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उमेद लोहान ने दिया पीटीआई अध्यापकों के प्रदर्शन को समर्थन - पीटीआई अध्यापक प्रदर्शन हिसार

सोमवार को कांग्रेस नेता उमेद लोहान हिसार में पीटीआई अध्यापकों के प्रदर्शन को समर्थन देने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी सरकार सुप्रीम कोर्ट के नाम पर पीटीआई अध्यापकों की रोजी रोटी छीनने का काम कर रही है.

congress leader umed lohan supported PTI teachers protest in hisar
उमेद लोहान ने दिया पीटीआई अध्यापकों के प्रदर्शन को समर्थन
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Published : Jun 22, 2020, 10:54 PM IST

हिसार: सोमवार को पीटीआई अध्यापकों के प्रदर्शन को समर्थन देने कांग्रेस नेता उमेद लोहान हिसार पहुंचे. इस दौरान उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि रोजगार देने के बड़े-बड़े दावे करने वाली बीजेपी सरकार लोगों की रोजी रोटी छीन रहरी है. उन्होंने सरकार से मांग की कि पीटीआई अध्यापकों को जल्द से जल्द दोबारा नौकरी पर रखा जाए.

कांग्रेस नेता उमेद लोहान ने कहा कि पिछले 10 साल से नौकरी कर अपने परिवार का पेट पाल रहे हजारों पीटीआई शिक्षकों की रोजी-रोटी छीनकर सरकार उनके पेट पर लात मारने का काम कर रही है. इस समय तो सरकार को बेरोजगार लोगों के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था करनी चाहिए लेकिन जिनके पास रोजगार है सरकार उनके ही रोजगार छीनने पर तुली हुई है. उन्होंने भाजपा सरकार से मांग की कि वह माननीय सुप्रीम कोर्ट के नाम से बहानेबाजी बंद करे और 1983 पीटीआई अध्यापकों की नौकरी को तुरंत बहाल करे.

ये भी पढ़ें: कथित संत रामपाल के बेटे को हाई कोर्ट से मिली जमानत

लोहान ने कहा कि यदि भाजपा सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के प्रति इतनी ही गंभीर है तो एसवाईएल नहर का फैसला हरियाणा के पक्ष में आया हुआ है. भाजपा सरकार उस नहर का निर्माण क्यूं नहीं करवाती. जबकि प्रदेश और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की हुड्डा सरकार ने रोजगार के मामले में और कर्मचारियों के हितों की कभी अनदेखी नहीं होने दी. हमेशा उनके हितों का ख्याल रखा है लेकिन भाजपा सरकार न केवल कर्मचारी विरोधी है बल्कि इसमें मानवता नाम की कोई चीज नहीं है. वर्षों से नौकरी कर रहे पीटीआई आध्यापकों के साथ भाजपा सरकार अन्याय कर रही है.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?

साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.

इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर उनकी नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं. बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करे.

हिसार: सोमवार को पीटीआई अध्यापकों के प्रदर्शन को समर्थन देने कांग्रेस नेता उमेद लोहान हिसार पहुंचे. इस दौरान उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि रोजगार देने के बड़े-बड़े दावे करने वाली बीजेपी सरकार लोगों की रोजी रोटी छीन रहरी है. उन्होंने सरकार से मांग की कि पीटीआई अध्यापकों को जल्द से जल्द दोबारा नौकरी पर रखा जाए.

कांग्रेस नेता उमेद लोहान ने कहा कि पिछले 10 साल से नौकरी कर अपने परिवार का पेट पाल रहे हजारों पीटीआई शिक्षकों की रोजी-रोटी छीनकर सरकार उनके पेट पर लात मारने का काम कर रही है. इस समय तो सरकार को बेरोजगार लोगों के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था करनी चाहिए लेकिन जिनके पास रोजगार है सरकार उनके ही रोजगार छीनने पर तुली हुई है. उन्होंने भाजपा सरकार से मांग की कि वह माननीय सुप्रीम कोर्ट के नाम से बहानेबाजी बंद करे और 1983 पीटीआई अध्यापकों की नौकरी को तुरंत बहाल करे.

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लोहान ने कहा कि यदि भाजपा सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के प्रति इतनी ही गंभीर है तो एसवाईएल नहर का फैसला हरियाणा के पक्ष में आया हुआ है. भाजपा सरकार उस नहर का निर्माण क्यूं नहीं करवाती. जबकि प्रदेश और केंद्र दोनों जगह भाजपा की सरकार है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की हुड्डा सरकार ने रोजगार के मामले में और कर्मचारियों के हितों की कभी अनदेखी नहीं होने दी. हमेशा उनके हितों का ख्याल रखा है लेकिन भाजपा सरकार न केवल कर्मचारी विरोधी है बल्कि इसमें मानवता नाम की कोई चीज नहीं है. वर्षों से नौकरी कर रहे पीटीआई आध्यापकों के साथ भाजपा सरकार अन्याय कर रही है.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?

साल 2010 में कांग्रेस की भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी. उस समय हरियाणा में 1983 पीटीआई शिक्षकों की भर्ती की गई थी. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था.

इसके खिलाफ पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था.इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर उनकी नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं. बर्खास्त किए गए पीटीआई अध्यापकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी नियुक्त किए गए पीटीआई अध्यापकों को गलत नहीं माना. पीटीआई अध्यापकों कहा कहना है कि सरकार की गलती की सजा उनको नहीं मिलनी चाहिए. इसलिए हरियाणा सरकार उन्हें दोबारा नियुक्त करे.

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