कैथल: पढ़ाई करने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती. खुद को निरंतर बेहतर बनाने की सोच हो, तो इन्सान किसी भी उम्र में और किसी भी हालात में कुछ ना कुछ अच्छा कर सकता है. गुहला से जेजेपी विधायक ईश्वर सिंह ने कोरोना काल में कुछ ऐसा किया है, जो हर किसी को प्रेरित करने लायक है.
72 वर्षीय ईश्वर सिंह ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान की एमए की प्रथम वर्ष की परीक्षा दी है और वो भी ऑनलाइन तरीके से. निजी छात्र के तौर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के साथ खुद को रजिस्टर कर विधायक ईश्वर सिंह ने लॉकडाउन के समय का सदुपयोग कर पढ़ाई की और घर पर ही ऑनलाइन परीक्षाएं दी. शनिवार को उनका आखिरी परीक्षा था. उनका कहना है कि सभी पेपर अच्छे हुए हैं.
दो बार ले चुके हैं मास्टर्स की डिग्री
बता दें कि, ईश्वर सिंह ने इससे पहले पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और इतिहास में भी एमए की है. यही नहीं, वे एलएलबी और एलएलएम भी कर चुके हैं. कमाल की बात ये है कि उन्होंने ये सभी डिग्रियां जीवन के उस पड़ाव में की. जब आमतौर पर इंसान पढ़ाई लिखाई से निपट कर पूरी तरह कामकाजी हो जाता है. ये सभी डिग्रियां हासिल करने से पहले ही ईश्वर सिंह 1977 में हरियाणा विधानसभा के सदस्य बन चुके थे और उस वक्त वे सिर्फ दसवीं पास थे. दसवीं के बाद जेबीटी कर वे कुछ समय अध्यापक रहे और इमरजेंसी के वक्त राजनीति में आ गए.
कम पढ़े लिखे होने की वजह से दे दिए इस्तीफा
ईश्वर सिंह बताते हैं कि दसवीं पास विधायक तो वे बन गए, लेकिन राजनीतिक उठापठक के बीच उसी कार्यकाल के दौरान उन्हें हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड का चेयरमैन बनने का भी अवसर मिल गया. ये थी तो एक उपलब्धि, लेकिन ईश्वर सिंह के मन के भीतर ये बात चुभने लगी कि वे राज्य के बारहवीं तक के बच्चों के लिए नीतियां बनाने जा रहे हैं. जबकि वे खुद दसवीं पास ही हैं.
बोर्ड की दूसरी मीटिंग के बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया और निश्चय किया कि अपने जीवन के इस अधूरेपन को पूरा करेंगे. विधायक का कार्यकाल समाप्त होते ही उन्होंने आगे की पढ़ाई शुरू कर दी. 27 साल की उम्र में विधायक बने ईश्वर सिंह ने जीवन के 34वें साल में 12वीं और 37 वर्ष की उम्र में स्नातक की डिग्री ली. इसके तुरंत बाद उन्होंने इतिहास से एमए की. एमए की परीक्षा देते समय उस वक्त के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर ने उन्हें एलएलबी करने की सलाह दी. 42 वर्ष की उम्र में ईश्वर सिंह ने एलएलबी भी कर ली और 6 महीने तक कुरुक्षेत्र में वकालत की. वे आज भी कुरुक्षेत्र बार एसोसिएशन के सदस्य हैं. बाद में उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में भी एमए की.
ऑनलाइन दे रहे एमए की परीक्षा
ईश्वर सिंह ने हाल की परीक्षा ऑनलाइन माध्यम से दी है. वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की वेबसाइट से तय समय पर परीक्षा पत्र डाउनलोड करते हैं और फिर उसके जवाब तैयार करते हैं. उत्तर पुस्तिका को स्कैन कर वे इमेल के जरिये तीन घंटे के तय समय में विश्वविद्यालय की दी हुई इमेल पर भेज देते हैं.
परीक्षा के महत्व को देखते हुए सीख ली तकनीक
उनका कहना है कि तकनीक नई जरूर है, लेकिन परीक्षा का महत्व जीवन में इतना अधिक है कि उन्होंने इस तकनीक को भी सीख लिया. ईश्वर सिंह कहते हैं कि उनके राजनीतिक जीवन में उनकी पढ़ाई-लिखाई और शिक्षा से जुड़े रहने का बहुत सहयोग मिला है. इसी लगन की बदौलत वे देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा पहुंचे और फिर देश के अनुसूचित जाति आयोग में सदस्य बनने का भी उन्हें अवसर मिला. इस वक्त हरियाणा विधानसभा में जननायक जनता पार्टी के विधायक के तौर पर वे विधानसभा की महत्वपूर्ण समिति के चेयरमैन हैं और वहां भी अपना काम पूरी सजगता के साथ करते हैं. ईश्वर सिंह का कहना है कि इंसान को जीवन में जब भी कुछ सीखने का अवसर मिले, तभी उसे ग्रहण कर लेना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए.
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