अंबालाः कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में हुए लॉकडाउन से हर कारोबार आर्थिक मंदी से जूझ रहा है. जिसको लेकर केंद्र सरकार ने आर्थिक मंदी से जूझ रहे MSME कारोबारियों को राहत देने का ऐलान किया है. जिसके तहत उन्हें तीन लाख करोड़ रुपये का कोलेट्रल फ्री लोन दिया जाएगा. यानी इस पर किसी तरह की कोई गारंटी नहीं ली जाएगी. इसकी अवधि चार साल की होगी. वहीं एक साल तक इसके मूलधन की कोई EMI नहीं ली जाएगी. इसी को लेकर ईटीवी भारत ने अंबाला छावनी स्थित साइंस उद्यमियों से बातचीत की.
अंबाला में करीब 1000 साइंस उद्यमी
अंबाला छावनी में लगभग 1000 के करीब छोटे - बड़े साइंस उद्यमी काम कर रहे हैं. जिनमें से लगभग 650 साइंस उद्यमियों ने एमएसएमई एक्ट में रजिस्ट्रेशन करवाया है. साइंस उद्यमियों ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान कारोबार बंद होने से वो आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं.
लोन के प्रावधान साफ नहीं
साइंटिफिक ऑपरेटर्स मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रधान उमेश गुप्ता ने बताया की केंद्र सरकार की ओर से एमएसएमई को लेकर किए गए बड़े फेरबदल का उन पर क्या असर पड़ेगा या फिर उसके क्या फायदे होंगे यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है.
उन्होंने बताया की सरकार ने जो लोन देने की घोषणा की है, उनको लेकर अभी तक यह साफ नहीं किया यह लोन बैंकों से मिलेगा या फिर सरकार रजिस्टर्ड उद्यमियों को खुद यह लोन देगी. वहीं उन्होंने यह भी आरोप लगाए इससे पहले भी उद्यमियों को राहत देने के ऐलान किए गए थे. लेकिन यह राहत सिर्फ चुनिंदा या फिर सरकार के मनपसंद लोगों को ही मिल पाया. उन्होंने कहा कि देखना होगा की एमएसएमई को लेकर किए गए इस बड़े फेरबदल का फायदा आम उद्यमियों को मिल पाता है या नहीं.
वहीं उद्यमियों का कहना है कि सरकार ने लोन चुकाने के लिए 4 साल का जो वक्त दिया है, वो काफी कम है. उद्यमियों ने सरकार ने से लोन चुकाने की अवधि को बढ़ाने की मांग की है. ताकि सूक्ष्म, लघु और मध्यम वर्गीय कारोबारी लोन को आसानी से चुका सकें.
मजदूरों की कमी से परेशानी
इसके अलावा साइंस उद्यमियों ने बताया कि प्रवासी मजदूरों के लगातार पलायन से भी उन्हें खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है. उन्होंने बताया की लोडिंग, अनलोडिंग और अन्य कामों के लिए लेबर मिलना मुश्किल हो रहा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो लेबर की कमी से कारोबार पर भारी मार पड़ेगी.
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