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कोरोना काल का गर्भवती महिलाओं के मानसिक स्वास्थ पर पड़ सकता है प्रभाव, कैसे रखें ध्यान?

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Published : Oct 23, 2020, 3:25 PM IST

Updated : Oct 24, 2020, 5:39 PM IST

महामारी के दौरान अधिकतर लोगों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समस्याएं देखी जा रही है. खास तौर पर गर्भवती महिलाओं में इसका गहरा असर पड़ रहा है. उन्हें बच्चे के जन्म से लेकर बच्चे के भविष्य की चिंता बढ़ गई है. इसके लिए मनोविज्ञान की विशेषज्ञ डॉ. चांदना आदित्य ने खास जानकारी साझा की है.

Pregnancy during pandemic
महामारी के दौरान गर्भावस्था

एक महामारी को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल कई कारणों से कहा जाता है, जिनमें से एक है इसके बहुरूपी प्रभाव और परिणाम. इसलिए इस स्थिति में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी अत्यंत आवश्यक है. महामारी के दौरान तरह-तरह की चिंता करना और भविष्य के विषय में अधिक सोच विचार करना किसी भी मनुष्य के भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है. विशेष तौर पर यदि आप पहले से ही भावनात्मक तौर पर दुर्बल हैं.

कई विशेषज्ञों का मानना है की कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. डब्ल्यूएचओ और आईसीएमआर ने इसके लिए कई सुझाव देते हुए कहा है की इस समय गर्भवती महिलाओं को अपने मानसिक स्वास्थ्य का अधिक ध्यान रखना चाहिए और किसी भी ऐसी स्थिति या समाचार से बचना चाहिए जिनसे उन्हें मानसिक रूप से परेशानी हो.

गर्भावस्था और मानसिक स्वास्थ्य समस्या

कलकत्ता विश्वविद्यालय की शिक्षिका और मनोविज्ञान की विशेषज्ञ डॉ. चांदना आदित्य कहती हैं की गर्भवती महिलाएं विभन्न प्रकार की मनोवैज्ञानिक अवस्थाओं से गुजरती हैं जैसे की अपने होने वाले शिशु के स्वास्थ्य की चिंता, भविष्य की चिंता, प्रीनेटल डिप्रेशन, एंग्जायटी, इत्यादि. इस हालत में एक वैश्विक महामारी तथा उससे जुड़े परिणाम उन्हें और भयभीत या बेचैन कर सकते हैं.

मां रहे पॉजिटिव, तो बच्चा होगा स्वस्थ

एक मां होने के नाते डॉ. आदित्य का यह भी कहना है की गर्भवती महिलाओं को स्ट्रेस होना, अपने होने वाले शिशु को एक सुरक्षित वातावरण में जन्म देने की चिंता होना, आय और व्यय से सम्बंधित उधेड़ बुन करना इत्यादि स्वाभाविक है. इसीलिए उन्हें अपने आप को पॉजिटिव और आशावान रखने के लिए अधिक प्रयास करना चाहिए. क्योंकि उनके मानसिक स्थिति का सीधा असर उनके नवजात शिशु पर पड़ने के पूरे आसार होते हैं.

अपने दिनचर्या में करें बदलाव

अपने आप को स्वस्थ, पॉजिटिव, और फिट रखने के लिए माएं सबसे पहले नाकारात्मक समाचार देखना या पढ़ना कम कर दें. इसके बदले में आप पॉजिटिव कहानियां पढ़ें, फिटनेस से सम्बंधित वीडियो देखें, मेडिटेशन, योग इत्यादि का पालन करें. एक वैश्विक महामारी और आइसोलेशन के समय ऐसा ना करने से आपको अत्यधिक हार्मोनल बदलाव होने के आसार रहेंगे, जो आपके शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डाल सकते हैं.

महामारी के दौरान गर्भावस्था

डॉ. चांदना आदित्य कहती हैं की आपको इस बात की भी चिंता होनी चाहिए की गर्भावस्था के दौरान खराब मानसिक या भावनात्मक स्थिति से भविष्य में आपके शिशु को ज्ञान सम्बंधित और भावना सम्बंधित हानि भी हो सकती हैं.

अंत में यह कहना आवश्यक है की माओं से अधिक साहसी कोई और हो नहीं सकता. लेकिन इस समय जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस ने कहर बरपा रखा है, तब जरूरी यह है की आप अपने साहस को पहचाने और अपने अंदर की पॉजिटिविटी को कम ना होने दें. इन सब के बीच एक नन्ही सी जान को जन्म देना आसान तो बिलकुल भी नहीं है, लेकिन बताई हुई बातों पर अमल करने से आपका यह सफर थोड़ा आसान हो सकता है.

एक महामारी को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल कई कारणों से कहा जाता है, जिनमें से एक है इसके बहुरूपी प्रभाव और परिणाम. इसलिए इस स्थिति में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी अत्यंत आवश्यक है. महामारी के दौरान तरह-तरह की चिंता करना और भविष्य के विषय में अधिक सोच विचार करना किसी भी मनुष्य के भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है. विशेष तौर पर यदि आप पहले से ही भावनात्मक तौर पर दुर्बल हैं.

कई विशेषज्ञों का मानना है की कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. डब्ल्यूएचओ और आईसीएमआर ने इसके लिए कई सुझाव देते हुए कहा है की इस समय गर्भवती महिलाओं को अपने मानसिक स्वास्थ्य का अधिक ध्यान रखना चाहिए और किसी भी ऐसी स्थिति या समाचार से बचना चाहिए जिनसे उन्हें मानसिक रूप से परेशानी हो.

गर्भावस्था और मानसिक स्वास्थ्य समस्या

कलकत्ता विश्वविद्यालय की शिक्षिका और मनोविज्ञान की विशेषज्ञ डॉ. चांदना आदित्य कहती हैं की गर्भवती महिलाएं विभन्न प्रकार की मनोवैज्ञानिक अवस्थाओं से गुजरती हैं जैसे की अपने होने वाले शिशु के स्वास्थ्य की चिंता, भविष्य की चिंता, प्रीनेटल डिप्रेशन, एंग्जायटी, इत्यादि. इस हालत में एक वैश्विक महामारी तथा उससे जुड़े परिणाम उन्हें और भयभीत या बेचैन कर सकते हैं.

मां रहे पॉजिटिव, तो बच्चा होगा स्वस्थ

एक मां होने के नाते डॉ. आदित्य का यह भी कहना है की गर्भवती महिलाओं को स्ट्रेस होना, अपने होने वाले शिशु को एक सुरक्षित वातावरण में जन्म देने की चिंता होना, आय और व्यय से सम्बंधित उधेड़ बुन करना इत्यादि स्वाभाविक है. इसीलिए उन्हें अपने आप को पॉजिटिव और आशावान रखने के लिए अधिक प्रयास करना चाहिए. क्योंकि उनके मानसिक स्थिति का सीधा असर उनके नवजात शिशु पर पड़ने के पूरे आसार होते हैं.

अपने दिनचर्या में करें बदलाव

अपने आप को स्वस्थ, पॉजिटिव, और फिट रखने के लिए माएं सबसे पहले नाकारात्मक समाचार देखना या पढ़ना कम कर दें. इसके बदले में आप पॉजिटिव कहानियां पढ़ें, फिटनेस से सम्बंधित वीडियो देखें, मेडिटेशन, योग इत्यादि का पालन करें. एक वैश्विक महामारी और आइसोलेशन के समय ऐसा ना करने से आपको अत्यधिक हार्मोनल बदलाव होने के आसार रहेंगे, जो आपके शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डाल सकते हैं.

महामारी के दौरान गर्भावस्था

डॉ. चांदना आदित्य कहती हैं की आपको इस बात की भी चिंता होनी चाहिए की गर्भावस्था के दौरान खराब मानसिक या भावनात्मक स्थिति से भविष्य में आपके शिशु को ज्ञान सम्बंधित और भावना सम्बंधित हानि भी हो सकती हैं.

अंत में यह कहना आवश्यक है की माओं से अधिक साहसी कोई और हो नहीं सकता. लेकिन इस समय जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस ने कहर बरपा रखा है, तब जरूरी यह है की आप अपने साहस को पहचाने और अपने अंदर की पॉजिटिविटी को कम ना होने दें. इन सब के बीच एक नन्ही सी जान को जन्म देना आसान तो बिलकुल भी नहीं है, लेकिन बताई हुई बातों पर अमल करने से आपका यह सफर थोड़ा आसान हो सकता है.

Last Updated : Oct 24, 2020, 5:39 PM IST
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