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कहानी नीरज बवाना और नीतू दाबोदा की, अपराध की दुनिया में उतरे साथ, विवाद हुआ तो बन गए 'जानी दुश्मन' - Outer Delhi

बवाना का रहने वाला नीरज वर्ष 2004-05 से अपराध की दुनिया में सक्रिय हुआ. उस समय नीतू दाबोदा गैंग अपराध की दुनिया में काफी नाम कमा चुका था. दोनों ने साथ मिलकर कई वर्षों तक लूट, हत्या, डकैती जैसे कई वारदातों को अंजाम दिया.

कहानी नीरज बवाना और नीतू दाबोदा की
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Published : Jun 10, 2019, 10:40 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी में दर्जन भर गैंग एक-दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं. कहीं वर्चस्व को लेकर दो गैंग आपस में भिड़ रहे हैं तो कहीं जमीन या प्रापर्टी के विवाद में रंजिश ने जन्म लिया. इन गैंगों के बीच चल रही रंजिश में 100 से ज्यादा कत्ल हो चुके हैं. यह बदमाश हमेशा ही एक-दूसरे के खून के प्यासे रहते हैं और बीच सड़क खून बहाने से नहीं कतराते. ऐसे सभी प्रमुख गैंगों के बारे में ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है. आखिर क्यों उनके बीच रंजिश शुरू हुई और इसकी वजह से अब क्या हालात हैं.

जेल से चलाता है गैंग
बाहरी दिल्ली में आज के समय में सबसे बड़ा बदमाश नीरज बवाना है. तिहाड़ जेल में बंद होने के बावजूद अपने गुर्गों के माध्यम से नीरज लगातार अपराध की दुनिया में सक्रिय रहता है. यह नाम बनाने के लिए उसने पहले अपने साथी और बाद में विरोधी रहे सुरेन्द्र मलिक उर्फ नीतू दाबोदा के गैंग के सभी प्रमुख बदमाशों को मार डाला. नीतू दाबोदा जब स्पेशल सेल की मुठभेड़ में मारा गया तब से नीरज और मजबूत होता चला गया. दोनों तरफ से अब तक एक दर्जन से ज्यादा हत्याएं हो चुकी हैं.

कहानी नीरज बवाना और नीतू दाबोदा की



2004 से साथ कर रहे थे अपराध

बवाना का रहने वाला नीरज वर्ष 2004-05 से अपराध की दुनिया में सक्रिय हुआ. उस समय नीतू दाबोदा गैंग अपराध की दुनिया में काफी नाम कमा चुका था. दोनों ने साथ मिलकर कई वर्षों तक लूट, हत्या, डकैती जैसे कई वारदातों को अंजाम दिया. दोनों एक साथ रहने की वजह से जहां लगातार अपने गैंग को बढ़ा रहे थे तो दूसरी तरफ दिल्ली में उनके गैंग का नाम भी लगातर सुर्खियां बटोर रहा था.


सोनू पंडित की हत्या बनी ट्रिगर प्वाइंट
वर्ष 2011 में उनके गैंग में टटेसर गांव निवासी अजय उर्फ सोनू पंडित की एंट्री हुई. वह नीरज के बेहद करीब था. उसकी वजह से नीरज और नीतू के बीच दूरियां बढ़ती जा रही थी. नीतू को लगता था कि सोनू उसके खिलाफ नीरज को भड़काता है. वह गैंग की सारी खबरें भी नीरज तक पहुंचाता है. उसे यह लगने लगा कि नीरज, सोनू पंडित के साथ मिलकर उसकी हत्या कर सकता है. इसलिए उसने वर्ष 2012 में सोनू पंडित को अगवा कर बेरहमी से उसकी हत्या कर दी. हत्या के बाद उसके शव को करनाल के जंगल में ले जाकर जला दिया. इस घटना ने नीरज और नीतू के बीच गैंगवार को जन्म दिया.


चलता रहा हत्याओं का सिलसिला
नीतू दाबोदा के साथी राजेश उर्फ राजू ने नीरज का हाथ थाम लिया. इससे नाराज नीतू ने उसकी हत्या कर दी. इस समय तक नीरज पर नीतू काफी भारी पड़ रहा था. लेकिन 24 अक्टूबर 2013 को वसंत कुंज इलाके में हुई एक मुठभेड़ में स्पेशल सेल ने नीतू को मार गिराया. यहां से ही नीरज बवानिया विरोधी गैंग पर हावी होने लगा. वर्ष 2014 में उसने सोनू पंडित की हत्या में शामिल संदीप टटेसर की हत्या कर दी. इसके बाद रानी बाग इलाके में नीरज के गुर्गों ने नीतू के साथी प्रदीप दहिया और अनिल की गोली मारकर हत्या कर दी. नीतू के साथी आशु हलालपुरी को भी नीरज ने मार दिया. उधर नीतू के साथियों ने नीरज के गुर्गे मोनू वाजिदपुर को मार डाला.

story of niraj bawana and nitu daboda gang
नीरज बवाना



नीतू दाबोदा गैंग संभाल रहा राजेश बवानिया
नीतू की मौत के बाद उसके गिरोह की कमान पारस उर्फ गोल्डी और प्रदीप उर्फ भोला ने संभाली. अप्रैल 2014 में रोहिणी कोर्ट परिसर में नीरज ने प्रदीप भोला की पेशी के दौरान हत्या का प्लान बनाया. अदालत परिसर में दस बदमाश हत्या के लिए दाखिल भी हो गये, लेकिन पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया. इसके बाद 25 अगस्त 2015 में पुलिस नीरज बवाना को कोर्ट से पेशी के बाद जेल वैन में वापस लेकर जा रही थी. इसी जेल वैन में पारस और प्रदीप भी मौजूद थे. नीरज ने अपने साथियों की मदद से जेल वैन में ही दोनों को मार डाला. अप्रैल 2017 में उसने रोहिणी जेल के बाहर राजेश धुरमूट को भी मरवा दिया. अब नीतू के गैंग की कमान जेल में बंद राजेश बवानिया के पास है. नीरज अब केवल उसे ही अपनी जान के लिए खतरा मानता है और उसे मारने का मौका तलाशता रहता है.



'दिल्ली में लगता है डर'
दिल्ली निवासी दीपक त्यागी ने बताया कि राजधानी में हो रही गैंगवार से आम लोगों के बीच में भी डर का माहौल रहता है. बदमाश बीच सड़क पर गैंगवार कर रहे हैं जिसकी चपेट में आम लोग भी आने लगे हैं. पुलिस को इसे लेकर गंभीरता से काम करने की जरूरत है ताकि आम लोगों के बीच भय का माहौल न बने.


कानूनी पेचीदगी का उठाते हैं फायदा
अधिवक्ता दीपक चौधरी ने बताया कि राजधानी में बदमाश वर्चस्व को लेकर आपस में भिड़ते हैं और एक-दूसरे की जान लेते हैं. गैंगवार को रोकने में पुलिस फेल हो रही है. इसके लिए उन्हें सोचने की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि बदमाश कानूनी पेचीदगी का फायदा उठाकर बच निकलते हैं. लंबी कानूनी प्रक्रिया के दौरान कई बार गवाह अपने बयान से मुकर जाते हैं तो कई बार पुलिस अदालत में अपराध को साबित नहीं कर पाती.

नई दिल्ली: राजधानी में दर्जन भर गैंग एक-दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं. कहीं वर्चस्व को लेकर दो गैंग आपस में भिड़ रहे हैं तो कहीं जमीन या प्रापर्टी के विवाद में रंजिश ने जन्म लिया. इन गैंगों के बीच चल रही रंजिश में 100 से ज्यादा कत्ल हो चुके हैं. यह बदमाश हमेशा ही एक-दूसरे के खून के प्यासे रहते हैं और बीच सड़क खून बहाने से नहीं कतराते. ऐसे सभी प्रमुख गैंगों के बारे में ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है. आखिर क्यों उनके बीच रंजिश शुरू हुई और इसकी वजह से अब क्या हालात हैं.

जेल से चलाता है गैंग
बाहरी दिल्ली में आज के समय में सबसे बड़ा बदमाश नीरज बवाना है. तिहाड़ जेल में बंद होने के बावजूद अपने गुर्गों के माध्यम से नीरज लगातार अपराध की दुनिया में सक्रिय रहता है. यह नाम बनाने के लिए उसने पहले अपने साथी और बाद में विरोधी रहे सुरेन्द्र मलिक उर्फ नीतू दाबोदा के गैंग के सभी प्रमुख बदमाशों को मार डाला. नीतू दाबोदा जब स्पेशल सेल की मुठभेड़ में मारा गया तब से नीरज और मजबूत होता चला गया. दोनों तरफ से अब तक एक दर्जन से ज्यादा हत्याएं हो चुकी हैं.

कहानी नीरज बवाना और नीतू दाबोदा की



2004 से साथ कर रहे थे अपराध

बवाना का रहने वाला नीरज वर्ष 2004-05 से अपराध की दुनिया में सक्रिय हुआ. उस समय नीतू दाबोदा गैंग अपराध की दुनिया में काफी नाम कमा चुका था. दोनों ने साथ मिलकर कई वर्षों तक लूट, हत्या, डकैती जैसे कई वारदातों को अंजाम दिया. दोनों एक साथ रहने की वजह से जहां लगातार अपने गैंग को बढ़ा रहे थे तो दूसरी तरफ दिल्ली में उनके गैंग का नाम भी लगातर सुर्खियां बटोर रहा था.


सोनू पंडित की हत्या बनी ट्रिगर प्वाइंट
वर्ष 2011 में उनके गैंग में टटेसर गांव निवासी अजय उर्फ सोनू पंडित की एंट्री हुई. वह नीरज के बेहद करीब था. उसकी वजह से नीरज और नीतू के बीच दूरियां बढ़ती जा रही थी. नीतू को लगता था कि सोनू उसके खिलाफ नीरज को भड़काता है. वह गैंग की सारी खबरें भी नीरज तक पहुंचाता है. उसे यह लगने लगा कि नीरज, सोनू पंडित के साथ मिलकर उसकी हत्या कर सकता है. इसलिए उसने वर्ष 2012 में सोनू पंडित को अगवा कर बेरहमी से उसकी हत्या कर दी. हत्या के बाद उसके शव को करनाल के जंगल में ले जाकर जला दिया. इस घटना ने नीरज और नीतू के बीच गैंगवार को जन्म दिया.


चलता रहा हत्याओं का सिलसिला
नीतू दाबोदा के साथी राजेश उर्फ राजू ने नीरज का हाथ थाम लिया. इससे नाराज नीतू ने उसकी हत्या कर दी. इस समय तक नीरज पर नीतू काफी भारी पड़ रहा था. लेकिन 24 अक्टूबर 2013 को वसंत कुंज इलाके में हुई एक मुठभेड़ में स्पेशल सेल ने नीतू को मार गिराया. यहां से ही नीरज बवानिया विरोधी गैंग पर हावी होने लगा. वर्ष 2014 में उसने सोनू पंडित की हत्या में शामिल संदीप टटेसर की हत्या कर दी. इसके बाद रानी बाग इलाके में नीरज के गुर्गों ने नीतू के साथी प्रदीप दहिया और अनिल की गोली मारकर हत्या कर दी. नीतू के साथी आशु हलालपुरी को भी नीरज ने मार दिया. उधर नीतू के साथियों ने नीरज के गुर्गे मोनू वाजिदपुर को मार डाला.

story of niraj bawana and nitu daboda gang
नीरज बवाना



नीतू दाबोदा गैंग संभाल रहा राजेश बवानिया
नीतू की मौत के बाद उसके गिरोह की कमान पारस उर्फ गोल्डी और प्रदीप उर्फ भोला ने संभाली. अप्रैल 2014 में रोहिणी कोर्ट परिसर में नीरज ने प्रदीप भोला की पेशी के दौरान हत्या का प्लान बनाया. अदालत परिसर में दस बदमाश हत्या के लिए दाखिल भी हो गये, लेकिन पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया. इसके बाद 25 अगस्त 2015 में पुलिस नीरज बवाना को कोर्ट से पेशी के बाद जेल वैन में वापस लेकर जा रही थी. इसी जेल वैन में पारस और प्रदीप भी मौजूद थे. नीरज ने अपने साथियों की मदद से जेल वैन में ही दोनों को मार डाला. अप्रैल 2017 में उसने रोहिणी जेल के बाहर राजेश धुरमूट को भी मरवा दिया. अब नीतू के गैंग की कमान जेल में बंद राजेश बवानिया के पास है. नीरज अब केवल उसे ही अपनी जान के लिए खतरा मानता है और उसे मारने का मौका तलाशता रहता है.



'दिल्ली में लगता है डर'
दिल्ली निवासी दीपक त्यागी ने बताया कि राजधानी में हो रही गैंगवार से आम लोगों के बीच में भी डर का माहौल रहता है. बदमाश बीच सड़क पर गैंगवार कर रहे हैं जिसकी चपेट में आम लोग भी आने लगे हैं. पुलिस को इसे लेकर गंभीरता से काम करने की जरूरत है ताकि आम लोगों के बीच भय का माहौल न बने.


कानूनी पेचीदगी का उठाते हैं फायदा
अधिवक्ता दीपक चौधरी ने बताया कि राजधानी में बदमाश वर्चस्व को लेकर आपस में भिड़ते हैं और एक-दूसरे की जान लेते हैं. गैंगवार को रोकने में पुलिस फेल हो रही है. इसके लिए उन्हें सोचने की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि बदमाश कानूनी पेचीदगी का फायदा उठाकर बच निकलते हैं. लंबी कानूनी प्रक्रिया के दौरान कई बार गवाह अपने बयान से मुकर जाते हैं तो कई बार पुलिस अदालत में अपराध को साबित नहीं कर पाती.

Intro:
येलो टी शर्ट में दीपक त्यागी की बाइट है जो दिल्लीवासी के तौर पर ली गई है।

सफेद शर्ट में बाइट अधिवक्ता दीपक चौधरी की है।

काली शर्ट में नीरज बवानिया की फोटो है.
ग्रीन बैकग्राउंड वाली नीतू दाबोदिया की फोटो है.

गैंगवार इन दिल्ली पार्ट-5
 
राजधानी में दर्जन भर गैंग एक-दूसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं. कहीं वर्चस्व को लेकर दो गैंग आपस में भिड़ रहे हैं तो कहीं जमीन या प्रापर्टी के विवाद में रंजिश ने जन्म लिया. इन गैंगों के बीच चल रही रंजिश में 100 से ज्यादा कत्ल हो चुके हैं. यह बदमाश हमेशा ही एक-दूसरे के खून के प्यासे रहते हैं और बीच सड़क खून बहाने से नहीं कतराते. ऐसे सभी प्रमुख गैंगों के बारे में ईटीवी भारत आपको बताने जा रहा है. क्यों आखिर उनके बीच रंजिश शुरु हुई और इसकी वजह से अब क्या हालात हैं.


नई दिल्ली
बाहरी दिल्ली में आज के समय में सबसे बड़ा बदमाश नीरज बवाना है. वह तिहाड़ जेल में बंद होने के बावजूद अपने गुर्गों के माध्यम से अपराधों में सक्रिय रहता है. यह नाम बनाने के लिए उसने पहले अपने साथी और बाद में विरोधी रहे सुरेन्द्र मलिक उर्फ नीतू दाबोदा के गैंग के सभी प्रमुख बदमाशों को मार डाला. नीतू दाबोदा जब स्पेशल सेल की मुठभेड़ में मारा गया तो वह मजबूत होता चला गया. दोनों तरफ से अब तक एक दर्जन से ज्यादा हत्याएं हो चुकी हैं.


Body:बाहरी दिल्ली में आज के समय में सबसे बड़ा बदमाश नीरज बवाना है. वह तिहाड़ जेल में बंद होने के बावजूद अपने गुर्गों के माध्यम से अपराधों में सक्रिय रहता है. यह नाम बनाने के लिए उसने पहले अपने साथी और बाद में विरोधी रहे सुरेन्द्र मलिक उर्फ नीतू दाबोदा के गैंग के सभी प्रमुख बदमाशों को मार डाला. नीतू दाबोदा जब स्पेशल सेल की मुठभेड़ में मारा गया तो वह मजबूत होता चला गया. दोनों तरफ से अब तक एक दर्जन से ज्यादा हत्याएं हो चुकी हैं.


2004 से साथ कर रहे थे अपराध
 
बवाना का रहने वाला नीरज वर्ष 2004-05 से अपराध की दुनिया में सक्रिय हुआ. उस समय नीतू दाबोदा अपराध में काफी नाम कमा चुका था. दोनों ने साथ मिलकर कई वर्षों तक लूट, हत्या, डकैती आदि वारदातों को अंजाम दिया. दोनों एक साथ रहने की वजह से जहां लगातार अपने गैंग को बढ़ा रहे थे तो दूसरी तरफ दिल्ली में उनके गैंग का नाम भी लगातर सुर्खियां बटोर रहा था.
 
सोनू पंडित की हत्या बनी ट्रिगर प्वाइंट
वर्ष 2011 में उनके गैंग में टटेसर गांव निवासी अजय उर्फ सोनू पंडित की एंट्री हुई. वह नीरज के बेहद करीब था. उसकी वजह से नीरज और नीतू के बीद दूरियां बढ़ती जा रही थी. नीतू को लगता था कि सोनू उसके खिलाफ नीरज को भड़काता है. वह गैंग की सारी खबरें भी नीरज तक पहुंचाता है. उसे यह लगने लगा कि नीरज सोनू पंडित के साथ मिलकर उसकी हत्या कर सकता है. इसलिए उसने वर्ष 2012 में सोनू पंडित को अगवा कर बेरहमी से उसकी हत्या कर दी. हत्या के बाद उसके शव को करनाल के जंगल में ले जाकर जला दिया. इस घटना ने नीरज और नीतू के बीच गैंगवार को जन्म दिया.
 
 
चलता रहा हत्याओं का सिलसिला
नीतू दाबोदा के साथी राजेश उर्फ राजू ने नीरज का हाथ थाम लिया. इससे नाराज नीतू ने उसकी हत्या कर दी. इस समय तक नीरज पर नीतू काफी भारी पड़ रहा था. लेकिन 24 अक्टूबर 2013 को वसंत कुंज इलाके में हुई एक मुठभेड़ में स्पेशल सेल ने नीतू को मार गिराया. यहां से ही नीरज बवानिया विरोधी गैंग पर हावी होने लगा. वर्ष 2014 में उसने सोनू पंडित की हत्या में शामिल संदीप टटेसर की हत्या कर दी. इसके बाद रानी बाग इलाके में नीरज के गुर्गों ने नीतू के साथी प्रदीप दहिया और अऩिल की गोली मारकर हत्या कर दी. नीतू के साथी आशु हलालपुरी को भी नीरज ने मार दिया. उधर नीतू के साथियों ने नीरज के गुर्गे मोनू वाजिदपुर को मार डाला.
 
 
नीतू दाबोदा गैंग संभाल रहा राजेश बवानिया
नीतू की मौत के बाद उसके गिरोह की कमान पारस उर्फ गोल्डी और प्रदीप उर्फ भोला ने संभाली. अप्रैल 2014 में रोहिणी कोर्ट परिसर में नीरज ने प्रदीप भोला की पेशी के दौरान हत्या का प्लान बनाया. अदालत परिसर में दस बदमाश हत्या के लिए दाखिल भी हो गये, लेकिन पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया. इसके बाद 25 अगस्त 2015 में पुलिस नीरज बवाना को कोर्ट से पेशी के बाद जेल वैन में वापस लेकर जा रही थी. इसी जेल वैन में पारस और प्रदीप भी मौजूद थे. नीरज ने अपने साथियों की मदद से जेल वैन में ही दोनों को मार डाला. अप्रैल 2017 में उसने रोहिणी जेल के बाहर राजेश धुरमूट को भी मरवा दिया. अब नीतू के गैंग की कमान जेल में बंद राजेश बवानिया के पास है. नीरज अब केवल उसे ही अपनी जान के लिए खतरा मानता है और उसे मारने का मौका तलाशता है. 





Conclusion:दिल्ली में लगता है डर
दिल्ली निवासी दीपक त्यागी ने बताया कि राजधानी में हो रही गैंगवार से आम लोगों के बीच में भी डर का माहौल रहता है. बदमाश बीच सड़क पर गैंगवार कर रहे हैं जिसकी चपेट में आम लोग भी आने लगे हैं. पुलिस को इसे लेकर गंभीरता से पुलिस को काम करने की जरूरत है ताकि आम लोगों के बीच भय का माहौल न बने.


कानूनी पेचीदगी का उठाते हैं फायदा
अधिवक्ता दीपक चौधरी ने बताया कि राजधानी में बदमाश वर्चस्व को लेकर आपस में भिड़ते हैं और एक-दूसरे की जान लेते हैं. गैंगवार को रोकने में पुलिस फेल हो रही है. इसके लिए उन्हें सोचने की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि बदमाश कानूनी पेचीदगी का फायदा उठाकर बच निकलते हैं. लंबी कानूनी प्रक्रिया के दौरान कई बार गवाह अपने बयान से मुकर जाते हैं तो कई बार पुलिस अदालत में अपराध को साबित नहीं कर पाती.
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