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अगले 10 दिनों में फिर हो सकता है टिड्डी अटैक, जानें कितना तैयार है हरियाणा

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Published : Jul 17, 2020, 3:42 PM IST

हरियाणा में 22 जुलाई से एक बार फिर टिड्डी दल के हमले में तेजी की संभावना जताई गई है. कृषि विभाग ने टिड्डी दल से निपटने के लिए सरकार की तैयारी और नुकसान से बचने के लिए उठाए जा रहे कदमों को लेकर जानकारी दी गई है.

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अगले 10 दिनों में फिर हो सकता है टिड्डी अटैक, जानें कितना तैयार है हरियाणा

चंडीगढ़ः प्रदेश में 22 जुलाई के बाद टिड्डी दल के हमले में तेजी आने की संभावना जताई गई है. जिसके मद्देनजर टिड्डी दल पर काबू पाने और फसलों को नुकसान से बचाने के प्रयासों में तेजी की जा रही है. इसके लिए अन्य बचाव उपायों के अलावा कीटनाशक लैम्ब्डा-सिहलोथ्रिन 5ईसी की अतिरिक्त मात्रा में स्टॉक करने की व्यवस्था की जा रही है. इस संबंध में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने जानकारी दी.

टिड्डी दल का हमला

  • 22 जुलाई के बाद दक्षिण हरियाणा में हो सकता है टिड्डी दल का हमला
  • नूंह, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, भिवानी और चरखी दादरी जिले सावधान!
  • खतरे में 13,038 एकड़ से अधिक क्षेत्र

कितनी है तैयारी?

टिड्डियों को मारने के लिए कृषि विभाग एवं तमाम सरकारी एजेंसी लैम्ब्डा-सिहलोथ्रिन नाम के कीटनाशक की व्यवस्था करने में जुटे हैं. कीटनाशक के हवाई स्प्रे के लिए तीन ड्रोन भी खरीदे गए थे.

  • कृषि विभाग- 20,000 लीटर
  • हैफेड- 10,000 लीटर
  • बीज विकास निगम- 4,000 लीटर
  • राज्य भूमि सुधार विकास निगम- 6,000 लीटर

हैफेड, एचएलआरडीसी और एचएसडीसी के पास पहले से ही लगभग 48,000 लीटर क्लोरपाइरिफास का स्टॉक है, इसके साथ-साथ 66 फायर ब्रिगेड वाहन और 3,540 ट्रैक्टर-माउंटेड स्प्रे पंप उपलब्ध थे. राज्य सरकार पेड़ों पर इस्तेमाल करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा यूनाइटेड किंगडम (यूके) से खरीदी जा रही फॉगिंग मशीनें भी लेगी.

ये भी पढ़ेंः फरीदाबाद: सिर पर मॉनसून, बडे़-बड़े दावे कर नालों की सफाई करवाना भूल गया नगर निगम?

नुकसान से बचने की कोशिश

झज्जर, पलवल और नूंह जिलों के किसानों ने टिड्डियों के झुंडों द्वारा फसलों को हुए नुकसान के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है, जबकि अधिकांश जिलों में किसानों को पांच से दस प्रतिशत के नुकसान का सामना करना पड़ा है. जिसको देखते हुए कोशिश की जा रही है कि इस बार सबसे ज्यादा प्रभावित जिले रेवाड़ी और सिरसा में 30 प्रतिशत से अधिक का नुकसान न हो.

पिछले हमले को विभाग ने कैसे संभाला?

  • विभाग के अधिकारियों द्वारा 8,245 एकड़ में 4,808 लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया गया है. अधिकारियों को किसानों द्वारा भी सहयोग प्रदान किया गया. जिन्होंने बर्तनों को पीट कर आवाज करके टिड्डी दल को भगाया.
  • झज्जर में कोई नुकसान दर्ज नहीं किया गया, जहां विभाग की टीमों ने 170 एकड़ में 100 लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया गया.
  • पलवल में 1,055 एकड़ में 421 लीटर का छिडक़ाव किया गया, और जिला नूंह में, जहां वन और पहाड़ी क्षेत्रों में 1,000 एकड़ में 480 लीटर का छिड़काव किया गया.
  • नारनौल में लगभग 93 प्रतिशत से 95 प्रतिशत तक बाजरे और कपास की फसलों को बचाया गया, जहां 125 एकड़ में 543 लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया गया.
  • भिवानी में 1,246 एकड़ में 1,072 लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया गया, जिसके परिणमास्वरूप वहां किसानों ने दस प्रतिशत तक का नुकसान दर्ज करवाया.
  • चरखी दादरी में किसानों ने 15 प्रतिशत तक के नुकसान की सूचना दी, जहां कपास, बाजरा, चारे और गन्ने की फसलों के साथ 1,337 एकड़ में 551 लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया गया.
  • सिरसा में किसानों ने कपास और धान की फसल की 20 प्रतिशत तक नुकसान होने की सूचना दी और यहां 1,250 एकड़ में 600 लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया गया.
  • रेवाड़ी जिले में 2,062 एकड़ में 1,041 लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया गया, जहां 30 प्रतिशत तक का नुकसान दर्ज किया गया है.

चंडीगढ़ः प्रदेश में 22 जुलाई के बाद टिड्डी दल के हमले में तेजी आने की संभावना जताई गई है. जिसके मद्देनजर टिड्डी दल पर काबू पाने और फसलों को नुकसान से बचाने के प्रयासों में तेजी की जा रही है. इसके लिए अन्य बचाव उपायों के अलावा कीटनाशक लैम्ब्डा-सिहलोथ्रिन 5ईसी की अतिरिक्त मात्रा में स्टॉक करने की व्यवस्था की जा रही है. इस संबंध में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने जानकारी दी.

टिड्डी दल का हमला

  • 22 जुलाई के बाद दक्षिण हरियाणा में हो सकता है टिड्डी दल का हमला
  • नूंह, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, भिवानी और चरखी दादरी जिले सावधान!
  • खतरे में 13,038 एकड़ से अधिक क्षेत्र

कितनी है तैयारी?

टिड्डियों को मारने के लिए कृषि विभाग एवं तमाम सरकारी एजेंसी लैम्ब्डा-सिहलोथ्रिन नाम के कीटनाशक की व्यवस्था करने में जुटे हैं. कीटनाशक के हवाई स्प्रे के लिए तीन ड्रोन भी खरीदे गए थे.

  • कृषि विभाग- 20,000 लीटर
  • हैफेड- 10,000 लीटर
  • बीज विकास निगम- 4,000 लीटर
  • राज्य भूमि सुधार विकास निगम- 6,000 लीटर

हैफेड, एचएलआरडीसी और एचएसडीसी के पास पहले से ही लगभग 48,000 लीटर क्लोरपाइरिफास का स्टॉक है, इसके साथ-साथ 66 फायर ब्रिगेड वाहन और 3,540 ट्रैक्टर-माउंटेड स्प्रे पंप उपलब्ध थे. राज्य सरकार पेड़ों पर इस्तेमाल करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा यूनाइटेड किंगडम (यूके) से खरीदी जा रही फॉगिंग मशीनें भी लेगी.

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नुकसान से बचने की कोशिश

झज्जर, पलवल और नूंह जिलों के किसानों ने टिड्डियों के झुंडों द्वारा फसलों को हुए नुकसान के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है, जबकि अधिकांश जिलों में किसानों को पांच से दस प्रतिशत के नुकसान का सामना करना पड़ा है. जिसको देखते हुए कोशिश की जा रही है कि इस बार सबसे ज्यादा प्रभावित जिले रेवाड़ी और सिरसा में 30 प्रतिशत से अधिक का नुकसान न हो.

पिछले हमले को विभाग ने कैसे संभाला?

  • विभाग के अधिकारियों द्वारा 8,245 एकड़ में 4,808 लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया गया है. अधिकारियों को किसानों द्वारा भी सहयोग प्रदान किया गया. जिन्होंने बर्तनों को पीट कर आवाज करके टिड्डी दल को भगाया.
  • झज्जर में कोई नुकसान दर्ज नहीं किया गया, जहां विभाग की टीमों ने 170 एकड़ में 100 लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया गया.
  • पलवल में 1,055 एकड़ में 421 लीटर का छिडक़ाव किया गया, और जिला नूंह में, जहां वन और पहाड़ी क्षेत्रों में 1,000 एकड़ में 480 लीटर का छिड़काव किया गया.
  • नारनौल में लगभग 93 प्रतिशत से 95 प्रतिशत तक बाजरे और कपास की फसलों को बचाया गया, जहां 125 एकड़ में 543 लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया गया.
  • भिवानी में 1,246 एकड़ में 1,072 लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया गया, जिसके परिणमास्वरूप वहां किसानों ने दस प्रतिशत तक का नुकसान दर्ज करवाया.
  • चरखी दादरी में किसानों ने 15 प्रतिशत तक के नुकसान की सूचना दी, जहां कपास, बाजरा, चारे और गन्ने की फसलों के साथ 1,337 एकड़ में 551 लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया गया.
  • सिरसा में किसानों ने कपास और धान की फसल की 20 प्रतिशत तक नुकसान होने की सूचना दी और यहां 1,250 एकड़ में 600 लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया गया.
  • रेवाड़ी जिले में 2,062 एकड़ में 1,041 लीटर कीटनाशक का छिड़काव किया गया, जहां 30 प्रतिशत तक का नुकसान दर्ज किया गया है.
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