चंडीगढ़: दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की मंगलवार को जमानत याचिका खारिज कर दी थी. जिसके बाद से ही सीबीआई और ईडी की टीम चिदंबरम की तलाश में जुटी है.
वहीं चिदंबरम अभी तक फरार हैं. इसी को लेकर हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर के ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया गया था कि जब चिदंबरम मंत्री थे, तब वो कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ चोर जैसा बर्ताव करते थे.
वहीं जब इस बारे में अशोक तंवर से बात की गई तो उन्होंने ऐसा कोई भी ट्वीट करने से इंकार दिया. उन्होंने कहा कि पी चिदंबरम को लेकर उन्होंने कोई भी ट्वीट नहीं किया है. पी. चिदंबरम ने हमेशा कार्यकर्ताओं की सहायता की है. मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं और मैं इस ट्वीट की जांच करवाऊंगा.
हरियाण कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैं किसी प्रदर्शन में हिस्सा लेने गया था. मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. मेरा ट्विटर अकाउंट मैं नहीं चलाता हूं, एक टीम चलाती है. पूरी पार्टी वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम के साथ खड़ी है.
क्या है चिदंबरम पर आरोप?
बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को मंगलवार को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब दिल्ली हाई कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में उन्हें मिली अग्रिम जमानत खारिज कर दी. इससे उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई.
हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी में कहा था कि यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का एक बेहतरीन उदाहरण है. तथ्य इशारा करते हैं कि वित्त मंत्री रहे चिदंबरम ही किंगपिन, मुख्य साजिशकर्ता हैं. सिर्फ सांसद होने के नाते गिरफ्तारी से राहत देना सही नहीं होगा. जांच एजेंसियों की राह में कानूनी अड़चन पैदा नहीं की जा सकती. याचिका रद्द होने के बाद से ही चिदंबरम फरार हैं और सीबीआई व ईडी उनकी तलाश में जुटी है.
चिदंबरम पर सीबीआई और ईडी ने तर्क दिया था कि 2007 में चिदंबरम जब वित्त मंत्री थे, उन्होंने 305 करोड़ का विदेशी फंड हासिल करने के लिए मीडिया ग्रुप को एफआईपीबी मंजूरी दी थी. ईडी ने आरोप लगातेो हुए कहा कि जिन कंपनियों में ये पैसा लगाया गया, उन पर चिदंबरम के बेटे कार्ति का कंट्रोल था. यह मानने की वजह है कि कार्ति के दखल पर आईएनएक्स मीडिया को मंजूरी दी गई थी.