नई दिल्ली: स्कूल फीस को लेकर स्कूल और अभिभावक अब आमने-सामने आ चुके हैं. ऐसे में दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन (DSPSMA) के अध्यक्ष आर सी जैन ने स्कूल और अभिभावकों के लिए बीच का रास्ता निकालने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं. जिन्हें दिल्ली के स्कूलों में लागू करने का प्रयास भी किया जाएगा.
स्कूल फीस को लेकर कोर्ट का दरवाजा भी कई बार खटखटाया जा चुका है. लेकिन अभिभावकों को कोर्ट से भी निराशा ही हाथ लगी है. ऐसी स्थिति में जब ज्यादातर अभिभावक स्कूल की शर्तों को मानने को तैयार नहीं हैं. वहीं स्कूल भी अभिभावकों की स्थिति को नजर अंदाज कर रहे हैं.
स्कूलों की माली हालत खराब
लॉकडाउन और कोरोना माहमारी में फैली बेरोजगारी से हर तबका परेशान हैं. ऐसे हजारों छात्रों का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है. अधिकांश परिवार बेरोजगार हो चुके हैं. ऐसे में स्कूल और अभिभावकों के बीच समन्वय कैसे बैठेगा. इसी पर ईटीवी भारत ने दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आर सी जैन से बातचीत की.
उनका कहना है कि मौजूदा स्थिति में स्कूल वालों को फीस देनी चाहिए. क्योंकि पिछले 5 सालों में दिल्ली सरकार ने स्कूलों को फीस बढ़ोतरी की अनुमति नहीं दी हैं. ऐसी स्थिति में स्कूलों की माली हालत ठीक नहीं हैं. वहीं अगर सारा भार स्कूलों के ऊपर डालना अनुचित होगा. ऐसी स्थिति में स्कूलों के खर्चे कैसे पूरे होंगे. स्कूल स्टाफ को सैलरी से लेकर तमाम स्कूल संबंधी खर्चो को पूरा करना मुश्किल होगा.
समर्थवान लोग आगे आएं
जैन कहते है कि हम स्कूल और अभिभावकों के लिए बीच का रास्ता निकलने की कोशिश में जुटे हुए हैं. स्कूल के ऐसे अध्यापक या अध्यापिकाएं जो 2 या 3 महीने की सैलरी छोड़ सकते हैं और उनका गुजारा चल सकता हैं. तो उन्हें आगे आना चाहिए. जिसकी वजह से स्कूल को मदद मिलेगी.
वहीं ऐसे अभिभावक जो स्कूल की फीस भरने में समर्थवान हैं वो स्कूल को फीस दे. लेकिन ऐसे अभिभावक जो स्कूलों की फीस भरने में असमर्थ हैं और वाकई उन्हें मदद की जरूरत है. ऐसे अभिभावकों को स्कूल वाले छूट दे. जो लोग दो या तीन बच्चों की फीस भर सकते हैं या फिर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं. जो गरीब बच्चोंं को पढ़ाते हैं. वो लोग आगे आ कर ऐसे बच्चों की फीस भरे. जिसके बाद स्थिति में सुधार आना शरू हो जाएगा.
स्कूल रिसेप्शन पर कोरोना योद्धा के रूप में फोटो लगाएं
मौजूदा वख्त में मदद करने वाले लोगों को स्कूल वाले प्रमोट करें और कोरोना योद्धा के रूप में स्कूल रिसेप्शन पर उनकी फोटो लगाएं. स्कूल स्टाफ जो मदद के लिए आगे आये या फिर जो ऐसे लोग हैं. जो एक से अधिक बच्चों की 2 या तीन महीने की फीस भर सकते हैं. समाज के ऐसे समर्थवान लोग जो गरीबों की पढ़ाई पर खर्चा करते थे. वो एक या दो बच्चों को फीस जमा कर सकते हैं. ऐसे सभी मददगार कोरोना योद्धाओं के रूप में स्कूल वालों को उनको फोटो को रिसेप्शन पर लगाएं. ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा मदद के लिए आगे आएं.
शिक्षा के क्षेत्र में मिलकर सहयोग करें
जैसे लोगों ने एकजुट होकर कोरोना माहमारी में पीएम केयर फंड में दान किया था. उसी तरह शिक्षा के क्षेत्र में मिलकर सहयोग करने से स्थिति में सुधार होगा. जैन ने कहा है की सरकार को भी मदद करने की जरूरत हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार भी स्कूलों की मदद करे. ताकि अभिभावकों और स्कूलों के बीच की मौजूदा स्थिति से निपटा जा सकें और किसी भी बच्चे की शिक्षा ना छूटे.