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Ball Used in International Cricket : वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप से पहले इस गेंद से प्रैक्टिस करेगी टीम इंडिया

31 मार्च से आईपीएल 16 शुरू हो रहा है जो 28 मई तक चलेगा. आईपीएल के बाद टीम इंडिया को लंदन में 7-11 जून तक वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल मुकाबला खेलना है. ये बड़ा मुकाबला ड्यूक बॉल से खेला जाएगा.

Team India Practice with Duke Ball Before World Test Championship
Team India Practice with Duke Ball
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Published : Mar 15, 2023, 8:31 AM IST

नई दिल्ली : भारतीय टीम आईपीएल मैचों के दौरान ड्यूक बॉल से प्रैक्टिस करेगी. इंग्लैंड में ड्यूक बॉल से क्रिकेट खेला जाता है जबकि भारत में केवल एसजी बॉल से क्रिकेट खेली जाती है. इसलिए भारतीय टीम ने ड्यूक बॉल से अभ्यास करने का फैसला किया है. ड्यूक क्रिकेट बॉल की उत्पत्ति साल 1760 में हुई थी. पहली बार टोनब्रिज में इसका उत्पादन शुरू हुआ था.

ये बॉल्स यूनाइटेड किंगडम में बनती हैं. कूकाबुरा की तुलना में ड्यूक गेंदों का रंग गहरा होता है. वे पूरी तरह से हस्तनिर्मित हैं. ये गेंदे तेज गेंदबाजों के लिए फायदेमंद हैं. इनकी सीम 50 से 56 ओवर तक अच्छी रहती है और इनको स्विंग करने में आसानी होती है. यह अन्य गेंदों की तुलना में अधिक उछलती हैं. इन गेंदों का प्रयोग इंग्लैंड में क्रिकेट के लगभग सभी प्रारूपों में किया जाता है.

क्रिकेट में तीन तरह की बॉल का होता है प्रयोग
विश्व के जिन देशों में क्रिकेट खेली जाती है वहां तीन तरह की गेंदों का प्रयोग किया जाता है. इन गेंदों को कूकाबुरा, ड्यूक और एसजी कहा जाता है. यह गेंद अलग-अलग देशों में उनकी परिस्थितियों के हिसाब से बनाई जाती हैं और वहां प्रयोग की जाती हैं.

जानिए किस देश में कौन सी बॉल का होता है प्रयोग
टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा कूकाबुरा गेंद का प्रयोग किया जाता है. ये बॉल दुनिया के 8 देशों में इस्तेमाल की जाती है. ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, पाकिस्तान, साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैंड, बांग्लादेश, जिम्बाब्वे और अफगानिस्तान में इससे क्रिकेट खेली जाती है. ड्यूक बॉल से इंग्लैंड, आयरलैंड और वेस्टइंडीज में इस्तेमाल की जाती है. एसजी बॉल से केवल भारत में क्रिकेट खेली जाती है.

एसजी ( SG ) का मतलब ( सांसपेरिल्स ग्रीनलैंड्स ) है. इसका निर्माण भारत में आजादी से पहले शुरू हुआ था. Sanspareils कंपनी (Sanspareils Co.) ने इसका निर्माण 1931 में सियालकोट ( अब पाकिस्तान में ) में किया था. केदारनाथ और द्वारकानाथ आनंद कंपनी के मालिक थे. स्वतंत्रता के बाद, कंपनी ( मेरठ ), में शिफ्ट हो गई. वर्ष 1991 में बीसीसीआई ने टेस्ट क्रिकेट के लिए एसजी गेंदों को मंजूरी दी. तब से भारत में टेस्ट इसी गेंद से खेले जाते हैं.

इसे भी पढ़ें- World Test Championship : ये हो सकती है ऑस्ट्रेलिया की WTC फाइनल टीम, वॉर्नर समेत इन खिलाड़ियों को मौका

नई दिल्ली : भारतीय टीम आईपीएल मैचों के दौरान ड्यूक बॉल से प्रैक्टिस करेगी. इंग्लैंड में ड्यूक बॉल से क्रिकेट खेला जाता है जबकि भारत में केवल एसजी बॉल से क्रिकेट खेली जाती है. इसलिए भारतीय टीम ने ड्यूक बॉल से अभ्यास करने का फैसला किया है. ड्यूक क्रिकेट बॉल की उत्पत्ति साल 1760 में हुई थी. पहली बार टोनब्रिज में इसका उत्पादन शुरू हुआ था.

ये बॉल्स यूनाइटेड किंगडम में बनती हैं. कूकाबुरा की तुलना में ड्यूक गेंदों का रंग गहरा होता है. वे पूरी तरह से हस्तनिर्मित हैं. ये गेंदे तेज गेंदबाजों के लिए फायदेमंद हैं. इनकी सीम 50 से 56 ओवर तक अच्छी रहती है और इनको स्विंग करने में आसानी होती है. यह अन्य गेंदों की तुलना में अधिक उछलती हैं. इन गेंदों का प्रयोग इंग्लैंड में क्रिकेट के लगभग सभी प्रारूपों में किया जाता है.

क्रिकेट में तीन तरह की बॉल का होता है प्रयोग
विश्व के जिन देशों में क्रिकेट खेली जाती है वहां तीन तरह की गेंदों का प्रयोग किया जाता है. इन गेंदों को कूकाबुरा, ड्यूक और एसजी कहा जाता है. यह गेंद अलग-अलग देशों में उनकी परिस्थितियों के हिसाब से बनाई जाती हैं और वहां प्रयोग की जाती हैं.

जानिए किस देश में कौन सी बॉल का होता है प्रयोग
टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा कूकाबुरा गेंद का प्रयोग किया जाता है. ये बॉल दुनिया के 8 देशों में इस्तेमाल की जाती है. ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, पाकिस्तान, साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैंड, बांग्लादेश, जिम्बाब्वे और अफगानिस्तान में इससे क्रिकेट खेली जाती है. ड्यूक बॉल से इंग्लैंड, आयरलैंड और वेस्टइंडीज में इस्तेमाल की जाती है. एसजी बॉल से केवल भारत में क्रिकेट खेली जाती है.

एसजी ( SG ) का मतलब ( सांसपेरिल्स ग्रीनलैंड्स ) है. इसका निर्माण भारत में आजादी से पहले शुरू हुआ था. Sanspareils कंपनी (Sanspareils Co.) ने इसका निर्माण 1931 में सियालकोट ( अब पाकिस्तान में ) में किया था. केदारनाथ और द्वारकानाथ आनंद कंपनी के मालिक थे. स्वतंत्रता के बाद, कंपनी ( मेरठ ), में शिफ्ट हो गई. वर्ष 1991 में बीसीसीआई ने टेस्ट क्रिकेट के लिए एसजी गेंदों को मंजूरी दी. तब से भारत में टेस्ट इसी गेंद से खेले जाते हैं.

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