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विश्व प्रसिद्ध है लोहारू की होली, यहां रंगों के साथ चलते हैं भाभियों के कोड़े

गुरुवार के दिन पूरा देश होली के रंग में रंगा दिखाई दिया. हर तरफ लोगों पर होली के पर्व को लेकर जमकर उत्साह देखने को मिला. कई जगहों पर त्योहार को रंगों के साथ मनाया गया, तो कई जगहों पर पारंपरिक तरीके से कोड़े वाली होली भी देखने को मिली.

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Published : Mar 21, 2019, 6:19 PM IST

भाभी-देवर होली खेलते हुए

भिवानी: लोहारू के सेहर गांव में पिछले करीब 300 सालों से होली के त्योहार को खुब जोरो शोरो से मनाया जा रहा है. यहां पर होली का त्योहार भाभी-देवर के अटूट रिश्ते को भी दिखाता है. बता दें गांव में परंपरा के अनुसार चौक पर पानी से भरकर कढ़ाई को रखा जाता है और सभी लोग एकत्रित होकर होली खेलते हैं.

खासतौर पर गांव में देवर-भाभी का रिश्ता रखने वाले लोग इस त्योहार को खुब खुशी से मनाते हैं. परंपरा के अनुसार महिलाएं पुरुषों को कोड़े से पीट कर होली मनाती हैं, तो वहीं देवर भी भाभी पर पानी की खुब बौछारें करते हैं. बता दें ये परंपरा गांव में सात दिनों तक चलती है.

लोहारू की कोड़ा मार होली

इस गांव की खास बात है कि होली खेलते समय कोई भी शराब या किसी और नशे का सेवन नहीं करता और साथ ही खेलते समय हर्बल रंगों को उपयोग किया जाता है, जो कि यहां की होली को सबसे अलग बनाता है.

भिवानी: लोहारू के सेहर गांव में पिछले करीब 300 सालों से होली के त्योहार को खुब जोरो शोरो से मनाया जा रहा है. यहां पर होली का त्योहार भाभी-देवर के अटूट रिश्ते को भी दिखाता है. बता दें गांव में परंपरा के अनुसार चौक पर पानी से भरकर कढ़ाई को रखा जाता है और सभी लोग एकत्रित होकर होली खेलते हैं.

खासतौर पर गांव में देवर-भाभी का रिश्ता रखने वाले लोग इस त्योहार को खुब खुशी से मनाते हैं. परंपरा के अनुसार महिलाएं पुरुषों को कोड़े से पीट कर होली मनाती हैं, तो वहीं देवर भी भाभी पर पानी की खुब बौछारें करते हैं. बता दें ये परंपरा गांव में सात दिनों तक चलती है.

लोहारू की कोड़ा मार होली

इस गांव की खास बात है कि होली खेलते समय कोई भी शराब या किसी और नशे का सेवन नहीं करता और साथ ही खेलते समय हर्बल रंगों को उपयोग किया जाता है, जो कि यहां की होली को सबसे अलग बनाता है.

Intro:

एचसीएस मामले में 18 साल से न्याय नहीं-करण दलाल

चंडीगढ़। कांग्रेस विधायक करण दलाल ने हाई कोर्ट में लंबित एचसीएस भर्ती मामले में 18 साल से न्याय नहीं मिलने पर निराशा जाहिर की है। उन्होंने कहा इस मामले में लंबे अर्से से न्याय नहीं मिल पा रहा है।




Body:दलाल ने 2002 की एच.सी.एस. नियुक्तियों को लेकर आरोप लगाए थे। इसके साथ ही नियुक्तियों की सूची को पहले ही जारी करते हुए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में शरण ली थी। वर्ष 2002 में एचसीएस. पदों के लिए नियुक्तियां की थी, उस दौरान करण सिंह दलाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए आरोप लगाए थे। उस दौरान तत्कालीन चौटाला सरकार ने नियमों का उल्लंघन कर अपने चहेतों को नियुक्तियां दे दी। जिनके परीक्षा में कम अंक थे उनके इंटरव्यू में अधिक अन्य दे नियुक्त कर दिया, मामले में की गई जाँच में भी धांधली सामने आई थी।


Conclusion:वर्ष 2013 में हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस ने याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। लेकिन इसी बीच वह सुप्रीम कोर्ट चले गए और यह केस फिर सुनवाई पर आ गया और उसके बाद से लेकर अभी तक भी मामला लंबित चला आ रहा है। दलाल ने इतने लंबे समय से फैसला नहीं होने पर सवाल खड़े करते हुए इसमें जल्द से जल्द न्याय की मांग की है।

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