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'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना: 84 हजार हेक्टेयर में किसानों ने धान छोड़ अपनाई दूसरी फसलें

हरियाणा में ''मेरा पानी मेरी विरासत'' योजना के तहत किसानों ने 84 हजार हेक्टेयर में धान को छोड़कर दूसरी फसलों को अपनाया है. वहीं बड़ी बात ये है कि डार्क जोन के बाहर भी किसानों ने हजारों हेक्टेयर में धान छोड़ अन्य फसलें अपनाई हैं.

haryana farmers adopted others crop
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Published : Jun 28, 2020, 3:34 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने ''मेरा पानी मेरी विरासत'' नाम की योजना चला रखी है. इसके तहत धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को सरकार प्रति एकड़ 7000 रुपये प्रोत्साहन राशि के तौर पर देगी. योजना का मकसद पानी बचाने के साथ किसानों को फसलों के विविधीकरण की तरफ मोड़ना है ताकि जमीन का उपजाऊपन भी बना रहे.

सरकार की तरफ से डार्क जोन में बाबैन, गुहला, इस्माइलाबाद, पीपली, रतिया, शाहबाद, सिरसा और सिवान इन 8 ब्लॉक को शामिल किया गया है, जिसमें अभी तक सरकार की उम्मीद से भी ज्यादा करीब 82 हजार 693 किसानों ने अपनी 84 हजार 649.122 हेक्टेयर पर धान की जगह दूसरी फसलों की तरफ रुख किया है. इन जॉन में 2053 किसानों ने धान छोड़कर 1748 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 143 किसानों ने 114 हेक्टेयर में धान छोड़कर बाजरा, 3804 किसानों ने 4461 हेक्टेयर में धान छोड़कर कपास, 312 किसानों ने 269 हेक्टेयर में धान छोड़कर दालें, 2729 किसानों ने 2666 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी का फैसला लिया है.

'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना का असर, 84 हजार हेक्टेयर में किसानों धान छोड़ अपनाई दूसरी फसलें.

इस तरह कुल 9032 किसानों ने 9261 हेक्टेयर में धान की जगह मक्का, बाजरा, कपास, दालें व बागवानी का फैसला लिया. इसके साथ डार्क जोन से बाहर के जिलों से भी 82,693 किसानों ने 84,649 हेक्टेयर भूमि में अलग अलग फसलों की तरफ रुख किया है. डार्क जोन से बाहर 11,648 किसानों ने 9695 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 17197 किसानों ने 17662 हेक्टेयर में धान छोड़कर बाजर, 39153 किसानों ने 44822 हेक्टेयर में धान छोड़कर कपास, 1564 किसानों ने 1188 हेक्टेयर में धान छोड़कर दालें और 13131 किसानों ने 11280 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी की तरफ जाने का फैसला लिया है.

ये भी पढ़ें- घर बैठे मिलेंगे जन्म, मृत्यु और मैरिज सर्टिफिकेट, अंबाला से शुरू होगी पायलट परियोजना

कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि हरियाणा सरकार पानी को बचाने के लिए पूरी तरीके से गंभीर है. सरकार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में किसानों की अपील पर 1000 भूमिगत जल रिचार्ज करने के लिए बोरवेल लगवाने का फैसला भी किया है. इसके तहत अभी तक रिचार्ज शाफ़्ट के लिए 9261 हेक्टेयर के लिए 571 एप्लीकेशन प्राप्त हुई है. इसी के साथ रिचार्ज शाफ़्ट एप्लीकेशन के लिए अप्लाई करने वाले किसानों में सबसे अधिक शाहबाद से 354, गुहला से 118, रतिया से 95 और इस्माइलाबाद से 4 एप्लीकेशन आई हैं.

haryana farmers adopted others crop
हरियाणा में किसानों ने 84 हजार हेक्टेयर में धान को छोड़कर दूसरी फसलों को अपनाया है.

हरियाणा के इन 8 डार्क जोन में किसानों ने धान छोड़कर अलग फसलें अपनाई-

  • बाबैन में 413 किसानों ने 311 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 2 किसानों ने 1.619 हेक्टेयर में दालों, 495 किसानों ने 340 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह बाबैन में कुल 910 किसानों ने 653 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
  • गुहला में 453 किसानों ने 415 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 42 किसानों ने धान छोड़कर 40 हेक्टेयर में बाजरा, 3 किसानों ने 2 हेक्टेयर में कपास, 46 किसानों ने 29.340 हेक्टेयर में दाल, 288 किसानों ने 484 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह गुहला में कुल 832 किसानों ने 971.596 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
  • इस्माइलाबाद में 243 किसानों ने 272 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 2 किसानों ने धान छोड़कर 0.809 हेक्टेयर में बाजरा, 12 किसानों ने 13.914 हेक्टेयर में दाल, 233 किसानों ने 261 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह इस्माइलाबाद में 490 किसानों ने 549 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
  • पीपली में 300 किसानों ने 229 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 9 किसानों ने धान छोड़कर 3.508 हेक्टेयर में दालें, 418 किसानों ने 359 हेक्टेयर में बागवानी को अपनाया है. इस तरह पीपली में कुल 727 किसानों ने 591 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
  • रतिया में 40 किसानों ने 26.990 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 21 किसानों ने धान छोड़कर 10 हेक्टेयर में बाजरा, 797 किसानों ने 841 हेक्टेयर में कपास, 30 किसानों ने 20.590 हेक्टेयर में दाल, 351 किसानों ने 362 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह रतिया में कुल 1239 किसानों ने 1261 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
  • शाहबाद में 215 किसानों ने 146.117 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 7 किसानों ने धान छोड़कर 3.313 हेक्टेयर में बाजरा, 1 किसान ने 0.304 हेक्टेयर में दाले, 438 किसानों ने 315 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है इस तरह शाहाबाद में कुल 661 किसानों ने 465 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
  • सिरसा में 147 किसानों ने 129 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 68 किसानों ने धान छोड़कर 55 हेक्टेयर में बाजरा, 3002 किसानों ने 3612 हेक्टेयर में कपास, 205 किसानों ने 195 हेक्टेयर में दाल, 340 किसानों ने 297 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह सिरसा में कुल 3762 किसानों ने 4290 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
  • सिवान में 242 किसानों ने 217 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 3 किसानों ने धान छोड़कर 4.654 हेक्टेयर में बाजरा, 2 किसानों ने 5.66 हेक्टेयर में कपास, 7 किसानों ने 5.059 हेक्टेयर एकड़ में दाल, 157 किसानों ने 245 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह सिवान में कुल 411 किसानों ने 478 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.

इन ब्लॉकस के अलावा अम्बाला, भिवानी, चरखीदादरी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुरुग्राम, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, महेंद्रगढ़, मेवात, पलवल, पंचकूला, पानीपत, रेवाड़ी, रोहतक, सिरसा, सोनीपत, यमुनानगर में भी किसानों ने धान छोड़कर अन्य फसलों को अपनाया है.

गौरतलब है कि बीती 6 मई को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ में "मेरा पानी मेरी विरासत" योजना की शुरुआत की थी. हालांकि सरकार ने इस बार करीब 60 हजार हेक्टेयर भूमि पर किसानों से धान की पैदावार छोड़ने की उम्मीद की थी, लेकिन अब तक 84 हजार हेक्टेयर भूमि का रजिस्ट्रेशन मेरा पानी मेरी विरासत पोर्टल पर हो चुका है. विभाग को उम्मीद है कि ये आंकड़ा बढ़कर एक लाख तक भी जा सकता है.

ये भी पढ़ें- हाउसिंग फॉर ऑल: नगर निकायों में बनेंगे 50 हजार घर, स्कीम पर काम शुरू

चंडीगढ़: हरियाणा में गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने ''मेरा पानी मेरी विरासत'' नाम की योजना चला रखी है. इसके तहत धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को सरकार प्रति एकड़ 7000 रुपये प्रोत्साहन राशि के तौर पर देगी. योजना का मकसद पानी बचाने के साथ किसानों को फसलों के विविधीकरण की तरफ मोड़ना है ताकि जमीन का उपजाऊपन भी बना रहे.

सरकार की तरफ से डार्क जोन में बाबैन, गुहला, इस्माइलाबाद, पीपली, रतिया, शाहबाद, सिरसा और सिवान इन 8 ब्लॉक को शामिल किया गया है, जिसमें अभी तक सरकार की उम्मीद से भी ज्यादा करीब 82 हजार 693 किसानों ने अपनी 84 हजार 649.122 हेक्टेयर पर धान की जगह दूसरी फसलों की तरफ रुख किया है. इन जॉन में 2053 किसानों ने धान छोड़कर 1748 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 143 किसानों ने 114 हेक्टेयर में धान छोड़कर बाजरा, 3804 किसानों ने 4461 हेक्टेयर में धान छोड़कर कपास, 312 किसानों ने 269 हेक्टेयर में धान छोड़कर दालें, 2729 किसानों ने 2666 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी का फैसला लिया है.

'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना का असर, 84 हजार हेक्टेयर में किसानों धान छोड़ अपनाई दूसरी फसलें.

इस तरह कुल 9032 किसानों ने 9261 हेक्टेयर में धान की जगह मक्का, बाजरा, कपास, दालें व बागवानी का फैसला लिया. इसके साथ डार्क जोन से बाहर के जिलों से भी 82,693 किसानों ने 84,649 हेक्टेयर भूमि में अलग अलग फसलों की तरफ रुख किया है. डार्क जोन से बाहर 11,648 किसानों ने 9695 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 17197 किसानों ने 17662 हेक्टेयर में धान छोड़कर बाजर, 39153 किसानों ने 44822 हेक्टेयर में धान छोड़कर कपास, 1564 किसानों ने 1188 हेक्टेयर में धान छोड़कर दालें और 13131 किसानों ने 11280 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी की तरफ जाने का फैसला लिया है.

ये भी पढ़ें- घर बैठे मिलेंगे जन्म, मृत्यु और मैरिज सर्टिफिकेट, अंबाला से शुरू होगी पायलट परियोजना

कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि हरियाणा सरकार पानी को बचाने के लिए पूरी तरीके से गंभीर है. सरकार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में किसानों की अपील पर 1000 भूमिगत जल रिचार्ज करने के लिए बोरवेल लगवाने का फैसला भी किया है. इसके तहत अभी तक रिचार्ज शाफ़्ट के लिए 9261 हेक्टेयर के लिए 571 एप्लीकेशन प्राप्त हुई है. इसी के साथ रिचार्ज शाफ़्ट एप्लीकेशन के लिए अप्लाई करने वाले किसानों में सबसे अधिक शाहबाद से 354, गुहला से 118, रतिया से 95 और इस्माइलाबाद से 4 एप्लीकेशन आई हैं.

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हरियाणा में किसानों ने 84 हजार हेक्टेयर में धान को छोड़कर दूसरी फसलों को अपनाया है.

हरियाणा के इन 8 डार्क जोन में किसानों ने धान छोड़कर अलग फसलें अपनाई-

  • बाबैन में 413 किसानों ने 311 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 2 किसानों ने 1.619 हेक्टेयर में दालों, 495 किसानों ने 340 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह बाबैन में कुल 910 किसानों ने 653 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
  • गुहला में 453 किसानों ने 415 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 42 किसानों ने धान छोड़कर 40 हेक्टेयर में बाजरा, 3 किसानों ने 2 हेक्टेयर में कपास, 46 किसानों ने 29.340 हेक्टेयर में दाल, 288 किसानों ने 484 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह गुहला में कुल 832 किसानों ने 971.596 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
  • इस्माइलाबाद में 243 किसानों ने 272 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 2 किसानों ने धान छोड़कर 0.809 हेक्टेयर में बाजरा, 12 किसानों ने 13.914 हेक्टेयर में दाल, 233 किसानों ने 261 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह इस्माइलाबाद में 490 किसानों ने 549 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
  • पीपली में 300 किसानों ने 229 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 9 किसानों ने धान छोड़कर 3.508 हेक्टेयर में दालें, 418 किसानों ने 359 हेक्टेयर में बागवानी को अपनाया है. इस तरह पीपली में कुल 727 किसानों ने 591 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
  • रतिया में 40 किसानों ने 26.990 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 21 किसानों ने धान छोड़कर 10 हेक्टेयर में बाजरा, 797 किसानों ने 841 हेक्टेयर में कपास, 30 किसानों ने 20.590 हेक्टेयर में दाल, 351 किसानों ने 362 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह रतिया में कुल 1239 किसानों ने 1261 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
  • शाहबाद में 215 किसानों ने 146.117 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 7 किसानों ने धान छोड़कर 3.313 हेक्टेयर में बाजरा, 1 किसान ने 0.304 हेक्टेयर में दाले, 438 किसानों ने 315 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है इस तरह शाहाबाद में कुल 661 किसानों ने 465 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
  • सिरसा में 147 किसानों ने 129 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 68 किसानों ने धान छोड़कर 55 हेक्टेयर में बाजरा, 3002 किसानों ने 3612 हेक्टेयर में कपास, 205 किसानों ने 195 हेक्टेयर में दाल, 340 किसानों ने 297 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह सिरसा में कुल 3762 किसानों ने 4290 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
  • सिवान में 242 किसानों ने 217 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 3 किसानों ने धान छोड़कर 4.654 हेक्टेयर में बाजरा, 2 किसानों ने 5.66 हेक्टेयर में कपास, 7 किसानों ने 5.059 हेक्टेयर एकड़ में दाल, 157 किसानों ने 245 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह सिवान में कुल 411 किसानों ने 478 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.

इन ब्लॉकस के अलावा अम्बाला, भिवानी, चरखीदादरी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुरुग्राम, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, महेंद्रगढ़, मेवात, पलवल, पंचकूला, पानीपत, रेवाड़ी, रोहतक, सिरसा, सोनीपत, यमुनानगर में भी किसानों ने धान छोड़कर अन्य फसलों को अपनाया है.

गौरतलब है कि बीती 6 मई को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ में "मेरा पानी मेरी विरासत" योजना की शुरुआत की थी. हालांकि सरकार ने इस बार करीब 60 हजार हेक्टेयर भूमि पर किसानों से धान की पैदावार छोड़ने की उम्मीद की थी, लेकिन अब तक 84 हजार हेक्टेयर भूमि का रजिस्ट्रेशन मेरा पानी मेरी विरासत पोर्टल पर हो चुका है. विभाग को उम्मीद है कि ये आंकड़ा बढ़कर एक लाख तक भी जा सकता है.

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