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भिवानी में छात्राओं ने पराली जलाने को लेकर निकाली जागरूकता रैली

भिवानी में छात्राओं ने किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए जागरूक किया. छात्राओं ने किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे मे बताया गया है.

students aware farmers on pollution in bhiwani
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Published : Nov 6, 2019, 5:34 PM IST

भिवानी: किसानों को पराली ना जलाने बारे जागरूक करने को लेकर बुधवार को बवानीखेड़ा के राजकीय महिला महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा जागरूकता रैली निकाली गई, जिसमें किसानों को पराली नहीं जलाने को लेकर जागरूक किया गया.

किसानों को किया जागरूक

इस दौरान छात्राओं ने बताया कि पराली जलाने से निकलने वाले धुंए से हमें अनेकों बीमारियों से तो जूझना पड़ता ही है, साथ ही वातावरण भी प्रदूषित होता है. इस दौरान महिला महाविधालय के प्राचार्य सुमित ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए उन्होंने जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. जिसमें किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे मे बताया गया है. इस दौरान किसानों को पराली न जलाने के सुझाव दिए गए कि किसान अपनी पराली ना जलाकर उन्हे पशुओं या फिर कोई ऐसे कार्य में इस्तेमाल करे, जिससे कि पर्यावरण में प्रदूषण ना फैले.

भिवानी में छात्राओं ने निकाली जागरूकता रैली, देखें वीडियो

सरकार को उठाने चाहिए कदम- किसान

वहीं इस दौरान किसान देवेंदर का कहना था कि किसान पराली जलाता है तो सरकार अलग-अलग नियम और कानून लागू कर देती है, जबकि उद्योगों से निकलने वाले धुंए पर कोई नियम और कानून लागू नहीं किए जाते. किसान को पराली जलाने पर नियम और कानून तो लागू कर दिए गए, लेकिन अगर किसान पराली न जलाए तो कहां लेकर जाए और जब तक खेतों से पराली को हटाया नहीं जाए तो आगे की फसलों की पैदावार को कैसे होगी. सरकार को पराली उठान को लेकर भी कदम उठाने चाहिए.

ये भी पढ़ें- चरखी दादरी में नमकीन बनाने वाली फर्जी कंपनी पर बड़ी कार्रवाई, लाखों का सामान बरामद

भिवानी: किसानों को पराली ना जलाने बारे जागरूक करने को लेकर बुधवार को बवानीखेड़ा के राजकीय महिला महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा जागरूकता रैली निकाली गई, जिसमें किसानों को पराली नहीं जलाने को लेकर जागरूक किया गया.

किसानों को किया जागरूक

इस दौरान छात्राओं ने बताया कि पराली जलाने से निकलने वाले धुंए से हमें अनेकों बीमारियों से तो जूझना पड़ता ही है, साथ ही वातावरण भी प्रदूषित होता है. इस दौरान महिला महाविधालय के प्राचार्य सुमित ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए उन्होंने जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. जिसमें किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे मे बताया गया है. इस दौरान किसानों को पराली न जलाने के सुझाव दिए गए कि किसान अपनी पराली ना जलाकर उन्हे पशुओं या फिर कोई ऐसे कार्य में इस्तेमाल करे, जिससे कि पर्यावरण में प्रदूषण ना फैले.

भिवानी में छात्राओं ने निकाली जागरूकता रैली, देखें वीडियो

सरकार को उठाने चाहिए कदम- किसान

वहीं इस दौरान किसान देवेंदर का कहना था कि किसान पराली जलाता है तो सरकार अलग-अलग नियम और कानून लागू कर देती है, जबकि उद्योगों से निकलने वाले धुंए पर कोई नियम और कानून लागू नहीं किए जाते. किसान को पराली जलाने पर नियम और कानून तो लागू कर दिए गए, लेकिन अगर किसान पराली न जलाए तो कहां लेकर जाए और जब तक खेतों से पराली को हटाया नहीं जाए तो आगे की फसलों की पैदावार को कैसे होगी. सरकार को पराली उठान को लेकर भी कदम उठाने चाहिए.

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Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश भिवानी
दिनांक 6 नवंबर।
छात्राओं ने दिए किसानो को पराली ना जलाने बारे सुझाव
पर्यावरण प्रदूषण बनी सरकार के लिए चुनौती
छात्राओं ने जागरूकता रैली निकाल किया किसानों को जागरूक
पराली के धुए से होता है वातावरण प्रदूषित और फैलती है बीमारिया : प्राचार्य
किसानों ने कहा : किसानो के पराली जलाने पर हो जाते है नियम और कानून लाग
उद्योगों से होने वाले प्रदूषण पर नहीं कोई नियम व रोक : किसान
किसानो द्वारा आज पराली का जलाना सरकार के लिए एक बड़ीचुनौती बन गया है। आज जगह-जगह पराली के धुए का असर देखा जा रहा है। किसान और आामजन दोनों को ही आज परेशानियो का सामना करना पड़ रहा है। पर्यावरण में फैले प्रदूषण के कारण आज हॉस्पिटलों में भी इसका असर देखा जा रहा है। किसानो को पराली ना जलाने बारे जागरूक करने को लेकर बुधवार को बवानीखेड़ा के राजकीय महिला महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा जागरूकता रैली निकाली गई, जिसमे किसानो को पराली नहीं जलाने को लेकर जागरूक किया गया। इस दौरान छात्राओं ने बताया कि पराली जलाने से निकलने वाले धुए से हमें अनेकों बीमारियों से तो जूझना पड़ता ही है, साथ ही वातावरण भी प्रदूषित होता है।
Body: इस दौरान महिला महाविधालय के प्राचार्य सुमित ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए आज उन्होंने जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिसमे किसानो को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे मे बताया गया है। इस दौरान किसानो को पराली न जलाने के सुझाव दिए गए कि किसान अपनी पराली ना जलाकर उन्हे पशुओ या फिर कोई ऐसे कार्य में इस्तेमाल करे, जिससे कि पर्यावरण में प्रदूषण ना फैले।
Conclusion:वही इस दौरान किसान देवेंद्र का कहना था कि आज किसान पराली जलाता है तो सरकार अलग-अलग नियम और कानून लागू कर देती है, जबकि उद्योगों से निकलने वाले धुए पर कोई नियम और कानून लागू नहीं किए जाते। किसान को पराली जलाने पर नियम और कानून तो लागू कर दिए गए, लेकिन अगर किसान पराली न जलाए तो कहां लेकर जाए और जब तक खेतों से पराली को हटाया नहीं जाए तो आगे की फसलों की पैदावार को कैसे उगाया जाए। आज सरकार को पराली उठान को लेकर भी कदम उठाने चाहिए।
बाईट : सुमित प्राचार्य देवेंदर किसान।
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