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राखी पर भी कोरोना संकट, पारंपरिक बाजारों की अपेक्षा ऑनलाइन बिक्री पर जोर

शाहदरा का वो छोटा बाजार जहां राखी के समय भीड़ से पार होना भी मुश्किल होता था. आज वो सुनसान पड़ा हुआ हैं. कोरोना संकट की वजह से ग्राहक न होने से जहां दुकानदार मायूस हैं. वहीं राखी की दुकानों की संख्या भी घटकर 10 फीसदी ही रह गई है.

Corona impact on shahdara rakhi market
राखी पर भी कोरोना संकट
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Published : Jul 30, 2020, 6:50 AM IST

नई दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे ने हमारी पूरी लाइफस्टाइल बदल दी है. इस महामारी का असर त्योहारों पर भी पड़ा है. भाई-बहन के पवित्र त्योहार का रक्षाबंधन का स्वरूप इस बार बदला-बदला सा है. राखी के उत्सव का नजारा अब ऑफलाइन के बजाय ऑनलाइन ज्यादा दिख रहा है. जिसके कारण पारंपरिक बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है.

बाजारों की अपेक्षा ऑनलाइन बिक्री पर जोर

पारंपरिक बाजारों में सन्नाटा

राखी का त्योहार नजदीक है पर राखियों के बाजार का भी यही हाल है. इस बार पारंपरिक बाजारों की तुलना में ऑनलाइन बाजार में ज्यादा चमक दिख रही है, लेकिन शाहदरा का वो छोटा बाजार जहां राखी के समय भीड़ से पार होना भी मुश्किल होता था. आज वहां सुनसान पड़ा हुआ हैं. कोरोना संकट की वजह से ग्राहक न होने से जहां दुकानदार मायूस हैं. वहीं राखी की दुकानों की संख्या भी घटकर 10 फीसदी ही रह गई है.



ऑनलाइन बिक्री पर ज्यादा जोर

इस बार त्योहारों पर ऑनलाइन बिक्री 65 फीसदी तक हो रही है. जबकि पारंपरिक बाजार में इसमें 55 फीसदी तक कमी आयी है. इस बार भाइयों की राखी हो या बहनों का गिफ्ट, सब कुछ ऑनलाइन घर बैठे ही पहुंच जा रहा है. लेकिन दिल्ली के बाजार जहां सोने की खरीददारी होती थी आज सुनसान पड़े हुए हैं.

पारंपरिक बाजारों में रोजी-रोटी का संकट

त्योहारों का सीजन चल रहा है ऐसे में रक्षाबंधन त्योहार नजदीक है लेकिन इस बार राखी पर दुकानदारों के चेहरे बेहद मायूस है. क्योंकि कोरोना संकट की वजह से ग्राहक ना के बराबर ही राखी की दुकान पर पहुंच रहे हैं.

ऐसे में दुकानदारों के सामने रोजी रोटी का संकट भी आकर खड़ा हो चुका है. क्योंकि माल की कीमत भी दुकानदारों को नहीं मिल पा रही है. लॉकडाउन और कोरोना की वजह से पैदा हुई बेरोजगारी का असर अब बाजारों में साफ देखा जा सकता हैं.

नई दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे ने हमारी पूरी लाइफस्टाइल बदल दी है. इस महामारी का असर त्योहारों पर भी पड़ा है. भाई-बहन के पवित्र त्योहार का रक्षाबंधन का स्वरूप इस बार बदला-बदला सा है. राखी के उत्सव का नजारा अब ऑफलाइन के बजाय ऑनलाइन ज्यादा दिख रहा है. जिसके कारण पारंपरिक बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है.

बाजारों की अपेक्षा ऑनलाइन बिक्री पर जोर

पारंपरिक बाजारों में सन्नाटा

राखी का त्योहार नजदीक है पर राखियों के बाजार का भी यही हाल है. इस बार पारंपरिक बाजारों की तुलना में ऑनलाइन बाजार में ज्यादा चमक दिख रही है, लेकिन शाहदरा का वो छोटा बाजार जहां राखी के समय भीड़ से पार होना भी मुश्किल होता था. आज वहां सुनसान पड़ा हुआ हैं. कोरोना संकट की वजह से ग्राहक न होने से जहां दुकानदार मायूस हैं. वहीं राखी की दुकानों की संख्या भी घटकर 10 फीसदी ही रह गई है.



ऑनलाइन बिक्री पर ज्यादा जोर

इस बार त्योहारों पर ऑनलाइन बिक्री 65 फीसदी तक हो रही है. जबकि पारंपरिक बाजार में इसमें 55 फीसदी तक कमी आयी है. इस बार भाइयों की राखी हो या बहनों का गिफ्ट, सब कुछ ऑनलाइन घर बैठे ही पहुंच जा रहा है. लेकिन दिल्ली के बाजार जहां सोने की खरीददारी होती थी आज सुनसान पड़े हुए हैं.

पारंपरिक बाजारों में रोजी-रोटी का संकट

त्योहारों का सीजन चल रहा है ऐसे में रक्षाबंधन त्योहार नजदीक है लेकिन इस बार राखी पर दुकानदारों के चेहरे बेहद मायूस है. क्योंकि कोरोना संकट की वजह से ग्राहक ना के बराबर ही राखी की दुकान पर पहुंच रहे हैं.

ऐसे में दुकानदारों के सामने रोजी रोटी का संकट भी आकर खड़ा हो चुका है. क्योंकि माल की कीमत भी दुकानदारों को नहीं मिल पा रही है. लॉकडाउन और कोरोना की वजह से पैदा हुई बेरोजगारी का असर अब बाजारों में साफ देखा जा सकता हैं.

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