चंडीगढ़: हरियाणा में आग लगने के कारण कई बड़े हादसे हो चुके हैं. जिसमें किसानों की कई एकड़ की फसल भी जलकर राख हो गई. फरीदाबाद में 3 तीन के अंदर 5 लोगों की आग लगने के कारण मौत हो गई जिसमें 2 बच्चे भी शामिल हैं. हरियाणा में दमकल विभाग की मौजूदा हालत की बात करें तो. विभाग में अभी भी फायरमैन के कई सौ पद खाली पड़े हैं. इन पदों को भरने के लिए मांग पत्र हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को भेजा गया है लेकिन भर्ती नहीं हो सकी. एक दमकल की गाड़ी पर कम से कम 6 लोगों का स्टाफ होना चाहिए. प्रदेश के बड़े जिलों में कर्मचारियों की स्थिति पर नजर डालें तो-
- अंबाला- तीन फायर स्टेशन हैं- अंबाला शहर, अंबाला छावनी और नारायणगढ़- यहां फिलहाल 4 दमकल की गाड़ियां हैं और कर्मचारी केवल 25. कर्मचारियों की एक दिन में 8-8 घंटों की तीन शिफ्ट होती हैं. यानि एक शिफ्ट में 4 गाड़ियों पर 24 कर्मचारी होने चाहिए और इस हिसाब से एक दिन की सभी 3 शिफ्टस में 4 गाड़ियों पर 72 कर्मचारी होने जरूरी हैं. ये काम केवल 25 कर्मचारियों से लिया जा रहा है. वहीं अंबाला छावनी और नारायणगढ़ में कुल 44 कर्मचारी हैं.
- पंचकूला- यही हालात पंचकूला में भी है. यहां दमकल विभाग में 14 दमकल की गाड़ियां हैं जिस पर केवल 52 कर्मचारी हैं. यानि हर गाड़ी पर औसतन 4 आदमी से भी कम.
- गुरुग्राम- साइबर सिटी में 7 फायर स्टेशन्स पर अभी मात्र 60 सरकारी कर्मचारी हैं और 144 कर्मचारी ठेके पर लेकर काम चलाया जा रहा है.
- यमुनानगर- यहां पांच फायर स्टेशन पर 17 गाड़ियां मौजूद हैं जिनपर कॉन्ट्रैक्ट बेस पर 79 कर्मचारी हैं और 21 कर्मचारी स्थाई रूप से कार्यरत हैं.
- भिवानी- यहां के हालात भी कुछ सही नहीं है. यहां पर 7 गाड़ियों पर 35 कर्मचारी हैं.
- झज्जर- यहां 3 फायर स्टेशन्स पर 5 बड़ी और 4 छोटी गाड़ियों के लिए केवल 33 कर्मचारी हैं और जरूरत 140 कर्मचारियों की है.
कितना दूर होना चाहिए स्टेशन?
कोई भी फायर स्टेशन दूसरे फायर स्टेशन से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर होना चाहिए. गाइडलाइन्स के मुताबिक शहर में अगर कोई आपदा आती है तो 5 मिनट में दमकल विभाग को मौके पर पहुंचना होता है और ग्रामीण इलाके में 15 मिनट में. सरकार का कहना है कि फिलहाल प्रदेश में 86 दमकल केंद्र हैं. जिसमें 434 गाड़ियां दी गई हैं. हाल में हरियाणा के कई इलाकों में आग लगने के बड़े हादसे हो चुके हैं. कैथल के 8 से ज्यादा गांवों में आग लग चुकी है. जिसमें सैकड़ों एकड़ फसल जल गई. खुद सीएम मनोहर लाल ने जाकर घटना का जायजा लिया था.
सबसे ज्यादा अप्रैल-मई में लगती है आग
आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल और मई में सबसे ज्यादा आग लगने की घटनाएं होती हैं. साल 2017 में विभाग को आग लगने की 15,301 कॉल आई. वहीं 2018 में 17,032 कॉल किए गए. पीड़ितों के मुताबिक फोन करने के बाद गाड़ी अक्सर देर से ही पहुंचती है. जिसमें बड़ी वजह गाड़ी का मौके पर ना होना है. ये सूरते हाल बताते हैं कि आग लगने की घटनाओं को कभी गंभीरता से नहीं लिया गया. जिसके चलते आज भी बड़े पैमाने पर जन-धन की हानि हो रही है.