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सावधान! किसी रोग का संकेत भी हो सकता है मुंह से दुर्गंध आना - bad breath disease

Orthodontist Dr Alok Parmar बताते हैं कि मुंह से बदबू आने के लिए कई चिकित्सीय तथा गैर चिकित्सीय कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. साँसों से बदबू आना कई रोगों का संकेत भी माना जाता है. जिनमें से गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (Gastroesophageal reflux disease GERD) काफी आम है. Bad breath mouth problem . Sign of disease .

Bad breath mouth problem . Sign of disease .
मुंह से बदबू आना
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Published : Oct 1, 2022, 5:38 AM IST

मुंह से बदबू आना बहुत ही आम समस्या है. ज्यादातर लोग मुंह से बदबू आने को खराब हाइजीन या पेट के खराब होने से जोड़ कर देखते हैं लेकिन इस समस्या के लिए कई अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं. यहां तक कि ऐसा होना किसी रोग का संकेत भी हो सकता है. कई बार दांतों या मसूड़ों के रोग, कुछ बीमारियाँ जैसे किडनी में समस्या या मधुमेह आदि, हार्मोन्स में बदलाव या पेट या पाचन संबंधी समस्याएं भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं. Bad breath mouth problem . Sign of disease .

मुंह से बदबू आने की समस्या को हेलिटोसिस (Halitosis) नाम से भी जाना जाता है. चिकित्सक मानते हैं कि ज्यादातर मामलों में मुंह में हाइजीन की कमी जैसे दांतों में आहार के कण लंबे समय तक बचे रह जाना, दांतों पर प्लाक या कैविटी होना, जीभ की सफाई ना होना, मसूड़ों में सूजन या संक्रमण होना तथा दांतों में पायरिया या अन्य रोग होना मुंह से लगातार बदबू आने का कारण होते हैं. लेकिन कई बार मुंह या साँसों से दुर्गंध आना किसी बड़ी समस्या का संकेत भी हो सकती है.

मुंह से बदबू आने का कारण : दिल्ली के ऑर्थोडॉन्टिस्ट डॉ आलोक परमार (Dr Alok Parmar Orthodontist Delhi) बताते हैं कि मुंह से बदबू आने के लिए कई चिकित्सीय तथा गैर चिकित्सीय कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

हाइजीन की कमी : वह बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ बच्चे ही अच्छी तरह से दांतों की सफाई या ब्रश नहीं करते हैं. ऐसे वयस्कों की संख्या भी काफी ज्यादा है जिन्हे मुंह, जीभ तथा दांतों की सफाई या देखभाल का सही तरीका पता नहीं होता है, और यदि पता होता भी है तो वे उसका पालन नहीं करते हैं. जैसे दिन में दांतों को सही तरह से कम से कम दो बार साफ ना करना, दांतों में फ़्लॉस का इस्तेमाल ना करना, जीभ की नियमित रूप से सफाई ना करना या दांतों की नियमित जांच ना कराना आदि. जिसके कारण जीभ व दांतों के बीच में जमा गंदगी तथा उनके कारण पनपने वाले रोग मुंह से बदबू आने का कारण बनने लगते हैं.

मसूड़ों व दांतों से जुड़े रोग : वह बताते हैं कि मुंह में हाइजीन की कमी बैक्टीरियल संक्रमण या दांतों व मसूड़ों के रोगों (पीरियडोंटल रोग) का कारण बन सकती है. इसके अलावा दांतों पर जमा प्लाक भी इस समस्या का कारण बन सकता है. दरअसल दांतों पर प्लाक जमने पर उनकी बाहरी परत खराब होने लगती है और दांतों में सड़न होने लगती है. वहीं दांतों में कैविटी होने पर या पायरिया जैसे रोग होने पर भी सांसों से दुर्गंध आने की समस्या होने लगती है.

चिकित्सीय कारण : Dr Alok Parmar बताते हैं कि साँसों से बदबू आना कई रोगों का संकेत भी माना जाता है. जिनमें से गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (Gastroesophageal reflux disease GERD) काफी आम है. दरअसल इस रोग में गरिष्ठ आहार या अन्य कारणों से पेट में बनने वाला एसिड एसोफैगस तक आ जाता है. वैसे तो यह प्रक्रिया शरीर में आम होती है लेकिन यदि किसी व्यक्ति में यह लगातार होने लगे तो इसे रोग की श्रेणी में रखा जाता है. सांसों से दुर्गंध आना इस रोग के मुख्य लक्षणों तथा प्रभावों में से एक माना जाता है. इसके अलावा गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल संक्रमण यानी पेट में किसी तरह का संक्रमण विशेषकर हेलिकोबैक्टर फायलोरी संक्रमण जोकि पेट और छोटी आंत में होता है, मधुमेह, किडनी रोग, फेफड़ों का संक्रमण तथा लिवर से जुड़े रोग होने पर मुंह से ज्यादा दुर्गंध आने लगती है.

कैसे करें बचाव : वह बताते हैं कि मुंह से बदबू आने की समस्या से बचाव के लिए बहुत जरूरी है कि मुंह के हाइजीन यानी मुंह की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए. जिसके लिए कुछ नियमों को अपनी दिनचर्या में शामिल करना बहुत जरूरी है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • दिन में कम से कम दो बार यानी सुबह कुछ भी खाने से पहले तथा रात को सोने से पहले दांतों को ब्रश जरूर करें.
  • कुछ भी खाने के बाद नियमित रूप से दांतों में डेंटल फ़्लॉस का इस्तेमाल करें.
  • यदि संभव हो तो फ्लोराइड टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें तथा कुछ भी खाने या पीने के बाद साफ पानी से कुल्ला अवश्य करें.
  • हमेशा नरम बालों वाले ब्रश का उपयोग करें और हर चार महीने बाद ब्रश को बदल दें.
  • नियमित अंतराल पर अपने दांतों की जांच कराते रहे और जरूरत पड़ने पर चिकित्सक से अपने दांतों की स्केलिंग यानी सफाई कराएं.
  • ज्यादा मात्रा में पानी पिये.
  • स्वस्थ आहार का सेवन करें.

ब्रशिंग, फ़लासिंग तथा स्केलिंग : Orthodontist Dr Alok Parmar बताते हैं कि बहुत जरूरी है कि दांतों को ब्रश करने के लिए सही तरीके को अपनाना जाय. दरअसल बच्चे हों या बड़े, बड़ी संख्या में लोगों को ब्रश करने के सही तरीके के बारे में पता नहीं होता है. ज्यादातर लोग दांतों पर ऊपर से नीचे या गोलाई में ब्रश करने की बजाय दायें से बाएं या इसी तरह विपरीत दिशा में दांतों पर घिस घिस कर ब्रश करते हैं जो दांतों को नुकसान पहुंचाता है. वहीं इस तरह से ब्रश करने से दांतों के किनारों में फंसे खाने के कण भी बाहर नहीं निकलते हैं. दांत सही तरह से साफ हो और उनकी परत को नुकसान भी ना पहुंचे इसके लिए हमेशा टूथ ब्रश को 45 डिग्री पर पकड़कर गोलाई में ऊपर से नीचे घुमाते हुए दांत साफ करने चाहिए. इसे दांतों की सतह तथा उनके किनारे दोनों साफ हो जाते हैं.

इसके अलावा ब्रश के बाद दांतों को फ़्लॉस करना भी काफी फायदेमंद होता है. फ़्लॉस दरअसल एक मेडिकेटेड धागा होता है, जिससे दांतों के किनारों के बीच में सफाई की जाती है. ऐसा करने से ब्रश करने के बाद भी जो खाना दांतों के बीच फंसा रह जाता है वह बाहर निकल जाता है. जीभ की सफाई भी नियमित रूप से किया जाना बहुत जरूरी होता है. इसके लिए टंग क्लीनर (Tongue cleaner) का उपयोग किया जा सकता है. इन सबके बाद माउथ वॉश का भी उपयोग करना चाहिए.

इन सबके अलावा दांतों की स्केलिंग कराना भी काफी फायदेमंद होता है. दरअसल कई बार यदि आहार के कण दांतों में लंबे समय तक फंसे रह जाते हैं तो वह सख्त हो जाते हैं. चिकित्सक स्केलिंग द्वारा दांतों के चारों तरफ जमा हुई इस तरह की सख्त गंदगी को हटाते हैं. डॉ आलोक बताते हैं कि हाइजीन तथा आहार का ध्यान रखने के बाद भी यदि मुंह से दुर्गंध आना बंद ना हो चिकित्सक से परामर्श लेना बहुत जरूरी होता है.

मुंह से बदबू आना बहुत ही आम समस्या है. ज्यादातर लोग मुंह से बदबू आने को खराब हाइजीन या पेट के खराब होने से जोड़ कर देखते हैं लेकिन इस समस्या के लिए कई अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं. यहां तक कि ऐसा होना किसी रोग का संकेत भी हो सकता है. कई बार दांतों या मसूड़ों के रोग, कुछ बीमारियाँ जैसे किडनी में समस्या या मधुमेह आदि, हार्मोन्स में बदलाव या पेट या पाचन संबंधी समस्याएं भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं. Bad breath mouth problem . Sign of disease .

मुंह से बदबू आने की समस्या को हेलिटोसिस (Halitosis) नाम से भी जाना जाता है. चिकित्सक मानते हैं कि ज्यादातर मामलों में मुंह में हाइजीन की कमी जैसे दांतों में आहार के कण लंबे समय तक बचे रह जाना, दांतों पर प्लाक या कैविटी होना, जीभ की सफाई ना होना, मसूड़ों में सूजन या संक्रमण होना तथा दांतों में पायरिया या अन्य रोग होना मुंह से लगातार बदबू आने का कारण होते हैं. लेकिन कई बार मुंह या साँसों से दुर्गंध आना किसी बड़ी समस्या का संकेत भी हो सकती है.

मुंह से बदबू आने का कारण : दिल्ली के ऑर्थोडॉन्टिस्ट डॉ आलोक परमार (Dr Alok Parmar Orthodontist Delhi) बताते हैं कि मुंह से बदबू आने के लिए कई चिकित्सीय तथा गैर चिकित्सीय कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

हाइजीन की कमी : वह बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ बच्चे ही अच्छी तरह से दांतों की सफाई या ब्रश नहीं करते हैं. ऐसे वयस्कों की संख्या भी काफी ज्यादा है जिन्हे मुंह, जीभ तथा दांतों की सफाई या देखभाल का सही तरीका पता नहीं होता है, और यदि पता होता भी है तो वे उसका पालन नहीं करते हैं. जैसे दिन में दांतों को सही तरह से कम से कम दो बार साफ ना करना, दांतों में फ़्लॉस का इस्तेमाल ना करना, जीभ की नियमित रूप से सफाई ना करना या दांतों की नियमित जांच ना कराना आदि. जिसके कारण जीभ व दांतों के बीच में जमा गंदगी तथा उनके कारण पनपने वाले रोग मुंह से बदबू आने का कारण बनने लगते हैं.

मसूड़ों व दांतों से जुड़े रोग : वह बताते हैं कि मुंह में हाइजीन की कमी बैक्टीरियल संक्रमण या दांतों व मसूड़ों के रोगों (पीरियडोंटल रोग) का कारण बन सकती है. इसके अलावा दांतों पर जमा प्लाक भी इस समस्या का कारण बन सकता है. दरअसल दांतों पर प्लाक जमने पर उनकी बाहरी परत खराब होने लगती है और दांतों में सड़न होने लगती है. वहीं दांतों में कैविटी होने पर या पायरिया जैसे रोग होने पर भी सांसों से दुर्गंध आने की समस्या होने लगती है.

चिकित्सीय कारण : Dr Alok Parmar बताते हैं कि साँसों से बदबू आना कई रोगों का संकेत भी माना जाता है. जिनमें से गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (Gastroesophageal reflux disease GERD) काफी आम है. दरअसल इस रोग में गरिष्ठ आहार या अन्य कारणों से पेट में बनने वाला एसिड एसोफैगस तक आ जाता है. वैसे तो यह प्रक्रिया शरीर में आम होती है लेकिन यदि किसी व्यक्ति में यह लगातार होने लगे तो इसे रोग की श्रेणी में रखा जाता है. सांसों से दुर्गंध आना इस रोग के मुख्य लक्षणों तथा प्रभावों में से एक माना जाता है. इसके अलावा गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल संक्रमण यानी पेट में किसी तरह का संक्रमण विशेषकर हेलिकोबैक्टर फायलोरी संक्रमण जोकि पेट और छोटी आंत में होता है, मधुमेह, किडनी रोग, फेफड़ों का संक्रमण तथा लिवर से जुड़े रोग होने पर मुंह से ज्यादा दुर्गंध आने लगती है.

कैसे करें बचाव : वह बताते हैं कि मुंह से बदबू आने की समस्या से बचाव के लिए बहुत जरूरी है कि मुंह के हाइजीन यानी मुंह की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए. जिसके लिए कुछ नियमों को अपनी दिनचर्या में शामिल करना बहुत जरूरी है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • दिन में कम से कम दो बार यानी सुबह कुछ भी खाने से पहले तथा रात को सोने से पहले दांतों को ब्रश जरूर करें.
  • कुछ भी खाने के बाद नियमित रूप से दांतों में डेंटल फ़्लॉस का इस्तेमाल करें.
  • यदि संभव हो तो फ्लोराइड टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें तथा कुछ भी खाने या पीने के बाद साफ पानी से कुल्ला अवश्य करें.
  • हमेशा नरम बालों वाले ब्रश का उपयोग करें और हर चार महीने बाद ब्रश को बदल दें.
  • नियमित अंतराल पर अपने दांतों की जांच कराते रहे और जरूरत पड़ने पर चिकित्सक से अपने दांतों की स्केलिंग यानी सफाई कराएं.
  • ज्यादा मात्रा में पानी पिये.
  • स्वस्थ आहार का सेवन करें.

ब्रशिंग, फ़लासिंग तथा स्केलिंग : Orthodontist Dr Alok Parmar बताते हैं कि बहुत जरूरी है कि दांतों को ब्रश करने के लिए सही तरीके को अपनाना जाय. दरअसल बच्चे हों या बड़े, बड़ी संख्या में लोगों को ब्रश करने के सही तरीके के बारे में पता नहीं होता है. ज्यादातर लोग दांतों पर ऊपर से नीचे या गोलाई में ब्रश करने की बजाय दायें से बाएं या इसी तरह विपरीत दिशा में दांतों पर घिस घिस कर ब्रश करते हैं जो दांतों को नुकसान पहुंचाता है. वहीं इस तरह से ब्रश करने से दांतों के किनारों में फंसे खाने के कण भी बाहर नहीं निकलते हैं. दांत सही तरह से साफ हो और उनकी परत को नुकसान भी ना पहुंचे इसके लिए हमेशा टूथ ब्रश को 45 डिग्री पर पकड़कर गोलाई में ऊपर से नीचे घुमाते हुए दांत साफ करने चाहिए. इसे दांतों की सतह तथा उनके किनारे दोनों साफ हो जाते हैं.

इसके अलावा ब्रश के बाद दांतों को फ़्लॉस करना भी काफी फायदेमंद होता है. फ़्लॉस दरअसल एक मेडिकेटेड धागा होता है, जिससे दांतों के किनारों के बीच में सफाई की जाती है. ऐसा करने से ब्रश करने के बाद भी जो खाना दांतों के बीच फंसा रह जाता है वह बाहर निकल जाता है. जीभ की सफाई भी नियमित रूप से किया जाना बहुत जरूरी होता है. इसके लिए टंग क्लीनर (Tongue cleaner) का उपयोग किया जा सकता है. इन सबके बाद माउथ वॉश का भी उपयोग करना चाहिए.

इन सबके अलावा दांतों की स्केलिंग कराना भी काफी फायदेमंद होता है. दरअसल कई बार यदि आहार के कण दांतों में लंबे समय तक फंसे रह जाते हैं तो वह सख्त हो जाते हैं. चिकित्सक स्केलिंग द्वारा दांतों के चारों तरफ जमा हुई इस तरह की सख्त गंदगी को हटाते हैं. डॉ आलोक बताते हैं कि हाइजीन तथा आहार का ध्यान रखने के बाद भी यदि मुंह से दुर्गंध आना बंद ना हो चिकित्सक से परामर्श लेना बहुत जरूरी होता है.

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