नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के कन्वेंशन हॉल में शुक्रवार को एक्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग हुई. इसमें सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता लिखने वाले पाकिस्तान के कवि मोहम्मद इकबाल को सिलेबस से हटा दिया गया. दिल्ली यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल की बैठक में जिस प्रस्ताव को पारित किया गया था, उस पर शुक्रवार को एक्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग में मुहर लग गई.
इसके साथ ही साथ वीर सावरकर को राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में शामिल करने का प्रस्ताव भी पास हो गया. एकेडमिक काउंसिल की बैठक में यह प्रस्ताव लाया गया था जिसे सदस्यों की सहमति से पास किया गया था.
एक्जीक्यूटिव काउंसिल की 1266वीं बैठक में वाइस चांसलर प्रोफेसर योगेश सिंह भी मौजूद रहे. डीयू की ओर से इस मीटिंग में 56 पन्नों का एक एजेंडा बनाया गया है. इन 56 पन्नों में शामिल मुद्दों पर चर्चा और मुहर लगी. आम आदमी पार्टी शिक्षक विंग (एएडीटीए) के राजेश झा ने बताया कि एक्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक बस एक औपचारिकता भर है. एकेडमिक काउंसिल की बैठक में जो प्रस्ताव पास हुए उन सब पर मुहर लग जाएगी. लेकिन इसी की बैठक में हमारे सदस्य विरोध करेंगे.
इकबाल को हटाने को लेकर डीयू का तर्कः दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर योगेश सिंह कह चुके हैं कि जिस व्यक्ति ने भारत विभाजन का बीज बोया. जिसने पाकिस्तान की नीव रखी. जिसकी सोच भारत से विपरीत है. उसे भारत के छात्र अपने सिलेबस में क्यों पढ़े? हमें ऐसे लोगों और ऐसे क्रांतिकारियों के बारे में पढ़ना चाहिए, जिन्होंने भारत को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. यही वजह है कि राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में अब छात्र छठे सेमेस्टर में वीर सावरकर का पाठ पढ़ेंगे.
एग्जीक्यूटिव काउंसिल में इस पर लगेगी मुहरः डीयू सूत्रों के अनुसार, डीयू की एक्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में बीए पाठ्यक्रम में सावित्रीबाई फुले को पाठ्यक्रम को शामिल करने को लेकर मुहर लग सकती है. वीसी ने एकेडमिक काउंसिल की बैठक में दर्शनशास्त्र विभाग के प्रमुख से अनुरोध किया था कि सावित्रीबाई फुले को पाठ्यक्रम में शामिल करने की संभावनाओं को तलाशा जाए. वहीं, फैकल्टी ऑफ टेक्नॉलॉजी द्वारा बीटेक के तीन नए प्रोग्रामों को भी शैक्षणिक सत्र 2023-2024 से शुरू करने की मंजूरी पर मुहर लगेगी.