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Earthquake Research : इमारत को भूकंप से बचाना है तो इस प्रकार बनवाएं नींव को - protection from earthquake

IIT के मुताबिक भूकंपीय तरंगें लोचदार होती हैं जो पृथ्वी की परतों के माध्यम से ऊर्जा का परिवहन करती हैं. आईआईटी की एक टीम ने भूकंप से इमारतों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए ऐसी ही दो आयामी मेटामटेरियल आधारित नींव का प्रस्ताव दिया है. भूकंपीय तरंगों के लिए Metamaterials की जांच अपेक्षाकृत नया और अत्यधिक जटिल क्षेत्र है. Two dimensional metamaterials . Earthquake resistant foundations .

Earthquake Research Two dimensional metamaterials . Earthquake resistant foundations .
इमारत को भूकंप से बचाना है तो इस प्रकार बनवाएं नींव को
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Published : Apr 20, 2023, 12:02 PM IST

नई दिल्ली : इमारत की नींव को बुद्धिमानी से डिजाइन करके, इमारत को ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना भूकंप की तरंगों को वापस मोड़ा या परावर्तित किया जा सकता है. आईआईटी की एक टीम ने भूकंप से इमारतों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए ऐसी ही दो आयामी मेटामटेरियल आधारित नींव का प्रस्ताव दिया है. यह 2.6 हर्ट्ज से 7.8 हर्ट्ज तक भूकंप से होने वाली तरंगों को क्षीण करता है. IIT की इस रिसर्च का विवरण जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया है.

IIT Mandi की टीम ने इसके लिए two-dimensional metamaterials ( द्वि-आयामी मेटामटेरियल्स ) का उपयोग किया है. धातु और प्लास्टिक जैसी सामग्री से बने कई तत्वों को जोड़कर एक मेटामटेरियल बनाया जाता है, जो आमतौर पर दोहराते हुए पैटर्न से तैयार होता है, जो भूकंप के कंपन या भूकंपीय तरंगों से प्रभावित होने वाली घटनाओं की तरंग से छोटी होती हैं. आईआईटी के मुताबिक भूकंपीय तरंगें लोचदार होती हैं जो पृथ्वी की परतों के माध्यम से ऊर्जा का परिवहन करती हैं. अन्य प्रकार की भौतिक तरंगों के विपरीत, भूकंपीय तरंगों में लंबी तरंग कम आवृत्ति की होती है. भूकंपीय तरंगों के लिए metamaterials की जांच अपेक्षाकृत नया और अत्यधिक जटिल क्षेत्र है.

यह रिसर्च IIT Mandi के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अर्पण गुप्ता, और उनके शोधकर्ताओं ऋषभ शर्मा, अमन ठाकुर और डॉ. प्रीति गुलिया ( Dr Arpan Gupta , Associate Professor , School of Engineering , IIT Mandi, Rishabh Sharma , Aman Thakur and Dr Preeti Gulia ) के सहयोग से की गई है.

इस शोध के महत्व को समझाते हुए डॉ. अर्पण गुप्ता ने कहा, इमारत की नींव को बुद्धिमानी से डिजाइन करके, इमारत को ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना भूकंप की तरंगों को वापस मोड़ा या परावर्तित किया जा सकता है. किसी भी इमारत की सुरक्षा लिए एक अच्छी नींव की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, इमारत फाउंडेशन की इस नवीन डिजाइन के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है, और इसे मेटामटेरियल फाउंडेशन के रूप में जाना जाता है. भौतिक गुणों के कारण यह तकनीकी भिन्नता तरंगों के प्रतिबिंब को जन्म दे सकती है जिससे उस नींव पर बने हुए भवन संरचना की सुरक्षा हो सकती है.

मेटामटेरियल नींव
शोधकर्ताओं ने कहा, हमने दिखाया है कि मेटामटेरियल नींव भूकंप उत्तेजना के कारण होने वाले जमीन के कंपन को प्रभावी ढंग से कम कर सकती है. कंक्रीट और मेटामटेरियल नींव के बीच तुलना करने से यह पता चलता है कि मेटामटेरियल भूकंप के कारण होने वाले कंपन की प्रतिक्रिया को काफी कम कर सकता है. अनुसंधान या शोध यह इंगित करता है कि नियत समय के आधार पर यह 2.6 हट्र्ज से 7.8 हट्र्ज तक भूकंप से होने वाली तरंगों को क्षीण करता है. यह व्यापक और निम्न-आवृत्ति बैंड के अंतराल पर एक उल्लेखनीय प्रगति है जो भूकंप शमन उद्देश्यों के लिए भविष्य की Metamaterial नींव के निर्माण में सहायता कर सकता है.

IIT Mandi के मुताबिक यह अध्ययन भूकंपरोधी भवनों के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. metamaterial foundation भवन संरचनाओं को भूकंप से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद कर सकता है और दुनिया के भूकंप-प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकता है. इस क्षेत्र में आईआईटी मंडी टीम का यह अभिनव शोध अधिक कुशल और प्रभावी भूकंपीय मेटामटेरियल फाउंडेशन के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर सकता है.

डॉ अर्पण गुप्ता ने शोध के परिणामों पर अपनी संतुष्टि व्यक्त करते हुए कहा, हमारा शोध भवन संरचनाओं को भूकंपीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए मेटामटेरियल्स की क्षमता को दिखाता है. हम आशा करते हैं कि हमारा शोध अन्य शोधकर्ताओं को संरचनात्मक इंजीनियरिंग और भूकंप प्रतिरोधी इमारतें एवं अन्य क्षेत्रों में मेटामटेरियल्स की संभावनाओं का पता लगाने के लिए प्रेरित करेगा.

(आईएएनएस)

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नई दिल्ली : इमारत की नींव को बुद्धिमानी से डिजाइन करके, इमारत को ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना भूकंप की तरंगों को वापस मोड़ा या परावर्तित किया जा सकता है. आईआईटी की एक टीम ने भूकंप से इमारतों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए ऐसी ही दो आयामी मेटामटेरियल आधारित नींव का प्रस्ताव दिया है. यह 2.6 हर्ट्ज से 7.8 हर्ट्ज तक भूकंप से होने वाली तरंगों को क्षीण करता है. IIT की इस रिसर्च का विवरण जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया है.

IIT Mandi की टीम ने इसके लिए two-dimensional metamaterials ( द्वि-आयामी मेटामटेरियल्स ) का उपयोग किया है. धातु और प्लास्टिक जैसी सामग्री से बने कई तत्वों को जोड़कर एक मेटामटेरियल बनाया जाता है, जो आमतौर पर दोहराते हुए पैटर्न से तैयार होता है, जो भूकंप के कंपन या भूकंपीय तरंगों से प्रभावित होने वाली घटनाओं की तरंग से छोटी होती हैं. आईआईटी के मुताबिक भूकंपीय तरंगें लोचदार होती हैं जो पृथ्वी की परतों के माध्यम से ऊर्जा का परिवहन करती हैं. अन्य प्रकार की भौतिक तरंगों के विपरीत, भूकंपीय तरंगों में लंबी तरंग कम आवृत्ति की होती है. भूकंपीय तरंगों के लिए metamaterials की जांच अपेक्षाकृत नया और अत्यधिक जटिल क्षेत्र है.

यह रिसर्च IIT Mandi के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अर्पण गुप्ता, और उनके शोधकर्ताओं ऋषभ शर्मा, अमन ठाकुर और डॉ. प्रीति गुलिया ( Dr Arpan Gupta , Associate Professor , School of Engineering , IIT Mandi, Rishabh Sharma , Aman Thakur and Dr Preeti Gulia ) के सहयोग से की गई है.

इस शोध के महत्व को समझाते हुए डॉ. अर्पण गुप्ता ने कहा, इमारत की नींव को बुद्धिमानी से डिजाइन करके, इमारत को ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना भूकंप की तरंगों को वापस मोड़ा या परावर्तित किया जा सकता है. किसी भी इमारत की सुरक्षा लिए एक अच्छी नींव की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, इमारत फाउंडेशन की इस नवीन डिजाइन के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है, और इसे मेटामटेरियल फाउंडेशन के रूप में जाना जाता है. भौतिक गुणों के कारण यह तकनीकी भिन्नता तरंगों के प्रतिबिंब को जन्म दे सकती है जिससे उस नींव पर बने हुए भवन संरचना की सुरक्षा हो सकती है.

मेटामटेरियल नींव
शोधकर्ताओं ने कहा, हमने दिखाया है कि मेटामटेरियल नींव भूकंप उत्तेजना के कारण होने वाले जमीन के कंपन को प्रभावी ढंग से कम कर सकती है. कंक्रीट और मेटामटेरियल नींव के बीच तुलना करने से यह पता चलता है कि मेटामटेरियल भूकंप के कारण होने वाले कंपन की प्रतिक्रिया को काफी कम कर सकता है. अनुसंधान या शोध यह इंगित करता है कि नियत समय के आधार पर यह 2.6 हट्र्ज से 7.8 हट्र्ज तक भूकंप से होने वाली तरंगों को क्षीण करता है. यह व्यापक और निम्न-आवृत्ति बैंड के अंतराल पर एक उल्लेखनीय प्रगति है जो भूकंप शमन उद्देश्यों के लिए भविष्य की Metamaterial नींव के निर्माण में सहायता कर सकता है.

IIT Mandi के मुताबिक यह अध्ययन भूकंपरोधी भवनों के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. metamaterial foundation भवन संरचनाओं को भूकंप से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद कर सकता है और दुनिया के भूकंप-प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकता है. इस क्षेत्र में आईआईटी मंडी टीम का यह अभिनव शोध अधिक कुशल और प्रभावी भूकंपीय मेटामटेरियल फाउंडेशन के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर सकता है.

डॉ अर्पण गुप्ता ने शोध के परिणामों पर अपनी संतुष्टि व्यक्त करते हुए कहा, हमारा शोध भवन संरचनाओं को भूकंपीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए मेटामटेरियल्स की क्षमता को दिखाता है. हम आशा करते हैं कि हमारा शोध अन्य शोधकर्ताओं को संरचनात्मक इंजीनियरिंग और भूकंप प्रतिरोधी इमारतें एवं अन्य क्षेत्रों में मेटामटेरियल्स की संभावनाओं का पता लगाने के लिए प्रेरित करेगा.

(आईएएनएस)

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