुधवार को आए रिक्टर पैमाने पर 4 तीव्रता वाले भूकंप का आफ्टरशॉक था. अब फिर से यहां आफ्टरशॉक की आशंका है.
EQ of M: 4.2, On: 16/01/2025 00:02:52 IST, Lat: 36.65 N, Long: 71.33 E, Depth: 180 Km, Location: Afghanistan.
— National Center for Seismology (@NCS_Earthquake) January 15, 2025
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इससे पहले मंगलवार को अफगानिस्तान के पड़ोसी देश ताजिकिस्तान में 4.1 तीव्रता का भूकंप आया. भूकंप 28 किमी की गहराई में था. रेड क्रॉस के अनुसार, अफगानिस्तान में शक्तिशाली भूकंपों का इतिहास रहा है. हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला भूगर्भीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है जहां हर साल भूकंप आते हैं. अफगानिस्तान भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के बीच कई फॉल्ट लाइनों पर स्थित है. इसमें एक फॉल्ट लाइन सीधे शहर हेरात से होकर गुजरती है.
जब भूकंप आते हैं तो वे अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों में आते हैं जहां सबसे अधिक नुकसान होता है. ये समुदाय अक्सर दूरदराज इलाके में ऐसे घरों में रहते हैं जो मिट्टी की ईंटों जैसी कम मजबूत सामग्री से बने होते हैं. इससे भूकंक के समय खतरा और भी बढ़ जाता है.
इन गांवों के अलग-थलग होने के कारण, मानवीय संगठनों और सरकारी निकायों से त्वरित सहायता सुनिश्चित करना मुश्किल हो सकता है. अफगानिस्तान में काम करने वाले ब्रिटिश मानवीय और विकास संगठन अफगान सहायता के अनुसार अक्सर ये आपदाएं समुदाय से बाहर महत्वपूर्ण परिवहन संपर्क और सड़कों को नुकसान पहुंचाती हैं. इससे आपातकालीन सेवाओं तक पहुंचना या नुकसान के बारे में आसपास के क्षेत्रों को तुरंत सूचित करना मुश्किल हो जाता है.