नई दिल्ली/चंडीगढ़ः सीबीआई ने बोफोर्स मामले की नए सिरे से जांच कराने के लिए दायर अर्जी वापस ले ली है. इसके पहले कोर्ट दस्तावेजों की उपलब्धता नहीं होने के कारण कई बार सुनवाई टाल चुका था. कोर्ट को जब ये बताया गया कि दस्तावेज अभी लाए नहीं गए हैं. 27 फरवरी 2018 को भी कोर्ट ने कहा था कि ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए अभी सुनवाई करना मुमकिन नहीं है.
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Earlier,Chief Metropolitan Magistrate Naveen Kashyap raised question 'why does CBI need court's permission to proceed with further investigation in matter" and asked CBI to place on record case laws to show that it needs permission from the court to probe further in Bofors case https://t.co/5b9xQYeCqp
— ANI (@ANI) May 16, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) May 16, 2019Earlier,Chief Metropolitan Magistrate Naveen Kashyap raised question 'why does CBI need court's permission to proceed with further investigation in matter" and asked CBI to place on record case laws to show that it needs permission from the court to probe further in Bofors case https://t.co/5b9xQYeCqp
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CBI ने किया था नए सबूतों का दावा
सीबीआई ने याचिका दायर कर कहा था कि इस मामले में नए तथ्य और सबूत मिले हैं जिनके आधार पर मामले की दोबारा जांच की जरूरत है. दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 मई 2005 को बोफोर्स मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. सीबीआई द्वारा ये याचिका तब दायर की गई थी जब अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सीबीआई को दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती न देने की सलाह दी थी.
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Delhi Court allows the CBI to withdraw the application and questions Ajay Aggarwal's locus standi in the matter,next hearing in the case on July 6 https://t.co/5b9xQYeCqp
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2 नवंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने बोफोर्स मामले में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा हिंदुजा बंधुओं को क्लीन चिट देने के 2005 के फैसले के खिलाफ दाखिल सीबीआई की अपील को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने सीबीआई से कहा था कि 13 साल के बाद इस अपील का क्या मतलब है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में एक और याचिकाकर्ता की अपील लंबित है आप उस याचिका पर सुनवाई के समय अपना पक्ष रखिएगा. सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा था कि इस मामले में नए तथ्य सामने आए हैं. जिन पर विचार करना जरूरी है तब कोर्ट ने कहा कि दूसरी लंबित याचिका पर आप अपना पक्ष रखें. लेकिन अब सीबीआई ने खुद अपनी याचिका वापस ले ली है.