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जेएनयू में सीसीटीवी लगाना शुरू, स्टूडेंट्स और AISA का विरोध जारी

जेएनयू प्रशासन ने कैंपस में सीसीटीवी लगाने शुरू किए हैं, जिसका आइसा ने विरोध किया है. आइसा का कहना है कि कैमरे लगने से इससे सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी बल्कि छात्रों की निजता भंग होगी. साथ ही आइसा ने जेएनयू प्रशासन के सामने कुछ मांगे रखी हैं.

cctv installation started in jnu for which students and aisa protest
सीसीटी का आइसा ने किया विरोध
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Published : May 22, 2020, 10:27 AM IST

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एक बार फिर जेएनयू प्रशासन और छात्रों के बीच विवाद तूल पकड़ता नजर आ रहा है. बता दें कि छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने जेएनयू प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वह विपरीत परिस्थिति का फायदा उठाकर छात्रों पर निगरानी बनाए रखने के लिए हॉस्टल परिसर में सीसीटीवी कैमरा लगवा रहे हैं.

आइसा ने जेएनयू में सीसीटीवी लगने पर किया विरोध

उन्होंने कहा कि बार-बार इसको लेकर छात्रों ने विरोध जताया है, लेकिन जेएनयू प्रशासन हर बार सुरक्षा का हवाला देते हुए अपनी मनमानी करता है. ऐसे में छात्र संगठन आइसा जेएनयू प्रशासन के इस निर्णय का बहिष्कार करता है और मांग करता है कि विश्वविद्यालय संबंधित किसी भी तरह का निर्णय पारित करने से पहले छात्रों, शिक्षकों और अन्य स्टाफ को जरूर अवगत कराया जाए.


प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाए

जेएनयू परिसर और हॉस्टल में सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाने को लेकर छात्र संगठन आइसा ने विरोध जताया है. छात्र संगठन आइसा का कहना है कि केवल सीसीटीवी कैमरे लगाने से छात्रावास में रह रहे छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती. इसके लिए जरूरी है कि जेएनयू प्रशासन अपनी जिम्मेदारी सजगता से निभाए.

जरूरत के मुताबिक कम सुरक्षाकर्मी

वहीं छात्र संगठन आइसा ने जेएनयू में बीते समय में हुए कई हादसों का हवाला देते हुए कहा कि जेएनयू प्रशासन खुद सुरक्षा में सेंध लगता है. साथ ही कहा कि पुरानी सुरक्षा पद्धति जो बेहतर थी उसे बदलकर एक बेहद ढीली और प्रभावहीन सुरक्षा पद्धति अपनायी है, जिससे सबकी सुरक्षा खतरे में पड़ गयी है. आइसा का कहना है कि जितने सुरक्षाकर्मियों की जेएनयू परिसर में आवश्यकता है, उसके मुकाबले बहुत कम सुरक्षाकर्मी परिसर में तैनात होते हैं. साथ ही लेबोरेट्री समेत कई ऐसी जगह होती हैं जहां सुरक्षाकर्मी के नाम पर कोई नहीं होता केवल सन्नाटा पसरा होता है जिससे महिला छात्राओं, महिला शिक्षकों और अन्य महिला कर्मचारियों की सुरक्षा खतरे में होती है.

कैमरे से भंग होगी निजता

आइसा का कहना है कि सीसीटीवी कैमरा लगाकर छात्रों पर निगरानी बनाए रखने के लिए जेएनयू प्रशासन ने छात्रों पर निगरानी रखने का ये अनूठा तरीका निकाला है. साथ ही कहा कि जेएनयू प्रशासन हर बार अपनी मनमानी करता और हर बार छात्र सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का विरोध करते आ रहे हैं. साथ ही कहा कि इस बार भी कोविड-19 की असाधारण परिस्थिति का लाभ उठाते हुए जेएनयू प्रशासन ने बिना किसी छात्र या छात्रसंघ से रजामंदी लिए या किसी तरह का औपचारिक ऐलान किए कि सभी हॉस्टल में सीसीटीवी कैमरे बड़ी तत्परता से लगवा रहा है, लेकिन इससे सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी बल्कि छात्रों की निजता भंग होगी.


प्रशासन के सामने रखी ये मांग

वहीं आइसा ने जेएनयू प्रशासन से मांग की है कि विश्वविद्यालय संबंधित कोई भी निर्णय पारित करने से पहले छात्रों, शिक्षकों और अन्य स्टाफ की भागीदारी सुनिश्चित की जाए और सभी निर्णय उनसे साझा किए जाएं. साथ ही कहा कि सीसीटीवी कैमरे लगाने की इस प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए. इसके अलावा छात्रावास सहित समस्त जेएनयू परिसर में सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए. इसके अलावा जेएनयू सिक्योरिटी स्कैम को लेकर एक जुडिशल इंक्वायरी बैठायी जाए और जीएसकैश को भी पुनः बहाल किया जाए.

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एक बार फिर जेएनयू प्रशासन और छात्रों के बीच विवाद तूल पकड़ता नजर आ रहा है. बता दें कि छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने जेएनयू प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वह विपरीत परिस्थिति का फायदा उठाकर छात्रों पर निगरानी बनाए रखने के लिए हॉस्टल परिसर में सीसीटीवी कैमरा लगवा रहे हैं.

आइसा ने जेएनयू में सीसीटीवी लगने पर किया विरोध

उन्होंने कहा कि बार-बार इसको लेकर छात्रों ने विरोध जताया है, लेकिन जेएनयू प्रशासन हर बार सुरक्षा का हवाला देते हुए अपनी मनमानी करता है. ऐसे में छात्र संगठन आइसा जेएनयू प्रशासन के इस निर्णय का बहिष्कार करता है और मांग करता है कि विश्वविद्यालय संबंधित किसी भी तरह का निर्णय पारित करने से पहले छात्रों, शिक्षकों और अन्य स्टाफ को जरूर अवगत कराया जाए.


प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाए

जेएनयू परिसर और हॉस्टल में सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाने को लेकर छात्र संगठन आइसा ने विरोध जताया है. छात्र संगठन आइसा का कहना है कि केवल सीसीटीवी कैमरे लगाने से छात्रावास में रह रहे छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती. इसके लिए जरूरी है कि जेएनयू प्रशासन अपनी जिम्मेदारी सजगता से निभाए.

जरूरत के मुताबिक कम सुरक्षाकर्मी

वहीं छात्र संगठन आइसा ने जेएनयू में बीते समय में हुए कई हादसों का हवाला देते हुए कहा कि जेएनयू प्रशासन खुद सुरक्षा में सेंध लगता है. साथ ही कहा कि पुरानी सुरक्षा पद्धति जो बेहतर थी उसे बदलकर एक बेहद ढीली और प्रभावहीन सुरक्षा पद्धति अपनायी है, जिससे सबकी सुरक्षा खतरे में पड़ गयी है. आइसा का कहना है कि जितने सुरक्षाकर्मियों की जेएनयू परिसर में आवश्यकता है, उसके मुकाबले बहुत कम सुरक्षाकर्मी परिसर में तैनात होते हैं. साथ ही लेबोरेट्री समेत कई ऐसी जगह होती हैं जहां सुरक्षाकर्मी के नाम पर कोई नहीं होता केवल सन्नाटा पसरा होता है जिससे महिला छात्राओं, महिला शिक्षकों और अन्य महिला कर्मचारियों की सुरक्षा खतरे में होती है.

कैमरे से भंग होगी निजता

आइसा का कहना है कि सीसीटीवी कैमरा लगाकर छात्रों पर निगरानी बनाए रखने के लिए जेएनयू प्रशासन ने छात्रों पर निगरानी रखने का ये अनूठा तरीका निकाला है. साथ ही कहा कि जेएनयू प्रशासन हर बार अपनी मनमानी करता और हर बार छात्र सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का विरोध करते आ रहे हैं. साथ ही कहा कि इस बार भी कोविड-19 की असाधारण परिस्थिति का लाभ उठाते हुए जेएनयू प्रशासन ने बिना किसी छात्र या छात्रसंघ से रजामंदी लिए या किसी तरह का औपचारिक ऐलान किए कि सभी हॉस्टल में सीसीटीवी कैमरे बड़ी तत्परता से लगवा रहा है, लेकिन इससे सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी बल्कि छात्रों की निजता भंग होगी.


प्रशासन के सामने रखी ये मांग

वहीं आइसा ने जेएनयू प्रशासन से मांग की है कि विश्वविद्यालय संबंधित कोई भी निर्णय पारित करने से पहले छात्रों, शिक्षकों और अन्य स्टाफ की भागीदारी सुनिश्चित की जाए और सभी निर्णय उनसे साझा किए जाएं. साथ ही कहा कि सीसीटीवी कैमरे लगाने की इस प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए. इसके अलावा छात्रावास सहित समस्त जेएनयू परिसर में सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए. इसके अलावा जेएनयू सिक्योरिटी स्कैम को लेकर एक जुडिशल इंक्वायरी बैठायी जाए और जीएसकैश को भी पुनः बहाल किया जाए.

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