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एमबीबीएस की फीस बढ़ोत्तरी का फैसला वापस ले सरकार- हुड्डा

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Published : Nov 4, 2022, 8:32 PM IST

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने कई मामले को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा है. हुड्डा ने एमबीबीएस फीस लेकर खास तौर पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया. हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में एमबीबीएस फीस (MBBS fee issue in Haryana) बढ़ाने का फैसला तुरंत वापस होना चाहिए.

एमबीबीएस फीस पर हुड्डा का बयान
एमबीबीएस फीस पर हुड्डा का बयान

चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश सरकार द्वारा एमबीबीएस की फीस (MBBS fee issue in Haryana) में बढ़ोतरी के फैसले को वापस लेने की मांग की है. हुड्डा का कहना है कि सरकार गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों को मेडिकल शिक्षा से वंचित करना चाहती है. इसलिए कभी उनके ऊपर 40 लाख के बॉन्ड की शर्त थोप दी जाती है तो कभी फीस को 50 हजार से बढ़ाकर सीधा 10 लाख कर दिया जाता है. लगातार विद्यार्थी इसका विरोध कर रहे हैं. विपक्ष ने भी सड़क से लेकर विधानसभा तक में इस मुद्दे को उठाया है लेकिन, प्रदेश सरकार विद्यार्थियों की मांगे मानने के लिए तैयार नहीं है.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) ने सीईटी के परीक्षा केंद्र दूर-दूर दिए जाने पर भी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि विपक्ष ने जब विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था तो सरकार ने खुद गृह जिले या साथ लगते जिले में परीक्षाएं करवाने की हामी भरी थी. लेकिन एकबार फिर अपने वादे से मुकरते हुए सरकार ने बेरोजगार युवाओं को प्रताड़ित करने का काम किया है. फ्री बस सेवा के रजिस्ट्रेशन को लेकर भी हर जगह हजारों युवाओं की भीड़ उमड़ रही है.

पूर्व सीएम ने कहा कि जिस समय विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारी करनी थी, वह समय उन्हें लंबी-लंबी कतारों में बर्बाद करना पड़ रहा है. हुड्डा ने कहा कि इस सरकार के पास युवाओं को राहत देने का कोई रोडमैप नहीं है. बल्कि सरकार का हर फैसला युवाओं की परेशानी बढ़ाने वाला साबित होता है.

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण और को लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि इसके लिए सिर्फ पराली और किसानों को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है. प्रदूषण बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान फैक्ट्रियों, वाहनों और अन्य कारकों का होता है. दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की सरकारें अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम हैं. अपनी नाकामी को छिपाने के लिए किसानों के सिर पर ठीकरा फोड़ा जा रहा है.

हर सीजन में सरकार किसानों को पराली की खरीद और उसके निपटान का वादा करती है. लेकिन इसको अमलीजामा नहीं पहनाया जाता. कुछ जगह मजबूरी में या फिर दुर्घटनावश पराली में आग लग जाती है. लेकिन इसके लिए किसानों से जुर्माने के नाम पर करोड़ों रुपये की वसूली हो रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. किसानों पर जुर्माना थोपने की बजाए सरकार को समस्या का स्थाई समाधान निकालना चाहिए.

ये भी पढ़ें- हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ रोहतक में MBBS छात्रों ने का प्रदर्शन

चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश सरकार द्वारा एमबीबीएस की फीस (MBBS fee issue in Haryana) में बढ़ोतरी के फैसले को वापस लेने की मांग की है. हुड्डा का कहना है कि सरकार गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों को मेडिकल शिक्षा से वंचित करना चाहती है. इसलिए कभी उनके ऊपर 40 लाख के बॉन्ड की शर्त थोप दी जाती है तो कभी फीस को 50 हजार से बढ़ाकर सीधा 10 लाख कर दिया जाता है. लगातार विद्यार्थी इसका विरोध कर रहे हैं. विपक्ष ने भी सड़क से लेकर विधानसभा तक में इस मुद्दे को उठाया है लेकिन, प्रदेश सरकार विद्यार्थियों की मांगे मानने के लिए तैयार नहीं है.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) ने सीईटी के परीक्षा केंद्र दूर-दूर दिए जाने पर भी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि विपक्ष ने जब विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था तो सरकार ने खुद गृह जिले या साथ लगते जिले में परीक्षाएं करवाने की हामी भरी थी. लेकिन एकबार फिर अपने वादे से मुकरते हुए सरकार ने बेरोजगार युवाओं को प्रताड़ित करने का काम किया है. फ्री बस सेवा के रजिस्ट्रेशन को लेकर भी हर जगह हजारों युवाओं की भीड़ उमड़ रही है.

पूर्व सीएम ने कहा कि जिस समय विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारी करनी थी, वह समय उन्हें लंबी-लंबी कतारों में बर्बाद करना पड़ रहा है. हुड्डा ने कहा कि इस सरकार के पास युवाओं को राहत देने का कोई रोडमैप नहीं है. बल्कि सरकार का हर फैसला युवाओं की परेशानी बढ़ाने वाला साबित होता है.

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण और को लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि इसके लिए सिर्फ पराली और किसानों को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं है. प्रदूषण बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान फैक्ट्रियों, वाहनों और अन्य कारकों का होता है. दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की सरकारें अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम हैं. अपनी नाकामी को छिपाने के लिए किसानों के सिर पर ठीकरा फोड़ा जा रहा है.

हर सीजन में सरकार किसानों को पराली की खरीद और उसके निपटान का वादा करती है. लेकिन इसको अमलीजामा नहीं पहनाया जाता. कुछ जगह मजबूरी में या फिर दुर्घटनावश पराली में आग लग जाती है. लेकिन इसके लिए किसानों से जुर्माने के नाम पर करोड़ों रुपये की वसूली हो रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. किसानों पर जुर्माना थोपने की बजाए सरकार को समस्या का स्थाई समाधान निकालना चाहिए.

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