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कुरूक्षेत्रः धान की खेती पर रोक के खिलाफ सड़कों पर उतरे किसान, जाने पूरा मामला

प्रदेश सरकार ने प्रदेश के कई इलाकों में धान की खेती पर रोक लगा दी है. जिसको लेकर प्रदेश के किसान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने लगे हैं. ऐसे सिलसिले में कुरूक्षेत्र के शाहबाद में भी किसानों ने सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और सरकार के फैसले का विरोध किया.

Farmers protest against haryana government
Farmers protest against haryana government
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Published : May 16, 2020, 1:12 PM IST

Updated : May 16, 2020, 3:49 PM IST

कुरूक्षेत्रः प्रदेश के कई इलाकों में धान की खेती पर सरकार की ओर से लगाई गई रोक को लेकर कुरूक्षेत्र के शाहबाद उपमंडल में किसान यूनियन की बैठक हुई और उसके बाद सड़कों पर उतर कर किसानों ने सरकार के फैसले के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. किसान सरकार के इस फैसले को तुगलकी फरमान बता रहे हैं और उनका कहना है कि सरकार ने बिना सर्वे कराए ये फैसला लिया है.

क्यों विरोध कर रहे हैं किसान ?

किसानों का कहना है सरकार ने जिन इलाकों में धान की खेती पर रोक लगाई है. उन क्षेत्रों में 4 तरह की जमीने हैं, पहली बाढ़ ग्रस्त, दूसरी खेत से बाहर पानी नहीं निकलने वाली जमीन, तीसरी कल्लर जमीन, चौथी चिकनी मिट्टी वाली जमीन. ये जमीने मक्का और बाजरे की फसल की लिए उपयुक्त नहीं है. ऐसे में किसानों के पास धान लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

किसानों का कहना है कि इलाके के 19 हलके के विधायकों को ज्ञापन दिया जाएगा और उनसे मांग की जाएगी कि वह सरकार पर दबाव बनाएं कि सरकार इस फैसले को वापस ले. वहीं किसानों का ये भी कहना है कि वो धान की फसल लगाएंगे और सरकार ने यदि फसल खरीदने से मना किया तो वो पूरे इलाके को जाम कर देंगे.

कुरूक्षेत्रः धान की खेती पर रोक के खिलाफ सड़कों पर उतरे किसान

सरकार क्यों लगा रही है धान की खेती पर रोक ?

आपकों बता दें प्रदेश में 36 ब्लॉक ऐसे हैं, जहां पिछले 12 वर्षों में भूजल स्तर में गिरावट दोगनी हुई है. जहां पहले पानी की गहराई 20 मीटर थी, वहां आज 40 मीटर हो गई है. प्रदेश में ऐसे 19 ब्लॉक हैं, जहां पानी की गहराई 40 मीटर से ज्यादा हो गई है. लेकिन इनमें से 11 ब्लॉक ऐसे हैं, जिसमें धान की फसल नहीं होती.

जबकि 8 ब्लॉकों रतिया, सीवान, गुहला, पीपली, शाहबाद, बबैन, ईस्माइलाबाद और सिरसा में वाटर लेवल 40 मीटर से ज्यादा है, इनमें धान की बिजाई होती है. ऐसे में इन इलाकों में सरकार ने धान की खेती पर रोक लगाई है.

सरकार की ओर से लगाई गई ये रोक गैर बासमती धान के लिए है.

क्या कहना है सरकार का ?

इसके लिए सरकार ने किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ को हिसाब से मुआवजा देने की घोषणा की है. सरकार किसानों को धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली फसलें जैसे मक्का, अरहर, उड़द, ग्वार, कपास, बाजरा, तिल और ग्रीष्म मूंग की बुआई करने की सलाह दे रही है. सरकार का कहना है कि वह मक्का और दालों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करेगी.

हरियाणा में धान का गणित

हरियाणा में प्रति एकड़ औसतन 26 क्विंटल धान पैदा होता है. राज्य में इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 1835 रुपये प्रति क्विंटल है. मतलब ये है कि एक एकड़ में 47,710 रुपये का धान होता है. ऐसे में एक सवाल ये भी खड़ा होता है कि 7000 रुपये प्रति एकड़ के मुआवजे पर किसान धान की फसल छोड़ने को कैसे तैयार होगा.

ये भी पढ़ेंः- कैथल: धान की खेती को लेकर किसानों ने किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

कुरूक्षेत्रः प्रदेश के कई इलाकों में धान की खेती पर सरकार की ओर से लगाई गई रोक को लेकर कुरूक्षेत्र के शाहबाद उपमंडल में किसान यूनियन की बैठक हुई और उसके बाद सड़कों पर उतर कर किसानों ने सरकार के फैसले के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. किसान सरकार के इस फैसले को तुगलकी फरमान बता रहे हैं और उनका कहना है कि सरकार ने बिना सर्वे कराए ये फैसला लिया है.

क्यों विरोध कर रहे हैं किसान ?

किसानों का कहना है सरकार ने जिन इलाकों में धान की खेती पर रोक लगाई है. उन क्षेत्रों में 4 तरह की जमीने हैं, पहली बाढ़ ग्रस्त, दूसरी खेत से बाहर पानी नहीं निकलने वाली जमीन, तीसरी कल्लर जमीन, चौथी चिकनी मिट्टी वाली जमीन. ये जमीने मक्का और बाजरे की फसल की लिए उपयुक्त नहीं है. ऐसे में किसानों के पास धान लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

किसानों का कहना है कि इलाके के 19 हलके के विधायकों को ज्ञापन दिया जाएगा और उनसे मांग की जाएगी कि वह सरकार पर दबाव बनाएं कि सरकार इस फैसले को वापस ले. वहीं किसानों का ये भी कहना है कि वो धान की फसल लगाएंगे और सरकार ने यदि फसल खरीदने से मना किया तो वो पूरे इलाके को जाम कर देंगे.

कुरूक्षेत्रः धान की खेती पर रोक के खिलाफ सड़कों पर उतरे किसान

सरकार क्यों लगा रही है धान की खेती पर रोक ?

आपकों बता दें प्रदेश में 36 ब्लॉक ऐसे हैं, जहां पिछले 12 वर्षों में भूजल स्तर में गिरावट दोगनी हुई है. जहां पहले पानी की गहराई 20 मीटर थी, वहां आज 40 मीटर हो गई है. प्रदेश में ऐसे 19 ब्लॉक हैं, जहां पानी की गहराई 40 मीटर से ज्यादा हो गई है. लेकिन इनमें से 11 ब्लॉक ऐसे हैं, जिसमें धान की फसल नहीं होती.

जबकि 8 ब्लॉकों रतिया, सीवान, गुहला, पीपली, शाहबाद, बबैन, ईस्माइलाबाद और सिरसा में वाटर लेवल 40 मीटर से ज्यादा है, इनमें धान की बिजाई होती है. ऐसे में इन इलाकों में सरकार ने धान की खेती पर रोक लगाई है.

सरकार की ओर से लगाई गई ये रोक गैर बासमती धान के लिए है.

क्या कहना है सरकार का ?

इसके लिए सरकार ने किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ को हिसाब से मुआवजा देने की घोषणा की है. सरकार किसानों को धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली फसलें जैसे मक्का, अरहर, उड़द, ग्वार, कपास, बाजरा, तिल और ग्रीष्म मूंग की बुआई करने की सलाह दे रही है. सरकार का कहना है कि वह मक्का और दालों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करेगी.

हरियाणा में धान का गणित

हरियाणा में प्रति एकड़ औसतन 26 क्विंटल धान पैदा होता है. राज्य में इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 1835 रुपये प्रति क्विंटल है. मतलब ये है कि एक एकड़ में 47,710 रुपये का धान होता है. ऐसे में एक सवाल ये भी खड़ा होता है कि 7000 रुपये प्रति एकड़ के मुआवजे पर किसान धान की फसल छोड़ने को कैसे तैयार होगा.

ये भी पढ़ेंः- कैथल: धान की खेती को लेकर किसानों ने किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन

Last Updated : May 16, 2020, 3:49 PM IST
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