करनाल: तकनीक के इस युग में साइबर अपराधी, अपराध करने के नए-2 तरीके अपना रहे हैं. जिसमें एक तरीका फर्जी कस्टमर केयर बनकर लोगों के रुपये ठगना है. साइबर अपराधी फर्जी कस्टमर केयर नंबरों के जरिए आम लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं. आम लोग किसी भी कंपनी के कस्टमर केयर का नंबर पाने के लिए गूगल का सहारा लेते हैं. ऐसे में सर्च इंजन से किसी किसी नंबर का इस्तेमाल करते हुए ये पुख्ता करना जरूरी है कि वो नंबर ऑफिशियल है या नहीं.
फेसबुक और ट्विटर से लेकर गूगल तक ये अपराधी फेक कस्टमर केयर नंबर डालकर रखते हैं. आपने जरा सी गलती की और आप साइबर अपराधियों के जाल में फंस जाते हैं. साइबर अपराधी किसी बैंक, कंपनी या संस्था की वेबसाइट से मिलती जुलती वेबसाइट बनाने से लेकर सोशल साइटों और गूगल मैप आदि पर गलत नम्बर डालकर रखते हैं. जिस वजह से लोग असल और फेक वेबसाइटों में अंतर नही कर पाते हैं. लोग इन नम्बरों को ही अधिकारिक नम्बर समझ लेते हैं और ऐसे लोगों के झांसे में आकर धोखाधडी का शिकार हो जाते हैं.
जरूरी सावधानियां, जिन्हें अपनाकर आप गूगल पर फर्जी कस्टमर केयर नम्बरों की पहचान कर सकते है और ठगी होने से बच सकते हैं. गूगल पर कुछ भी सर्च करते समय रिजल्ट में सबसे ऊपर दिख रही वेबसाइट को ही सही नहीं मानें. सर्च में सबसे ऊपर के रिजल्ट के साथ यदि Ad/Sponsored लिखा दिख रहा है तो उस पर क्लिक करने से परहेज करें. अगर कोई सरकारी वेबसाइट है तो उसके अंत में gov.in या nic.in जरूर होगा. ऐसा है तो वेबसाइट सही है.
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कोई भी वेबसाइट खोलें तो यह अवश्य जांच लें कि वह सिक्योर है या नहीं. ज्यादातर वेबसाइस सिर्फ http होते हैं, लेकिन जिस वेबसाइट की शुरूआत में https है तो वह सुरक्षित है. गूगल मैप के रिजल्ट पर कभी भरोसा नहीं करें. इसे कोई भी एडिट कर सकता है. ट्विटर और फेसबुक पर ब्लूटिक जरूर चेक करें. अगर ये वेरिफाइड है तो सुरक्षित हैं. सोशल मीडिया पर अपराधी, लोगों की शिकायतों पर नजर रखते हैं. आपके शिकायत करते ही इनबॉक्स में कस्टमर केयर बनकर वे अपना नंबर दे सकते हैं. ध्यान रखें कि कोई भी संस्थान सीधे इनबॉक्स में संपर्क नहीं साधता है.
सबसे जरूर बात है कि आप लालच में ना आएं. आज के समय में साइबर क्रिमिनल सस्ता लोन ऑफर करने की वेबसाइट बनाकर ठगी कर रहे हैं. किसी से भी कार्ड नंबर, एटीएम के पीछे लिखा तीन नंबरों का सीवीवी कोड, कार्ड का पिन, नेट बैंकिंग का पासवर्ड और ओटीपी शेयर ना करें.
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साइबर ठगी की ऐसे करें शिकायतः
ठगी का शिकार होने पर सबसे पहले बैंक को असली वेबसाइट के माध्यम से या ईमेल के माध्यम से सूचित करें. सभी बैंकों के ऐप में भी शिकायत करने की सुविधा दी जाती है. पेटीएम, फोनपे जैसे ऐप से ठगी होने पर कंपनियों को उनकी वेबसाइट या ऐप से बतायें. सरकार ने भी बढ़ते साइबर ठगी को लेकर एक हेल्पलाइन नम्बर 155260 की शुरूआत की है.
ठगी का शिकार होने पर इस नम्बर पर अवश्य शिकायत करें या cybercrime.gov.in पोर्टल पर भी ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इसके अलावा नजदीकि पुलिस चौकी या पुलिस थानों में भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. ध्यान रहे कि आप ठगी होने के जितने कम समय में शिकायत करेंगे, आपका पैसा वापस होने के चांस उतने ही ज्यादा होंगे.
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