चंडीगढ़: हरियाणा में स्कूल मर्जर (school merger in haryana) की खबरों पर शिक्षा विभाग ने संज्ञान लेते हुए विभागीय स्थिति को साफ किया है. विभाग की ओर से इस बारे में कहा गया है कि अनावश्यक रूप से किसी भी स्कूल को मर्ज नहीं किया जा रहा है. केवल उन्हीं स्कूलों को मर्ज किया जा रहा है जिनमें छात्रों की संख्या 20 से कम हैं. ऐसे स्कूल जो एक ही वार्ड या गांव के 3 किलोमीटर के दायरे में आते हैं, ताकि बच्चे शिक्षक की कमी से ना जूझें. हर छात्र को शिक्षक और हर शिक्षक को छात्र मिल सके.
विभाग (haryana education department) की तरफ से कहा गया कि रेशनेलाइजेशन का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि इससे अधीनस्थ स्कूलों के हेड का ना केवल बोझ कम होगा, बल्कि वो बच्चों को पढ़ाई के लिए अधिक वक्त दे पाएगा. स्कूल और स्टाफ से संबंधित सभी प्रकार के कार्यों का बोझ मुख्य स्कूल के मुखिया पर ही होगा. वेतन बनाने से लेकर छुट्टी स्वीकृत जैसे तमाम अतिरिक्त कार्यों से मुक्ति मिलेगी और स्कूली कार्यों के लिए बीईओ दफ्तर के चक्कर भी नहीं काटने पड़ेंगे.
विभाग की ओर से एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है. वो ये कि सभी प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में सह शिक्षा को लागू करना. विभाग इस दिशा में भी कार्य कर रहा है, ताकि सभी छात्रों को सही अनुपात में शिक्षक उपलब्ध हो सकें और सभी बच्चों को एक अच्छे, प्रतियोगी और बिना भेदभाव के वातावरण में पढ़ने का माहौल मिले. इसलिए एक ही गांव या वार्ड के लड़कियों और लड़कों के स्कूलों को भी एक ही प्रांगण में सह शिक्षा देने की योजना विभाग ने बनाई है.
गौरतलब है कि फिलहाल कक्षा 6 से 12वीं तक 45 छात्रों पर एक सेक्शन बनाया गया है, सर्वे के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर छात्रों की 18 फीसदी अनुपस्थिति दर है. जिसके हिसाब से करीब 8 छात्र प्रतिदिन अनुपस्थित रहते हैं, जिससे साफ है कि वास्तव में 37 छात्र एक सेक्शन में पढ़ाई करते हैं, जबकि नई शिक्षा नीति भी 35 छात्रों पर एक सेक्शन बनाने की बात कहती है. इसी तरह हर छात्र के लिए स्कूल में 45 घंटे प्रति सप्ताह और 180 घंटे प्रति मास पढ़ाई के लिए दिया गया है.
जबकि 36 पीरियड प्रत्येक सप्ताह हर अध्यापक को लेने अनिवार्य हैं. इस समय राज्य के स्कूल 147 घंटे प्रतिमाह लग रहे हैंस, जो कि RTE नियम से 33 घंटे कम हैं. गौरतलब है कि छात्र शिक्षक अनुपात को सुधारने के लिए रेशनेलाइजेश या स्कूल मर्जर पहली बार नहीं हो रहा है, इससे पहले साल 2013 में भी करीब 800 स्कूलों को रेशनेलाइजेशन के दायरे में लाया गया था. नई शिक्षा नीति के तहत हर छात्र को ना केवल अध्यापक उपलब्ध होंगे, बल्कि बच्चों को पढ़ाई का समय भी मिल सकेगा.
जिन 97 स्कूलों को 20 से कम छात्र संख्या के चलते मर्ज किया गया है. उन स्कूलों को दाखिले बढ़ने पर फिर से खोलने का आश्वासन भी विभाग की ओर से दिया गया है. विभाग की ओर से गम्भीर प्रयास है कि शिक्षकों की कमी को जल्द पूरा किया जाए. इसी के तहत जल्द ही विभाग ट्रांसफर ड्राइव के बाद रिक्त पदों को एचएसएससी या भर्ती संबंधी दूसरी संस्थाओं और कौशल विभाग के जरिए भरेगा. विभाग की योजना है कि दीपावली से पहले हर स्तर पर शिक्षकों की कमी को पूरी तरीके से दूर किया जाए.
ऑनलाइन टीचर ट्रांसफर पॉलिसी पर भी विभाग ने स्थिति साफ की है. विभाग की ओर से शिक्षकों को आश्वस्त किया गया है कि टीचर स्थानांतरण प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी की जा रही है. विभाग की ओर से एक हेल्प डेस्क इस बारे में बनाया गया है0 जिसका नंबर 01725049801 है. इस नंबर को शिक्षकों को शेयर भी किया गया है, ताकि तबादले से सम्बंधित अगर कोई भी समस्या आती है. तो उसका समाधान तुरन्त प्रभाव से किया जाए. इसके अलावा विभाग की ओर से तबादले में शामिल प्रत्येक अध्यापक को सुगम पोर्टल की भी सुविधा दी है. जिससे कि तबादले के बाद भी शिक्षक 15 दिन तक अपनी शिकायत पोर्टल पर दे सकता है.
जिसका समाधान विभाग की ओर से तय समय में किया जाएगा. फिलहाल अभी तक करीब 7000 अध्यापक अपनी पसंद के स्कूलों का ऑप्शन भर चुके हैं. जिनमें 4166 पीजीटी, 1071 टीजीटी, 833 सीएंडवी, 492 ईएसएचएम, 225 प्रिंसिपल,125 हेडमास्टर, विभिन्न ट्रेड के 17 वोकेशनल इंस्ट्रक्टर शामिल हैं. विभाग की ओर से स्कूल ऑप्शन भरने के लिए अध्यापकों को और समय दिया जाएगा, ताकि सभी योग्य अध्यापक अपनी पसंद के स्कूल में ज्वाइन कर सकें. विभाग की ओर से मेवात काडर के शिक्षकों को भी आश्वस्त किया गया है कि वहां भी शिक्षकों की कमी को जल्द दूर किया जाएगा.